- रेक्टल कैंसर में 30 परसेंट मरीज 30 की कम उम्र के

- एसजीपीजीआई में एसोसिएशन ऑफ सर्जन यूपी चैप्टर का पीजी कोर्स

LUCKNOW: अब युवाओं में भी गुदा मार्ग का कैंसर (रेक्टल कैंसर) की समस्या तेजी बढ़ रही है। डॉक्टर्स के पास आने वाले मरीजों से पता चला है कि इस समस्या को लेकर आने वालों में फ्0 परसेंट मरीज फ्0 वर्ष से कम उम्र के हैं। इस बीमारी का पता तब चलता है जब लगभग 70 परसेंट मरीज डॉक्टर के पास बवासीर (पाइल्स) का इलाज कराने आते हैं। डॉक्टर की जांच से पता चलता है कि उसे रेक्टल कैंसर है। संजय गांधी पीजीआई एसोसिएशन ऑफ सर्जन यूपी चैप्टर के पीजी कोर्स में ये जानकारी गैस्ट्रो सर्जन प्रो.अशोक कुमार ने दी।

स्टेपलर तकनीक से मिलेगी निता

संजय गांधी पीजीआई में आयोजित कांफ्रेंस में शनिवार को प्रो। अशोक कुमार ने बताया कि बड़ी आंत के कैंसर में से फ्0 से ब्0 रेक्टल कैंसर होता है। रेक्टल कैंसर के मरीजों को अब स्टेपलर तकनीक से ठीक किया जा सकता है। जिसमें पहले रेडियोथिरेपी देकर ट्यूमर को कम किया जा सकता है और बाद में सर्जरी कर दी जाती है। डॉ। अशोक ने बताया कि तीन हफ्ते से अधिक समय तक मल के साथ ब्लड आए तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। यह कैंसर के कारण हो सकता है। समय पर इलाज न मिलने से कैंसर लिवर, खून की नलियों और फेफड़े तक में फैल जाता है। जिससे इलाज भी मुश्किल हो जाता है और मरीज की हालत भी गंभीर हो जाती है।

गाल ब्लैडर में पथरी की सर्जरी जरूरी

इस अवसर पर एसजीपीजीआई के प्रो। आनंद प्रकाश ने बताया कि पीठ की तरफ नीचे दर्द, उल्टी, कब्ज या गैस बनने की समस्या होने पर तुरंत अल्ट्रासाउंड कराएं। यह गाल ब्लैडर या पित्ताशय में पथरी के कारण हो सकता है। उन्होने बताया कि पित्ताशय की पथरी को समय से निकालना जरूरी है। लंबे समय तक पथरी न निकलने पर कॉमन बाइल डक्ट (सीबीडी) में चली जाती है। जिससे कैंसर होने के कारण मौत भी हो सकती है। जिन्हें पथरी की समस्या होती है उनमें से ज्यादातर मरीज दवा से ही उसे गलाने का प्रयास करते हैं। जबकि पित्ताशय को निकालना ही इसका सफल इलाज है। अब लैप्रोस्कोपिक सर्जरी में एक दिन में ही मरीज को छुट्टी दे दी जाती है। कांफ्रेंस में बीएचयू के पीडियाट्रिक सर्जरी के हेड प्रो। एएल गंगोपाध्याय ने बताया कि मलद्वार की विकृति को अब एक बार की सर्जरी से ही सुधारा जा सकता है। अब तक कम उम्र में तीन बार सर्जरी करनी पड़ती थी। जिससे बच्चों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता था। लेकिन इस नई तकनीक में एक बार में ही विकृति को सुधार दिया जाता है। इसके लिए विभिन्न देशों से क्भ्0 से अधिक डॉक्टर्स को सर्जरी की ट्रेनिंग दी जा चुकी है।