-जिलाधिकारी ने शासन को सौंपी कारगुजारियों की रिपोर्ट, कार्रवाई के लिए की सिफारिश

- दलित छात्रों की छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति में हुआ बड़े पैमाने पर घोटाला

- चर्चित अधिकारी पहले भी घोटाले के आरोप में हो चुके हैं सस्पेंड

आई एक्सक्लूसिव

अखिल कुमार

Meerut: मेरठ में छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति घोटाले से परदा हटने के साथ ही तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी मोहम्मद मुश्ताक की भूमिका प्रकाश में आ रही है। बिना डीएम और सीडीओ की अनुमति के 12,804 अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्रों का डाटा अधिकारी ने समाज कल्याण निदेशालय को फारवर्ड कर दिया था। मेरठ में हुए करीब 15 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले का सूत्रधार बताते हुए डीएम ने पूर्व समाज कल्याण अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश शासन से की है।

12,804 छात्रों का भेजा डाटा

मेरठ में पूर्वदशम एवं दशमोत्तर छात्रवृत्ति (2016-17) योजना के तहत 191 कॉलेजों में अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्रों की छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ। समाज कल्याण विभाग द्वारा डीएम बी। चंद्रकला और सीडीओ विशाख जी। की मौजूदगी और हस्ताक्षर के बिना तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी मोहम्मद मुश्ताक ने 191 कॉलेजों के कुल 39,700 अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्रों में से 12,804 छात्रों का डाटा वेरीफाई कर समाज कल्याण निदेशालय के पास (लखनऊ) भेज दिया। बता दें कि 14 फरवरी 2016 को छात्रवृत्ति स्वीकृति समिति की बैठक में छात्रों के वेरीफिकेशन पर फैसला लिया गया, इस बैठक में समिति की अध्यक्ष डीएम और बी। चंद्रकला और सीडीओ विशाख जी। न ही मौजूद थे और न ही वेरीफाई डाटा को अपलोड करने से पहले उनके साइन कराए गए।

आनन-फानन में भेजा डाटा

दरअसल, इसी दौरान शासन के निर्देश पर निलंबित चल रहे समाज कल्याण अधिकारी उमेश द्विवेदी को मेरठ का चार्ज दे दिया गया। तत्कालीन अधिकारी मुश्ताक ने आनन-फानन में बिना आलाधिकारी के साइन के डाटा न सिर्फ वेरीफाई कर दिया बल्कि उसे अपलोड कराने के लिए निदेशालय भेज दिया। इसी बीच, मुश्ताक को वापस सहारनपुर भेज दिया गया। गौरतलब है कि उस समय मुश्ताक के पास मेरठ का भी अतिरिक्त चार्ज था।

डीएम ने उठाया घोटाले से परदा

बिना अनुमति डाटा वेरीफाई करने और निदेशालय भेजने की जानकारी पर डीएम ने प्रारंभिक जांच की। करीब 15 करोड़ रुपये के इस घोटाले में कॉलेजों के साथ-साथ तत्कालीन अधिकारी मो। मुश्ताक की भूमिका प्रकाश में आने पर रेन्डमली 34 कॉलेजों में छापा मारकर छात्रों की असल स्थिति की पड़ताल कराई गई। 34 राजपत्रित अधिकारियों द्वारा मैनेजमेंट, टेक्निकल, एजुकेशन कॉलेजों में जाकर छात्रों की उपस्थिति और रिकार्ड को खंगाला गया। 25 कॉलेजों में छात्रों की उपस्थिति 50 फीसदी से कम मिली तो वहीं 15 कॉलेज फर्जी छात्रवृत्ति हड़पने की मंशा में पकड़े गए। पुष्टि के बाद 8 कॉलेजों के संचालकों के खिलाफ धोखाधड़ी में मुकदमा सिविल लाइन्स थाने में दर्ज कराया गया जबकि 7 को ब्लैक लिस्टेड घोषित किया गया है।

शासन को लिखा

समाज कल्याण निदेशालय को डीएम ने सभी 15 कॉलेजों में की गई छापेमारी की विस्तृत रिपोर्ट भेजी तो वहीं 8 कॉलेजों के खिलाफ दर्ज मुकदमे का पूरा ब्योरा (धाराओं सहित) दिया है। डीएम ने इस पूरे गोरखधंधे का सूत्रधार तत्कालीन मो। मुश्ताक को बताते हुए लिखा कि अधिकारी की मिलीभगत से शासनादेश (14 अपै्रल 2016) के निर्देशों के खिलाफ फर्जी छात्रों की छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति रिलीज कराने के लिए डाटा वेरीफाई कर समाज कल्याण निदेशालय भेज दिया गया। डीएम ने अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश भी निदेशालय से की है।

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14 फरवरी को हुई बैठक की कार्यवृत्ति पर मैं डीएम और सीडीओ के साइन नहीं करा पाया था। क्योंकि यह प्रक्रिया का हिस्सा था, सो बाद में भी साइन हो सकते थे। समिति के अन्य सदस्यों के बीच 12,804 छात्रों का डाटा वेरीफाई हुआ था। इन छात्रों में से ज्यादातर छात्र सरकारी कॉलेजों के हैं।

मो। मुश्ताक, तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी, मेरठ

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मेरठ में छात्रवृत्ति स्वीकृति समिति के अनुमोदन के बिना मेरठ के हजारों छात्रों का डाटा समाज कल्याण निदेशालय को दे दिया गया। तत्कालीन अधिकारी की भूमिका पुष्ट होने पर यथास्थिति की जानकारी देते हुए कार्रवाई के लिए शासन को लिखा गया है।

बी। चंद्रकला, जिलाधिकारी, मेरठ

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ये है आंकड़ों की कहानी

39,700-अनुसूचित/जनजाति के कुल आवेदक छात्र

26,103-स्क्रूटनी के बाद भेजा गए सही आवेदक

13,597-स्क्रूटनी में फेल सस्पेक्टेड छात्र

13,596-सही आवेदक, जिनका परीक्षण शेष

12,804-समिति के अनुमोदन के बिना निदेशालय में भेजा गया डाटा

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हेडिंग- पहले भी लगे गड़बड़ी के आरोप

मेरठ: सहारनपुर में जिला समाज कल्याण अधिकारी रहते हुए मो। मुश्ताक पर सत्र 2015-16 में छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति में गड़बड़ी के आरोप लगे थे। शासन की ओर से 21 कॉलेजों के खिलाफ जांच-पड़ताल कर गंभीर अनियमितता के आरोपों की पुष्टि की गई थी। अनियमितताओं में भूमिका स्पष्ट होने पर मो। मुश्ताक को जून 2016 में शासन के निर्देश पर सस्पेंड कर दिया गया था, वे सितंबर 2016 में ही दोबारा बहाल हुए थे। उन्हें मेरठ का भी एडीशनल चार्ज दिया गया था।

हो चुके हैं सस्पेंड

मेरठ: सहारनपुर में जिला समाज कल्याण अधिकारी रहते हुए मो। मुश्ताक पर सत्र 2015-16 में छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति में गड़बड़ी के आरोप लगे थे। शासन की ओर से 21 कॉलेजों के खिलाफ जांच-पड़ताल कर गंभीर अनियमितता के आरोपों की पुष्टि की गई थी। अनियमितताओं में भूमिका स्पष्ट होने पर मो। मुश्ताक को जून 2016 में शासन के निर्देश पर सस्पेंड कर दिया गया था, वे सितंबर 2016 में ही दोबारा बहाल हुए थे। उन्हें मेरठ का भी एडीशनल चार्ज दिया गया था।