भगत, बिस्मिल, खुदीराम के किस्से हैं जुबान पर

पार्क रोड के पास रहने वाले श्यामानंद श्रीवास्तव 73 साल की एज में भी खुद को किसी यूथ से कम नहीं मानते। उनका कहना है कि मेरा दिल क्रांतिकारी है और वह कभी थक नहीं सकता। श्यामानंद की सुबह क्रांतिकारियों के चित्रों को देखने के साथ होती है और रात दिनभर चले किस्सों के साथ एक बार फिर उन्हें याद करने के बाद खत्म होती है। इनके पास मौजूद क्रांतिकारियों के चित्र में अधिकांश ऐसे क्रांतिकारी है, जिनके बारे में शायद हिस्ट्री स्टूडेंट भी नहीं जानते होंगे। जबकि उन्हें इनकी कुर्बानी के किस्से मुंह जबानी याद हैं।

क्रांतिकारियों की अंतिम यादें भी रखी संजो कर

श्यामानंद ने इतिहास की वह यादें भी संजो कर रखी है, जो शायद किसी के पास नहीं होगी। जेल से लिखा गया भगत सिंह का खत, अपनी मां को लिखा गया बिस्मिल जी का खत, अशफाक उल्ला खां का देशवासियों के नाम खत, असेंबली में बम फेंकने से पहले भगत सिंह का लिखा गया खत, जेल से बहन प्रोमिला को लिखा गया बटुकेश्वर दत्त का खत, फांसी से तीन दिन पहले पंजाब गवर्नर को लिखा गया भगत सिंह का खत और सुखदेव की अधूरी चिट्ठी की कॉपी को संजो कर रखा है। सुखदेव का यह अधूरा खत पाकिस्तान के रिकॉर्ड में है।

भगत सिंह की फैमिली को रखा संभाल कर

श्यामानंद ने भगत सिंह की पूरी फैमिली को संभाल कर रखा है। भगत सिंह के घर, आंगन, मां-बाप समेत पूरी फैमिली की फोटो है। साथ ही वह न्यूजपेपर भी संभाल कर रखा है, जिसमें फांसी के दो दिन बाद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी देने की खबर पब्लिश हुई थी। तब श्यामानंद का घर  क्रांतिकारियों का था।

इन्होंने ली थी शरण

-शौकत अली उस्मानी (भगत सिंह के साथी थे)

-राम दुलारे त्रिवेदी

-योगेश चंद्र चटर्जी

-रामकृष्ण खन्ना (कॉकोरी कांड में आरोपी थे और सजा मिली थी)