बिना बिजली और पंखे के ही क्लासरूम में

बीते सोमवार बिना नोटिस के ही इलेक्ट्रीसिटी डिपार्टमेंट ने पटना कॉलेज, साइंस कॉलेज, बीएन कॉलेज के साथ जीडीएस हॉस्टल की बिजली काट दी है। अब इन कॉलेजों में आने वाले स्टूडेंट्स को बिना बिजली और पंखे के ही क्लासरूम में बैठना पड़ सकता है।

10 करोड़ रुपए dues  

इलेक्ट्रीसिटी डिपार्टमेंट के पास इन तीनों कॉलेजों और हॉस्टल में कुल मिलाकर 10 करोड़ से भी ज्यादा बकाया है। इस संबंध में बीएन कॉलेज के प्रिसिंपल डा। पीके पोद्दार बताते हैं कि 1990 के बाद से ही सरकार ने इलेक्ट्रीसिटी के लिए ग्रांट देना बंद कर दिया है। इलेक्ट्रीसिटी की खपत के साथ इसकी दरें भी बढ़ी हैं। ऐसे में रेगुलर बिल का पेमेंट नहीं हो पाया। इससे आज इंटरेस्ट के साथ बिल करोड़ों में पहुंच गया है। वहीं दूसरी ओर पटना कॉलेज के हेड अकाउंटेंट अरूण झा की शिकायत है कि इलेक्ट्रीसिटी डिपार्टमेंट द्वारा हर महीने बिल ही नहीं भेजा जाता।

Settlement ही रास्ता

यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन में कुछ ऑफिसर्स का मानना है कि जितनी बड़ी राशि इस फंड में ड्यूज है, उसमें जरूरी है कि गवर्नमेंट इलेक्ट्रीसिटी डिपार्टमेंट और इन कॉलेजों में बीच सेटलमेंट करवाकर पुराने ड्यूज क्लीयर कर दे। इसके अलावा कॉलेजों को भी यह रास्ता निकालना होगा कि वे आगे से रेगुलर बेसिस पर हर महीने बिजली बिल का पेमेंट हो सके।

Fees बढ़ाने पर चर्चा

पीयू के कॉलेजों में अभी हर स्टूडेंट से बिजली के लिए साल में 50 रुपए फी के रूप में लिया जाता है। लेकिन आज हर कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन इस बात का रोना रोता है कि इतने फी से रेगुलर बिजली बिल चुकाना पॉसिबल नहीं है। बिजली के बहाने कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन इसके लिए फीस बढ़ाने का रास्ता सुझाते हैं। आगे क्या रास्ता निकलता है यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा लेकिन फिलहाल बिजली काटा जाना कॉलेजों के लिए परेशानी और शर्मिंदगी दोनों का ही कारण बना हुआ है।

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