:::आई ब्रेकिंग::::

-एक्ट के लिए बनी तीन सदस्यीय कमेटी 20 अप्रैल तक शासन को सौंपेगी ड्राफ्ट

-कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद सूबे में रियल एस्टेट कारोबारियों पर कसेगी नकेल

देहरादून, केंद्र सरकार के रियल एस्टेट रेगुलेटरी एंड डेवलेपमेंट एक्ट 2016 को अब राज्य में भी लागू करने की तैयारी हो रही है। सूबे में एक्ट के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। ये कमेटी 20 अप्रैल तक रिपोर्ट शासन को ड्राफ्ट सौंपेगी। इसके बाद इसे कैबिनेट में मंजूरी के लिए लाया जाएगा।

प्राधिकरण का भी होगा गठन

देश में कृषि के बाद सबसे ज्यादा कमाई का क्षेत्र रियल एस्टेट ही माना जाता है। बिल्डरों द्वारा की जा रही धोखाधड़ी के मामलों की शिकायत आने के बाद केंद्र सरकार ने रियल एस्टेट एक्ट 2016 को मंजूरी दी थी। एक्ट के तहत राज्यों को अधिकार दिए गए हैं कि वे अपनी सुविधाओं के अनुरूप रूल्स तैयार करेंगे और राज्य स्तर पर रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। टीएसआर सरकार ने भी एक्ट के मुताबिक नियमों के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। कमेटी में उत्तराखंड आवास एवं विकास प्राधिकरण, टाउन प्लानर के अधिकारियों को भी शामिल किया गया है। कमेटी के एक सदस्य ने बताया कि कैबिनेट से मंजूरी के बाद आवास विकास विभाग के अंतर्गत किसी एक प्राधिकरण को एक्ट को प्रभावी करने की जिम्मेदारी मिलेगी।

:::रियल एस्टेट एक्ट 2016 पर एक नजर:::

-एक्ट के नियम नोटिफाई होने के बाद हर बिल्डर को स्टेट रेगुलेटर के पास रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी।

-रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करने के 3 महीने के भीतर बिल्डर्स को जुटाए गए फंड्स का 70 फीसदी एक अलग बैंक खाता खोलना होगा।

-एक्ट के बाद बिल्डर किसी और प्रॉजेक्ट्स में इस फंड का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे।

-समय पर घरों का निर्माण पूरा हो सकेगा और लोगों को तय समय पर सपनों का घर मिल सकेगा।

-प्रोजेक्ट के रजिस्ट्रेशन के बाद बिल्डर को खरीदार को मकान सौंपने की समय सीमा भी बतानी होगी।

-जबकि 10-10 सालों के घर मिलने के इंतजार की शिकायतें सामने आई।

-एक्ट के मुताबिक शिकायत दाखिल किए जाने के 60 दिनों के भीतर रेग्युलेटर को मामले की सुनवाई करनी होगी।

-राज्य स्तर पर रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण के गठन का प्रावधान।

-रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण के आदेश की अवहेलना की स्थिति में बिल्डर के लिए 3 वर्ष की सजा व जुर्माने का प्रावधान।

-पांच वर्ष तक मकान के खराब होने की दशा में जिम्मेदारी डेवलेपर्स की होगी।

-ग्राहक अगले 90 दिनों तक अपनी शिकायत कर सकता है।

-अब बिना रजिस्ट्रेशन के न प्रोजेक्ट चालू होंगे और न विज्ञापन दे सकते हैं।

-शिकायत के लिए ग्राहक कंज्यूमर्स या फिर सिविल कोर्ट में अपील कर सकता है।