मेरठ में शुरू हुआ परमिशन लेने का कार्य, गुरुवार तक आए करीब 100 आवेदन

सर्वे का कार्य जोरों पर, 2 थानों ने पूरा नहीं किया अभी तक सर्वे

Meerut। मेरठ में अब धर्म स्थलों, सार्वजनिक स्थानों, जुलूसों या जलसों में बिना परमिशन लाउडस्पीकर बजाना भारी पड़ेगा। हाईकोर्ट की सख्ती के बाद गृह विभाग ने मेरठ समेत सभी जिलों के अफसरों को आदेश दिया है कि बिना परमिशन बजाए जा रहे लाउडस्पीकरों को 20 जनवरी तक उतरवा दें। इसके बाद आदेश का उल्लंघन करने वालों को पांच साल का कारावास या एक लाख रुपये का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।

अफसरों की जिम्मेदारी की तय

शासन के निर्देश पर डीएम समीर वर्मा ने गत दिनों मीटिंग के दौरान कहा था कि नाफरमानी करने पर अफसरों को भी कार्रवाई से गुजरना होगा। बता दें कि प्रमुख सचिव गृह को इस मामले में एक फरवरी को हाईकोर्ट को रिपोर्ट देनी है।

नहीं हो सका सर्वे

बात करें मेरठ की तो अभी सर्वे का कार्य पूर्ण नहीं हो सका है। प्रथम चरण में मेरठ के मुस्लिम बहुल कोतवाली, लिसाड़ी गेट और देहली गेट थाना पुलिस को लाउडस्पीकर के सर्वे के निर्देश दिए गए थे। गुरुवार को सिर्फ देहली गेट पुलिस ने सर्वे रिपोर्ट सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय में जमा की है, जबकि शासन की ओर से सर्वे की अंतिम तिथि 10 जनवरी घोषित की गई थी।

15 जनवरी है अंतिम तिथि

जनपद में बिना अनुमति लाउडस्पीकर या अन्य किसी प्रकार के ध्वनि प्रसारण यंत्र के संचालनकर्ता को अनुमति लेने के लिए 15 जनवरी तक का मौका दिया गया है। आवेदक थाना पुलिस या संबंधित क्षेत्र के एसीएम कार्यालय में परमीशन के लिए आवेदन पत्र जमा कर सकते हैं। यदि किसी भी धार्मिक या सार्वजनिक स्थल से लाउडस्पीकर या अन्य किसी प्रकार के ध्वनि प्रसारण यंत्र के संचालनकर्ता द्वारा 15 जनवरी तक अनुमति नहीं ली जाती है, तो ऐसे स्थलों पर से 20 जनवरी तक सभी लाउडस्पीकर एवं ध्वनि यंत्र को उतरवाने की जिम्मेदारी संबंधित क्षेत्र के मजिस्ट्रेट की होगी।

नहीं मानें तो सख्त एक्शन

निर्देश में यह भी कहा गया है कि जिन्हें लाउडस्पीकर या आवाज वाले अन्य यंत्र लगाने की अनुमति दी जाएए वहां भी ध्वनि प्रदूषण नियम-2000 के अंतर्गत क्षेत्र और समय के मुताबिक निर्धारित ध्वनि सीमा का पालन कराया जाए। नियम न मानने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए। शादी समारोहों, जुलूस और जलसों के दौरान भी इनका पालन कराया जाए।

यह है सजा

बिना अनुमति लाउडस्पीकर बजाने पर कड़ी सजा का प्राविधान है। पर्यावरण संरक्षण 1986 अधिनियम की धारा 15 के तहत यह दंडनीय अपराध है। इसका उल्लंघन करने पर पांच साल का कारावास या एक लाख का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। इसके तहत हर दिन के उल्लंघन के पांच हजार रुपए प्रतिदिन की सजा अलग से है।

अभी तक आए 100 आवेदन

सिटी मजिस्ट्रेट एमपी सिंह ने बताया कि मेरठ में अभी तक करीब 100 आवेदन लाउडस्पीकर की परमीशन के लिए आए हैं। 25 आवेदन सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय पहुंचे हैं जबकि करीब 75 आवेदन विभिन्न थानों और संबंधित क्षेत्र के एसीएम कार्यालय पहुंचे हैं।

साइलेंस जोन

वह क्षेत्र जहां पर वाहनों के हॉर्न बजाने पर प्रतिबंधित होता है। उसे साइलेंस जोन कहा जाता है। साइलेंस जोन में सरकारी गैर सरकारी अस्पताल, सरकारी गैर सरकारी शिक्षण संस्थान, कोर्ट, धार्मिक स्थल शामिल है।

डीएम के निर्देश पर मेरठ के प्रमुख 3 थानाक्षेत्रों में प्रथम चरण में लाउडस्पीकर के परमीशन की प्रक्रिया को लागू किया जा रहा है। हालांकि पूरे जनपद में नियत तिथि से पूर्व लाउडस्पीकर की परमीशन लेनी होगी। करीब 100 आवेदन शहरक्षेत्र से आए हैं।

एमपी सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट, मेरठ