जंक्शन को ही ले लीजिए

इलाहाबाद जंक्शन को ही ले लीजिए। कहने को ये सेंस्टिव स्टेशन है। यहां सुरक्षा का आलम यह है कि थाने को छोड़कर कहीं न जीआरपी के जवाब मिले और न ही आरपीएफ के। आरपीएफ के पास 120 और जीआरपी के पास 140 जवानों का स्टॉफ है। इनमें से कोई भी इंट्री प्वाइंट पर नहीं मिला। पार्सल गेट, आरएमएस ऑफिस गेट पर भी कोई भी स्टॉफ प्रापर तरीके से ड्यूटी पर नहीं मिला। करीब 17 सीसीटीवी लगे हुए हैं लेकिन उन पर भी नजर रखने का काम खानापूर्ति के अंदाज में पूरा किया जाता मिला।

हम क्या कहें, आप खुद देखिए

लाश ट्रेन में रहने की घटना पर चौंकने जैसा कुछ भी नहीं है क्योंकि जंक्शन पर ही जब सिक्योरिटी का यह आलम है तो फिर छोटे स्टेशनों पर सिक्योरिटी को तो आप समझ सकते हैं। आप अलर्ट रहे, इसके लिए हमने करीब दो घंटे तक स्टेशन की सिक्योरिटी व्यवस्था को अपने कैमरे में उतारने की कोशिश की। रेलवे सिस्टम में लापरवाही की हद इतनी है कि कहीं से भी आप कुछ भी लेकर इंट्री कीजिए। कोई भी आपको रोकने टोकने वाला नहीं है। पार्सल गेट से नार्मल सामानों की इंट्री बैन है। लेकिन, लोग आराम से इस गेट का इस्तेमाल करते मिले। वेटिंग रूम से लेकर क्लॉक रूम तक में कोई भी कुछ भी रखकर चला जाए, कोई पूछने वाला नहीं था। प्लेटफार्म एक तक पर आप कोई भी सामान लिए बैठे रहिए, कोई सिक्योरिटी वाला पूछने तक नहीं आएगा। बाकी प्लेटफार्म की स्थिति भी यही मिली।