इस तरह के फ़र्जी मेल को लोग स्पैमिंग भी बुलाते हैं.
भारती की दिल्ली स्थित एक टेक्नोलॉजी कंपनी मैडगेन सोल्यूशन पर आरोप था कि उसने साल 2004 में अपने एक क्लाइंट टॉपसाइट्स एलएलसी के नाम पर भारी संख्या में मेल भेजे थे.
अमरीकी एंटी-स्पैम कार्यकर्ता और वकील डेनियल बालसम ने भारती और कंपनी पर कैलिफोर्निया की अदालत में मुकदमा दायर किया था.
करना पड़ा समझौता
सोमनाथ भारती हाल के दिनों में विवादों से घिरे रहे हैं.
इंडियन टेक्नोलॉजी प्रकाशन पीसी क्वेस्ट के अनुसार अदालत की सहमति से हुए समझौते के तहत भारती ने बालसम को 5000 डॉलर (करीब 3,00,000 रुपए) का भुगतान किया था.
उसी साल भारती का नाम शीर्ष स्पैमरों की एक लिस्ट में भी आया था.
रजिस्टर ऑफ नॉन स्पैमिंग ऑपरेशन या आरओकेएसओ में दुनिया के शीर्ष 200 स्पैमरों का नाम प्रकाशित होता है. इस लिस्ट में भारती के अलावा दो अन्य भारतीय भी शामिल थे.
लंदन और जिनेवा स्थित स्पैमहौज संगठन हर साल ये लिस्ट तैयार करता है. यह संगठन स्पैम के खिलाफ़ जागरूकता के लिए समर्पित है.
"मैडगेन साल्यूशन से अब मेरा कोई नाता नहीं है, स्पैमिंग गैरकानूनी है और मैं उसका समर्थन नहीं करता."
-सोमनाथ भारती, कानून मंत्री, दिल्ली सरकार
दुनिया के 80 प्रतिशत स्पैम मेलों के लिए जिम्मेदार लोगों के नाम इस लिस्ट में शामिल किए जाते हैं.
आरओकेएसओ एक किस्म का 'थ्री स्ट्राइक रजिस्टर' होता है, जो केवल उन्हीं स्पैमर्स का नाम लिस्ट में शामिल करता है जिन्हें नियमों के उल्लंघन के लिए न्यूनतम तीन बार चिह्नित किया गया हो.
भारत के आईटी एक्ट 2000 के अनुसार, स्पैमिंग एक गैरक़ानूनी और दण्डनीय अपराध है जिसमें तीन वर्ष तक की सजा का प्रावधान है.
रिश्तेदारों के नाम है कंपनी
मैडगेन साल्यूशन कंपनी का दफ्तर दक्षिणी दिल्ली में मौजूद है.
कंपनी के निदेशकों में मनोरमा रानी भारती और दिव्या स्तुति कुमारी का नाम है, जो कथित तौर पर भारती के रिश्तेदार बताए जाते हैं.
पीसीक्वेस्ट ने अपने 2005 के अगस्त अंक में रिपोर्ट प्रकाशित की थी कि भारती ने कलिफोर्निया अदालत के मुकदमे में समझौता करने का रास्ता अख्तियार किया क्योंकि अमरीका में मुकदमा लड़ना ज्यादा खर्चीला होता.
रिपोर्ट में भारती के हवाले से कहा गया था कि आरओकेएसओ लिस्ट में उनका इसलिए नाम शामिल किया गया क्योंकि ओपेन डायरेक्टरी प्रोजेक्ट के संपादक और स्पैम विरोधी वेबसाइट डायनामू से जुड़े कोनराड लांगमोर ने एक स्टोरी चलाई जिसमें टापसाइट्स एलएलसी की तरफ से भेजे गए स्पैम के पीछे उनका हाथ बताया गया था.
सहयोगी का कारनामा?
बीबीसी द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में भारती के प्रतिनिधि ने कहा, ''साल 2000 के शुरुआती वर्षों में भारती ने मैडगेन साल्यूशन को एक सहयोगी के हवाले कर दिया था जिसने बिना जानकारी दिए ही ग़लत इस्तेमाल किया. जब मामला सामने आया तो भारती को पता चला कि उनके सहयोगी ने भारी पैमाने पर मेल भेजे और उनके नाम का कई मौकों पर इस्तेमाल किया.''
''सच्चाई तक पहुंचने की प्रक्रिया में भारती को पता चला कि जो मेल भेजे गए वे कानूनी के अंतर्गत आते थे और आईपी एड्रेस का पता लगाने के कानूनी तरीकों का ही इसमें इस्तेमाल किया गया था. यह अमरीका में लागू कानूनों (कैन-स्पैम) के अनुरूप था. इसीलिए भारती और उनके सहयोगी के बीच भरोसा तोड़ने का मामला अदालत में नहीं ले जाया गया.''
हालांकि स्पैमहौज ने इस बारे में अपनी स्थिति पूरी तरह स्पष्ट करता हैः ''प्रेषक के बारे में झूठी और दिग्भ्रमित करने वाली सूचना के साथ भेजे जाने वाले स्पैम को रोकने में कैन-स्पैम एक्ट बहुत कम कारगर है. इसका मतलब यह नहीं कि गैर-फर्जी स्पैम भेजना सही है. या एंटी स्पैम फिल्टर नीतियों को यह एक्ट अनदेखा करता है. कैन स्पैम विशेष रूप से नेटवर्कों को (आईएसपी समेत) इस बात की इजाजत देता है कि वे अपनी नीतियों के अनुरूप स्पैम को रोक सकते हैं.''
हालांकि, भारती का कहना है कि मैडगेन साल्यूशन से अब उनका कोई नाता नहीं है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि स्पैमिंग गैरकानूनी है और वो इसका समर्थन नहीं करते.
आलोचना
सोमनाथ भारती ने दिल्ली आईआईटी से पोस्ट-ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की है.
हाल ही में दक्षिणी दिल्ली के खिड़की एक्सटेंशन इलाके में अफ्रीकी महिलाओं पर कथित हमला करने के मामले में उन्हें कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.
आरोप है कि लोगों के समूह ने अफ्रीकी महिलाओं को गैर क़ानूनी रूप से बंधक बनाया और उन्हें ड्रग टेस्ट के लिए मजबूर किया.
पिछले सप्ताह केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस के खिलाफ आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन में उन पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त करने की मांग भी शामिल थी जिन्होंने आधी रात के समय बिना वारंट कार्रवाई करने से इनकार कर दिया था.
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