यूरो जोन में फाइनेंशियल क्राइसिस को लेकर जताई जा रही चिंता का असर भले ही इंडिया की इकॉनमिक ग्र्रोथ पर न पड़ा हो, पर इंप्लॉयमेंट मार्केट पर इसका प्रभाव दिखने लगा है. मार्च-अप्रैल 2011 में अपने टॉप लेवल पर पहुंचा जॉब मार्केट अब प्रॉब्लम्स फेस कर रहा है. नई नौकरियों की रफ्तार सुस्त पड़ रही है. प्लेसमेंट फर्म एबीसी कंसल्टेंट्स के मुताबिक, नई जॉब्स अब भी दी जा रही हैं, लेकिन बीते तीन-चार महीनों से इनका ग्र्रोथ रेट काफी स्लो रहा है. दरअसल मौजूदा फाइनेंशियल सीन को लेकर कंपनियों का उत्साह कुछ ठंडा पड़ गया है.

जून में घटी मांग

नया रिक्रूटमेंट इंडेक्स भी इस चिंता को दर्शा रहा है. तीन महीने तक अप्वॉइंटमेंट से जुड़ी एक्टिविटीज में इजाफा होने के बाद जून 2011 में इंप्लॉइज के लिए मांग घट गई. इस बात का खुलासा रिक्रूटएक्स से हुआ है, जो सभी इंडस्ट्रीज में टैलेंट की मांग और सप्लाई का रिव्यू कर तमाम सेक्टर्स में अप्वॉइंटमेंट्स से जुड़े रुझान का अंदाजा देने वाला इंडेक्स है. एबीसी कंसल्टेंट्स के एक ऑफिशियल के मुताबिक यह इकॉनमिक माहौल से जुड़ी चिंताओं की वजह से आई मामूली कमजोरी है. फाइनेंशियल सर्विसेज और टेलीकॉम सेक्टर्स में माहौल मंदा है, जबकि आईटी में ठीक-ठाक हालात हैं. कंपनियां अप्वॉइंटमेंट्स को लेकर अलर्ट हैं, पर कोई भी अभी तक मंदी की बात नहीं कर रहा है.

Negative sentiments नहीं

सैमसंग के एक सीनियर ऑफिशियल ने कहा कि इंप्लॉयमेंट मार्केट में निगेटिव सेंटीमेंट नहीं है. साल के पहले हाफ में हमने अपनी लैटरल हायरिंग का बड़ा हिस्सा पूरा कर लिया है. सैमसंग में 10-15 परसेंट एट्रिशन रेट और नए टैबलेट की लांचिंग जैसे नए ग्रोथ एरिया के लिए लैटरल हायरिंग जारी है. रिटेल सेक्टर में भी अप्वॉइंटमेंट्स देखने को मिल रहे हैं. फ्यूचर गुप से जुड़े सीनियर ऑफिशियल के मुताबिक कि हम स्टोर खोल रहे हैं. अप्वॉइंटमेंट्स की योजना बनाई जा रही है.

न मंदी, न तेजी

स्टाफिंग और प्लेसमेंट कंपनी मा फोई रैंडस्टेड के अधिकारी का कहना है कि हम अपने कामकाज में बढ़ोतरी कर रहे हैं. अभी तक ऐसे डेटा प्वाइंट नहीं मिले हैं, जो मंदी का संकेत दें. उनके मुताबिक, अगर बेहद निगेटिव सोच के साथ बात की जाए, तो जॉब मार्केट में इन दिनों न तो मंदी है और न ही तेजी. कुछ सेगमेंट में जॉब्स नहीं बढ़ रही हैं.

छोटे शहरों में नौकरियों के बड़े मौके

छोटे कस्बों और मिनी मेट्रो सिटीज में अप्रैल-जून के क्वार्टर के दौरान अप्वॉइंटमेंट एक्टिविटीज में पॉजिटिव सिग्नल्स देखने को मिला है. एक सर्वे के अनुसार, खासकर इंजीनियरिंग और मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में नौकरियों में इजाफा हुआ है. माईहायरिंगक्लब.कॉम की एक स्टडी के अनुसार, सर्वे में शामिल 41 परसेंट कंपनियों ने कहा कि उन्होंने पुणे और हैदराबाद जैसे टियर टू कैटेगरी के शहरों में पिछले साल के इसी ड्यूरेशन की तुलना में ज्यादा इंप्लॉइज अप्वॉइंट किए हैं. करीब 12 परसेंट कंपनियों ने कहा कि उन्होंने जयपुर, गाजियाबाद और कोच्चि जैसे टियर-3 शहरों में पांच परसेंट अधिक अप्वॉइंटमेंट्स किए. 

- सर्वे के मुताबिक छोटे शहरों में अप्वॉइंटमेंट बढऩे की वजह बड़े शहरों में नौकरी छोडऩे वालों की संख्या में बढ़ोतरी व हाई सैलरी है.

- सर्वे के मुताबिक, मौजूदा क्वार्टर के दौरान दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों में सबसे ज्यादा 22 परसेंट नौकरियां इंजीनियरिंग और मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में दी गईं.

- इंश्योरेंस, बैंकिंग और अन्य फाइनेंशियल सर्विस सेक्टर्स में 18 परसेंट, आईटी और आईटी से जुड़ी सर्विसेज में 18 परसेंट, एफएमसीजी में 16 परसेंट, रिटेल में 14 परसेंट, टेलीकॉम में 12 परसेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में 10 परसेंट नौकरियां दी गईं.

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