- शासन ने दिया 597.70 करोड़ का लक्ष्य, महज 276.43 करोड़ हासिल किए

-नोटबंदी का अब तक असर, रही-सही कसर विधानसभा चुनाव ने निकाली

मेरठ: स्टेट गर्वमेंट के लिए बड़ा रेवेन्यू सोर्स प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन औंधे मुंह गिरा हुआ है। नोटबंदी के बाद से ही धड़ाम प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन को विधानसभा चुनाव के दौरान तो मानो लकवा मार गया हो। आलम यह है कि आलाअफसर परेशान हैं और एनुअल टारगेट है कि 50 फीसदी तक पूरा होता नजर नहीं आ रहा है। आई नेक्स्ट की पड़ताल में निकलकर आया कि प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन नवंबर माह से लेकर अब तक पिछली साल की तुलना में 50 फीसदी से अधिक घटे हैं।

एक नजर

597.70 करोड़ रुपये-वित्तीय सत्र 2016-17 का टारगेट।

276.43 करोड़ रुपये-जनवरी 2015 तक एचीवमेंट

569 करोड़ रुपये-वित्तीय सत्र 2015-16 का टारगेट।

351.64 करोड़ रुपये-31 मार्च 2016 तक रजिस्ट्री विभाग ने एचीव किया था।

कुछ यूं गिरा रजिस्ट्रेशन

8 नवंबर (नोटबंदी) के बाद से प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन लगातार गिरा है। विगत 3 माह के तुलनात्मक आंकड़े कुछ यूं हैं, इन तीन माह में रजिस्ट्रेशन गत वर्ष की तुलना में घटकर आधे तक रह गए हैं

नवंवर 2015 नवंबर 2016

24.69 करोड़ रुपये 16.53 करोड़

दिसंबर 2015 दिसंबर 2016

29.83 करोड़ 17.95 करोड़

जनवरी 2016 जनवरी 2017

31.58 करोड़ 15.00 करोड़

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शुक्र है चुनाव ने बचा लिया

प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन को लेकर राज्य सरकार की ओर से जनपदों को टारगेट दिया जाता है और उसकी लगातार समीक्षा होती है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में टारगेट पूरा करना तो दूर उसे छूना तक मुश्किल होगा। ऐसे में नोटबंदी के असर के बाद विधानसभा चुनाव ही एक ऐसी वजह है जिसके चलते शासन का दबाव जनपद मुख्यालयों पर कम होगा। और वैसे भी इस बार वित्तीय वर्ष क्लोजिंग और विधानसभा चुनाव के परिणाम साथ-साथ आएंगे। विभाग की मुश्किलें ऐसे में थोड़ा कम हैं।

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नोटबंदी के बाद से अब तक प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन में गिरावट आ रही है। विधानसभा चुनाव के चलते भी रजिस्ट्रेशन प्रभावित हो रहे हैं।

संजय श्रीवास्तव, एआईजी, स्टांप, मेरठ