छह दिनों तक चले डॉक्टर्स के हड़ताल पर लगा विराम

Court के आदेश और सरकार के प्रयास के बाद शांत हुए मेडिकोज

LUCKNOW: आखिरकार छह दिनों तक चली डॉक्टर्स की हड़ताल गुरुवार की शाम को खत्म हो गई। कोर्ट के आदेश और स्टेट गवर्नमेंट की ओर से उठाया गया कदम चिकित्सा जगत में आए इस तूफान को रोकने में कामयाब हो गया। कोर्ट के फैसले और सरकार के वादे को सुनने के बाद रेजीडेंट डॉक्टर्स ने भी देर शाम अपनी हड़ताल समाप्त करने की घोषणा कर दी। अब सारी स्वास्थ्य सेवाएं फ्राइडे से बहाल हो जाएंगी।

लौटाने का सिलसिला था जारी

केजीएमयू और संजय गांधी पीजीआई में लगातार 6वें दिन हड़ताल जारी थी। केजीएमयू में रेजीडेंट डॉक्टर्स ने और पीजीआई में रेजीडेंट डॉक्टर्स ने कोर्ट के आदेश के बाद इमरजेंसी तो चलने दी लेकिन ओपीडी और अन्य सेवाएं ठप कर रखी थी। मरीजों को लौटाने का सिलसिला जारी था। हालांकि, गम्भीर मरीजों को ट्रामा सेंटर में भर्ती भी किया गया।

IMA की घोषणा

गुरुवार सुबह क्0 बजे सबसे पहले यूपी आईएमएस ने हड़ताल वापसी की घोषणा की। एसोसिएशन के डॉ। रवि मेहरा ने बताया कि सरकार ने रेजीडेंट डॉक्टर्स के खिलाफ सभी मामले वापस ले लिए हैं। उन्हें जेल से छोड़ दिया गया है। वे मेडिकल कॉलेज पहुंच गए हैं। प्रदेश सरकार के सपोर्ट और कोर्ट के निर्देशों को देखते हुए मरीज हित में हमने स्ट्राइक वापस लेने का फैसला किया है।

दिनभर उहापोह

संजय गांधी पीजीआई रेजीडेंट एसोसिएशन ने भी गुरुवार देर शाम हड़ताल वापस ले ली। इससे पहले पीजीआई के रेजीडेंट्स ने दोपहर में सामूहिक इस्तीफा देने की भी घोषणा की थी। दिनभर चले उहापोह के बाद आखिरकार देर शाम समाप्त कर दिया। उधर, फैकल्टी फोरम के अध्यक्ष राजन सक्सेना ने बताया कि संजय गांधी पीजीआई में हड़ताल समाप्त कर दी गई है।

छीन लिए पर्चे

केजीएमयू प्रशासन ने रेजीडेंट्स के काम पर वापस लौटे बगैर गुरुवार सुबह ओपीडी शुरू कर दी। ओपीडी में सीएमएस, प्रॉक्टर व अन्य अधिकारी पहुंचे और पर्चे बनने लगे और ओपीडी में सीनियर फैकल्टी मेम्बर्स ने देखना भी शुरू कर दिया। सीएमएस और प्रॉक्टर जैसे ही ओपीडी से निकले रेजीडेंट डॉक्टर्स ओपीडी में पहुंच गए। रेजीडेंट्स ने मरीजों के हाथ में पर्चा देख गुस्से में सब छीन लिया और अपने सीनियर्स के कमरे में बंद कर दिया। डेढ़ सौ से अधिक मरीजों ने पर्चा ले लिया था लेकिन रेजीडेंट्स के आगे किसी की न चली।

हड़ताल खत्म लेकिन मरीज गायब

केजीएमयू प्रशासन ने गुरुवार से सभी सेवाएं शुरु करने की घोषणा की थी। सीनियर जूनियर रेजीडेंट डॉक्टर्स ट्रॉमा में बेहद गम्भीर मरीजों के लिए बैठे रहे लेकिन सीनियर फैकल्टी मेम्बर्स को भी तैनात किया गया था। मगर ट्रॉमा में मरीज पहुंचे ही नहीं। इस दौरान सिर्फ क्भ् मरीज ही भर्ती किए गए।

रिटायर जस्टिस करेंगे जांच

प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम अनिल कुमार गुप्ता ने बताया कि इस कानपुर की घटना की जांच रिटायर जस्टिस आरएम चौहान करेंगे। इनका ऑफिस लखनऊ में और कैंप आफिस कानपुर में बनाया जाएगा। तीन हफ्ते में जांच पूरी कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिये गये हैं।

क्यों भड़के डॉक्टर?

चौहान कमेटी यह पता लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है, कि इस पूरे मामले ने इतना तूल क्यों पकड़ा? इसके पीछे कारण क्या थे? स्थिति को संभालने के लिए अधिकारियों ने क्या प्रयास किया? साथ ही यह भी रिक्वेस्ट की गयी है कि इस तरह की घटना दोबारा ना हो इसका भी सुझाव दें।