वजह यह रही कि कुछ निजी कंपनियां उन्हें भर्ती करने के लिए तिहाड़ जेल पहुंची. इन क़ैदियों को सज़ा पूरी होने के बाद नौकरी मिलने वाली है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ जो 31 कंपनियां भर्ती के लिए तिहाड़ जेल पहुंचीं, उनमें वेदांता ग्रुप और आईडीईआईएम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ ही ताज महल ग्रुप भी शामिल थीं.

ताज महल ग्रुप ने राजू पारसनाथ नामक क़ैदी को सबसे अधिक वेतन पर नौकरी की पेशकश की है जिन्होंने आठ वर्ष से अधिक समय तिहाड़ जेल में बिताया.

पारसनाथ जेल से रिहा होने के बाद ताज महल ग्रुप में असिस्टेंट बिज़नेस डेवेलपमेंट मैनेजर के तौर पर काम करेंगे और उनका वेतन 35,000 रूपये प्रतिमाह होगा.

अच्छे व्यवहार से मिली नौकरी

उन्होंने जेल में रहते हुए ही इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मु्क्त विश्वविद्यालय से सामाजिक कार्य में स्नातक की उपाधि हासिल की.

वे बताते हैं, ''मैं जब जेल पहुंचा, तब मैं 18 साल का था. मुझ पर हत्या का आरोप था. मेरे अच्छे व्यवहार को ध्यान में रखते हुए मेरी सज़ा कम कर दी गई. मैंने तिहाड़ में रहते हुए स्नातक की पढ़ाई पूरी की और नौकरी मिल गई. उम्मीद करता हूं कि मैं अपने साथ और मुझे काम पर रखने वालों के साथ न्याय कर पाऊंगा.''

तिहाड़ से निकलते ही 35 हज़ार की नौकरी

क़ैदी अशोक सिंह नौकरी के लिए इंटरव्यू देते हुए

तिहाड़ जेल के अधिकारियों का कहना है कि नौकरी पाने वाले अधिकतर क़ैदी वो हैं जिनकी सज़ा पूरी होने वाली है. इन क़ैदियों के अच्छे व्यवहार को उनके चयन का आधार बनाया गया.

हालांकि इस पूरी क़वायद में किसी महिला क़ैदी ने हिस्सा नहीं लिया. इसकी वजह पूछे जाने पर महानिदेशक (कारागार) विमला मेहरा ने कहा कि महिला क़ैदियों के लिए अलग व्यवस्था की जाएगी.

उन्होंने नौकरी पाने वाले सभी क़ैदियों को बधाई दी और आगे बेहतर जीवन की शुभकामनाएं दी.

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