- 10वीं क्लास तक केंद्रीय विद्यालय और सीबीएसई स्कूलों में हिंदी अनिवार्य

- 60 फीसदी देशभर के पब्लिक स्कूलों के बच्चों का हिंदी भाषा का ज्ञान है कमजोर

- 53 फीसदी मेरठ के बच्चों को हिंदी भाषा में होती है परेशानी

- पब्लिक स्कूलों ने फैसलों पर जताई खुशी, कहा दिखेगा बदलाव

- छात्र के मुताबिक शुरूआत में होगी मुश्किलें

मेरठ- देश के सभी सेंट्रल स्कूल और सीबीएसई स्कूलों में 10वीं क्लास तक हिंदी भाषा जरूरी होगी। इसके लिए ऑफिशियल लैंग्वेज पर बने पार्लियामेंट्री पैनल ने प्रेसिडेंट प्रणब मुखर्जी को सुझाव भेजे थे। इसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी से सहमति बन गई है।

एक पॉलिसी बनानी होगी

डिपार्टमेंट ऑफ ऑफिशियल लैंग्वेज की वेबसाइट पर राष्ट्रपति के ऑर्डर में कहा गया है कि स्कूलों में हिंदी को जरूरी सब्जेक्ट बनाने के लिए एचआरडी मिनिस्ट्री राज्यों के साथ मिलकर एक पॉलिसी बनाए। आर्डर के अनुसार 10वीं में हिंदी को कोर्स में जरुरी सब्जेक्ट बनाने के लिए एचआरडी मिनिस्ट्री को गंभीरता दिखानी चाहिए। देश के ज्यादातर राज्यों के स्कूलों में हिंदी को एक इमोशनल लैंग्वेज के तौर पर लिया जाता है। इसके साथ ही हिंदी भाषा हमारी मात्र भाषा जिसको बढ़ावा देना बहुत जरुरी है।

कमजोर है हिंदी की नींव

गौरतलब है कि बीते साल ही सीबीएसई ने स्कूलों के क्लास सिक्स से इंटर तक बच्चों का हिंदी ज्ञान देखने के लिए एक टेस्ट करवाया था। जिसमें बच्चों का हिंदी ज्ञान काफी कमजोर पाया गया था।

क्या कहतें हैं छात्र

हिंदी बहुत ही टफ है, मुझे तो हिंदी में काफी दिक्कत आती है। अगर हिंदी जरुरी हुई तो मुश्किलें बढ़ेगी।

शगुन

थोड़ी सी दिक्कत तो आएगी, लेकिन हिंदी जरुरी हुई तो पढ़नी तो पढ़ेगी ही। हिंदी में नम्बर कम आने का डर रहता है।

वसु

इंग्लिश ज्यादा अच्छी, हिंदी में थोड़ा कमजोर हूं, इसलिए हिंदी का पेपर देते हुए डर लगता है क्योंकि गलतियां होती है।

गुरप्रीत

हिंदी अच्छा सब्जेक्ट है, लेकिन मुश्किल बहुत है। हिंदी में अच्छे नम्बर लाना आसान बात नही है।

नितिश

क्या कहते है एक्सपर्ट

ये बहुत अच्छी बात है, हिंदी हमारी मातृभाषा है। इसको पढ़ना व बढ़ावा देना बहुत जरुरी है।

राहुल केसरवानी, सहोदय सचिव