सर्किल रेट ने भी बिगाड़ा खेल

एक अगस्त से नया सर्किल रेट सिटी के रीयल एस्टेट बिजनेस में मंदी का मेजर रीजन बना। पिछले साल के मुकाबले इस साल सर्किल रेट में सामान्य तौर पर 10-15 परसेंट की वृद्धि हुई है। हालांकि, कुछ प्लेसेस पर सर्किल रेट में 100 परसेंट तक वृद्धि हुई है। पहले जिस 2 बीएचके मकान की कीमत 25 लाख रुपए थी, उसकी कीमत 30 लाख के पार जा पहुंची है। ऐसे में सपनों का घर खरीदने की तैयारी कर रहे बहुत से लोगों ने अपने हाथ खींच लिए हैं। असल में कस्टमर को मकान की बुकिंग कराते वक्त मकान की लागत का 10 परसेंट अमाउंट जमा करना पड़ता है। ऐसे में मकान की कीमत बढऩे से उन्हें अपना बजट फेल होने का डर सताने लगा।

पैसा कम करना घाटे का सौदा

बिल्डर्स का कहना है कि सर्किल रेट बढऩे से प्रॉपर्टी खरीदने व बेचने दोनों में प्रॉब्लम आ रही है। अगर कोई मकान सर्किल रेट सहित 40 लाख रुपए का है तो उसके कम दाम पर किसी भी कीमत पर नहीं बेच सकते। दरअसल, इस पैसे का जो अंतर होगा उसका टैक्स को बिल्डर्स को ही चुकाना ही होगा.  कुछ ऐसा ही जमीन की खरीद-फरोख्त करने वालों के साथ भी है।

नवरात्र व दीपावली का इंतजार

खराब दौर से गुजर रहे रीयल एस्टेट  के नवरात्र और दीपावली के शुभ दिनों का इंतजार है। ऐसा मानना है कि इसी टाइम रीयल एस्टेट मार्केट बूम पर होता है। बिल्डर्स का मनाना है कि सितंबर तक मंदी का असर देखने को मिलेगा। अक्टूबर आते-आते इस सेक्टर के बिजनेस में कुछ तेजी आने की उम्मीद है।

Land Acquisition, Rehabilitation and Resettlement Bill, 2012

संसद में भूमि अधिग्रहण पुर्नवास एवं व्यवस्थापन विधेयक 2012 को मंजूरी दे दी है। इस कानून के बनने के बाद रूरल एरिया में अधिग्रहीत की जाने वाली जमीन के लिए मार्केट वैल्यू से चार गुणा अधिक मुआवजा किसानों को चुकाना होगा। जबकि अर्बन एरिया के लिए यह रकम दोगुना होगी। कानून उन लोगों पर भी लागू होगा जहां किसानों ने मुआवजा नहीं लिया है। जमीन अधिग्रहण से पहले किसानों की मंजूरी लेना जरूरी है। नया बिल पारित होने से 5 सितम्बर 2011 के बाद खरीदी गई जमीन में अधिग्रहीत होने पर उसके मुआवजे का एक हिस्सा भू-स्वामी को मिलेगा।

Land acquisition bill का असर

भूमि अधिग्रहण बिल का असर फिलहाल बिल्डर्स पर नहीं है। लेकिन आने वाले दो-तीन सालों में रीयल एस्टेट बिजनेस पर इसका असर महंगाई के तौर पर दिखाई पड़ सकता है। हॉरिजन ट्रेडर्स के मार्केटिंग मैनेजर राहुल श्रीवास्तव बताते हंै कि अभी बिल्डर्स की जरूरत सिटी के आस-पास के जमीनों से ही पूरी हो जा रही है। फिलहाल, बरेली जैसे शहर में किसानों की जमीन अधिग्रहण कर अधिक बिल्डिंग्स नहीं बनाई जा रही हैं। लेकिन आने वाले कुछ सालों में इस बिल का असर सिटी में देखने को मिल सकता है। रीयल इस्टेट का विस्तार होने पर किसानों की भूमि अधिग्रहित करनी पड़ेगी, ऐसे में नए कानून के अनुसार बिल्डर्स की जेब अच्छी खासी ढीली करनी होगी। इसका रिजल्ट होगा कि फ्लैट्स और महंगे होंगे। एक्स्पट्र्स मानते है कि तब कीमतों में 25 से 35 परसेंट तक बढ़ोतरी हो सकती है।