- जले ट्रांसफॉमर्स को स्टोर तक पहुंचाने का दिया जाता है ट्रांसपोर्टेशन चार्ज

-विभागीय कर्मचारी दबा जाते हैं पैसा,

-लोग खुद के इंतजाम से बदलवाते हैं ट्रांसफार्मर

Meerut । जनहित का ढि़ढोरा पीटने वाला पीवीवीएनएल अब कंज्यूमर्स की सुविधाओं पर भी डाका डाल रहा है। ट्रांसफामर्स बदलने आदि को लेकर विभाग द्वारा शुरू की गई सुविधाओं का लाभ मिलना तो दूर, विभाग के कर्मचारी इसके ट्रांसपोर्टेशन की रकम भी खुद हजम कर रहे हैं। नतीजा यह है कि विभागीय दांवपेचों से महरूम कंज्यूमर्स को ट्रांसफामर्स लाने और ले जाने का खर्च अपनी जेब से उठाना पड़ रहा है।

ये है व्यवस्था

दरअसल, मेरठ समेत पश्चिमांचल विद्युत वितरण के सभी जिलों में ट्रांसपोर्टेशन सेवा शुरू की गई थी। इस व्यवस्था के अंतर्गत शहरी इलाकों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक में रखे ट्रांसफामर्स को लाने व ले जाने की जिम्मेदारी विभाग को सौंपी गई थी। यही नहीं ट्रांसफार्मर के जल जाने पर लोगों से केवल इसकी सूचना विभाग को देने की अपील की गई थी। जिसके बाद जले हुए ट्रांसफार्मर को विभाग अपने खर्च पर रिपेयर के लिए लाने ले जाने के लिए जिम्मेदार बनाया गया था। जिसका चार्ज द्वारा बिल के माध्यम से भुगतान किया जाना था।

कंज्यूमर भर रहे पैसा

एक तो योजनाओं की जानकारी के अभाव दूसरा विभागीय दाव पेचों से अबूझ कंज्यूमर्स ट्रांसपोर्टेशन के लिए अपनी जेब से पैसा फूंक रहे हैं। इसका सबसे बड़ा खामियाजा ग्रामीण अंचलों को भुगतना पड़ रहा है। कोई भी ट्रांसफार्मर जल जाने पर लोग न केवल विभाग के कर्मचारियों की खुशामद से लेकर उनकी जेबें गर्म करते हैं, बल्कि ट्रांसपोर्ट के लिए खुद अपने वाहन ट्रैक्टर ट्रॉली आदि का इस्तेमाल करते हैं।

फर्जी बिलों का भुगतान

एक ओर जहां पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन में अपने वाहनों का इस्तेमाल करती है, वहीं विभाग के कर्मचारी उसमे अपनी ट्रांसपोर्टेशन दिखाकर उसके फर्जी बिल बनवा लेते हैं। इन बिलों को कर्मचारी विभागीय काउंटर पर जमा कर उनको कैश करा लेते हैं और पब्लिक की इसकी खबर कानों कान तक नहीं हो पाती।

सवा दो लाख ट्रांसफार्मर

विभागीय आंकड़ों के अनुसार मेरठ समेत पश्चिमांचल के चौदह जनपदों में विभाग के पास 2,21505 ट्रांसफार्मर हैं। इनमें से 38,682 ट्रांसफार्मर अकेले मेरठ जोन में ही लगे हैं, जबकि शहर में लगे ट्रांसफार्मरों की संख्या 3159 है।

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कुछ बिजली घरों पर गाडि़यों की शुरुआत की गई है। जहां नहीं है वहां ट्रांसपोर्टेशन शुल्क भुगतान किया जाता है। यदि इस तरह की कोई शिकायत मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी।

-वीएन सिंह, एसई रूरल मेरठ