-आठ अप्रैल से शुरू हो रहा नवरात्र, सोम्य नामक संवत्सर के लिए राजा होंगे शुक्र और मंत्री होंगे बुध

-दोनों ग्रहों का मैत्रीपूर्ण संबध रखेगा देश में सुख और शांति

-पंचमी तिथि की हानि के कारण रामनवमी मनाई जायेगी 15 अप्रैल को

VARANASI

आठ अप्रैल से चैत्र नवरात्र संग नवसंवत्सर ख्07फ् की शुरुआत हो जायेगी और इसी के साथ शुरू हो जायेगा हिंदुओं का नया साल लेकिन इस बार देवी दुर्गा की आराधना-उपासना का पर्व वासंतिक नवरात्र आठ दिनों का होगा। नवरात्र आठ अप्रैल से शुरू होकर क्भ् अप्रैल को रामनवमी पर हवन आदि के साथ संपन्न होगा। व्रत का पारन क्म् अप्रैल को किया जाएगा। हालांकि इस बार नवसंवत्सर के राजा शुक्र और मंत्री बुध के होने के कारण ज्योतिषशास्त्र इस साल को देश के लिए अच्छा मान रहा है। क्योंकि दोनों ग्रहों के मैत्रीपूर्ण संबध के कारण राजनैतिक हलचलों के बीच देश की सरकार स्थिर रहेगी और विकास के नए अवसरों पर काम होगा।

पंचमी और षष्ठी एक ही दिन

पं। रमेश प्रसाद मिश्र का कहना है कि पंचमी तिथि की हानि होने से नवरात्र इस बार आठ दिनों का होगा। यानि पंचमी और षष्ठी दोनों एक ही दिन माना जाएगा। प्रतिपदा सात अप्रैल की शाम ब् बजकर भ्ख् मिनट पर लग रही है जो आठ अप्रैल की दोपहर ख् बजकर ख्म् मिनट तक रहेगी। ऐसे में घटस्थापन और प्रथम गौरी दर्शन इसी दिन होगा। दुर्गा अष्टमी व्रत क्ब् अप्रैल को किया जाएगा। रामनवमी क्भ् अप्रैल को मनाई जाएगी और नवरात्र का हवन व अन्य पूजन भी इसी दिन किया जाएगा। पंडित ऋषि द्विवेदी की मानें तो इस साल मां का आगमन शुक्रवार को डोली में होगा और उनकी विदाई आठ दिन बाद शनिवार को मुर्गे पर हो रही है। डोली में आना तो अच्छा है लेकिन मुर्गे पर जाना ठीक नहीं माना जाता।

क्क्.भ्फ् से क्ख्.ख्भ् तक घटस्थापना

प्रतिपदा की सुबह वैध्रति योग के कारण घटस्थापन का शुभ मुहूर्त दोपहर क्क्.भ्फ् बजे से क्ख्.ख्भ् बजे तक अभीजित नक्षत्र में है। इस समय के दौरान कलश स्थापना कर देवी का आवाहन किया जा सकता है। पंडित द्विवेदी का कहना है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को प्रात: स्नाना आदि नित्य कर्म से निवृत होकर गंध, जल, अक्षत, पुष्प लेकर संकल्प करना चाहिए। सर्वप्रथम ब्रह्मा का आवाहन कर आसन, पाद्य, अ‌र्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, यज्ञोपवीत, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप-दीप नैवेद्य, आचमन, तांबूल, निराजन, नमस्कार, पुष्पांजलि व प्रार्थना आदि से पूजन करना चाहिए।

गौरी का होता है चैत्र नवरात्र

हर साल दो नवरात्र पड़ते हैं। वासंतिक नवरात्र का प्रारंभ ¨हदी नववर्ष के प्रथम दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है। जिसमें नौ गौरी के दर्शन पूजन की मान्यता है। वहीं दूसरा शारदीय नवरात्र होता है। इस नवरात्र में नौ दुर्गा का दर्शन पूजन होता है। दोनों में ही व्रत, पूजन व दर्शन का विधान है।

ये साल रहेगा उत्तम

नवरात्र के साथ ही हिंदुओं के नए साल की भी शुरुआत हो जायेगी। इस बारे में विमल जैन का कहना है कि ये साल मिश्रित फल देने वाला और अच्छा साल रहेगा। सोम्य नामक संवत्सर के लिए राजा शुक्र और मंत्री बुध होंगे। शुक्र के राजा होने के कारण इस साल उत्तम वर्षा होने के कारण कृषि उपज अच्छी होगी और खाद्यान्न की प्रचुरता रहेगी। सत्ता एवं राजनीति से जुड़े लोग अपनी बातों को भूलकर देश व जनता के कल्याण के लिए कार्य करेंगे। सोम्य संवत्सर के स्वामी शिवजी हैं। इसलिए शिव जी की कृपा से सभी समस्याओं का समाधान होता रहेगा। बुध के मंत्री रहने से उद्योग-व्यापार, गणित-विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत का मान बढ़ेगा। चूंकि खगोलीय मंत्री परिषद के कुल क्0 विभागों में से छह विभाग शुभ ग्रहों को प्राप्त है। इसलिए ये साल देश व जनता के लिए शुभ रहेगा।