-भीड़ को नियंत्रित करने के नहीं है खास इंतजाम

ALLAHABAD: सावन का महीना शुरू होते ही शिव मंदिरों में भक्तों का जमघट लग रहा है। खासतौर पर सोमवार को भोर से ही शिवमंदिरों में भक्तों की लंबी कतार दिखना आम बात है। हर कोई भोले शंकर को मनाने में जुटा रहता है, जिसके कारण शिव मंदिरों में कई बार स्थिति नियंत्रण के बाहर चली जाती है। सोमवार को बिहार के देवघर में बाबा धाम में हुई भगदड़ की घटना ने इस बात को सोचने पर मजबूर कर दिया कि शहर के प्राचीन मंदिरों में ऐसी स्थिति से निपटने के लिए क्या इंतजाम किए गए है। आईनेक्स्ट रिपोर्टर ने सावन के दूसरे सोमवार को शहर के प्रमुख प्राचीन मंदिर मनकामेश्वर में व्यवस्थाओं का जायजा लेने के लिए रियलिटी चेक किया। इस दौरान यहां साफ दिखा कि अगर ऐसी घटना घटित होती है, तो बड़ी संख्या में लोग हादसे के शिकार हो सकते हैं।

नए यमुना ब्रिज के पास से बैरीकेडिंग

सावन के सोमवार को देखते हुए मनकामेश्वर मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग पर नए यमुना पुल के नीचे पुलिस ने बैरीकेडिंग की थी। यहां से लोगों को पैदल ही मंदिर तक का रास्ता तय करना था। यहां तक तो नजारा ठीक था, लेकिन आगे बढ़ने पर मंदिर से काफी पहले फायर ब्रिगेड की एक गाड़ी और उसके साथ तीन सिपाही दिखे। इसके बाद मंदिर जाने वालों की लंबी कतारें दिखने लगीं। वहीं, आसपास बड़ी संख्या में लोग सड़क के दोनों तरफ फुटपाथ पर फूल व पूजन सामग्री की दुकानें लगाए बैठे थे जिससे आने जाने वालों को भी दिक्कत होती है। इतना ही नहीं कई ठेले भी लगे थे, जिससे अनायास ही भीड़ का अहसास अधिक होने लगता है।

एक ही गेट से रास्ता

मनकामेश्वर मंदिर यमुना नदी के किनारे स्थित होने के कारण यहां एक ही रास्ता है। वैसे तो मुख्य गेट का साइज मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या के हिसाब से ठीक है। मगर, भीड़ को देखते हुए उसको तीन हिस्सों में बांट दिया गया है, जिससे रास्ता बेहद सकरा हो गया है। मंदिर के अंदर जाने के दो और बाहर निकलने के लिए एक रास्ता बनाया गया है। उसमें भी एक मेटल डिटेक्टर लगाया गया है। मंदिर में प्रवेश करते ही ढलान है, जहां लोगों द्वारा भगवान शिव को चढ़ाने के लिए ले जाए जाने वाले जल के गिरने से हमेशा फिसलन की स्थिति बनी रहती है। ऐसे में अगर किसी भी प्रकार से मंदिर में कोई हादसे की स्थिति बनती है, तो लोगों को बाहर निकलने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। और यही भगदड़ की स्थिति को जन्म देने के लिए काफी है। मंदिर से बाहर आने के लिए कोई अन्य रास्ता न होने के कारण अचानक से प्रेशर मंदिर के मुख्य गेट पर बढ़ेगा जहां रास्ता सकरा होने के कारण लोगों को मुसीबत झेलनी पड़ेगी। मंदिर में फिसलन की स्थिति भी लोगों के लिए बड़ी समस्या के रूप में सामने आ सकती है। ऐसे में अगर अचानक से कभी और भीड़ बढ़ती है, तो उसे कंट्रोल करने के लिए कोई खास इंतजाम फिलहाल मंदिर या आसपास के एरिया में नहीं है।

घटना से नहीं ले रहे सबक

कुछ माह पूर्व हनुमान जयंती के दिन चार अप्रैल को भी ऐसी ही घटना बंधवा स्थित हनुमान मंदिर में हुई थी। जहां आधा दर्जन से अधिक लोग घायल हुए थे। मंदिर चन्द्र ग्रहण के कारण बंद था। ग्रहण खत्म होने के पहले से ही मंदिर के बाहर बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ लगी थी। ग्रहण समाप्त होने के बाद हनुमान जी की आरती के बाद मंदिर के पट खोल दिए गए। जिससे अचानक लोगों की भीड़ मंदिर में प्रवेश करने के लिए टूट पड़ी। अचानक प्रवेश द्वार पर भीड़ उमड़ने से स्थिति कंट्रोल के बाहर हो गई और भगदड़ मच गई।

इनसेट बॉक्स

दूसरे सोमवार को भी शिवालयों में रही धूम

वैसे तो सावन माह भगवान शिव की पूजा के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। लेकिन सावन के सोमवार का महत्व सबसे अधिक है। ये ही कारण है कि लोग बड़ी संख्या में शिवालयों में दर्शन व पूजन करने पहुंचते हैं। सावन के दूसरे सोमवार को भी ऐसी ही स्थिति शिव मंदिरों में देखने को मिली। खासतौर पर प्राचीन मंदिरों मनकामेश्वर मंदिर, नागवासुकी मंदिर, पडि़ला महादेव मंदिर, तक्षकतीर्थ समेत अन्य मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का जमघट लगने लगा। भीषण उमस के बाद भी लोगों की आस्था कम नहीं हुई और लोग मंदिर में दर्शन करने को पहुंचते रहे।