Unishe April (1994)
रितुपर्णो की निर्देशित इस फिल्म को दर्शकों ने खूब पसंद किया. यही नहीं इनकी इस फिल्म के लिए इसकी एक्ट्रेस देबाश्री रॉय को बेस्ट एक्ट्रेस के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. इतना ही नहीं इस फिल्म को भी बेस्ट फीचर फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला.
इस फिल्म में मां-बेटी की दिल छू लेने वाली कहानी ने रितुपर्णों को बंगाली फिल्म जगत का बेहतरीन डायरेक्टर बना दिया.   

चोखेर बाली (2003)
फिल्म में ऐश्वर्या राय, प्रसूनजीत और राइमा सेन ने बेहतरीन अभिनय किया. फिल्म आधारित है एक कम उम्र की विधवा के जीवन सफर पर. रितुपर्णो की इस फिल्म को भी बंगाली फिल्म जगत में बेस्ट फीचर फिल्म का पुरस्कार मिला. ये फिल्म रवींद्रनाथ टैगोर के एक उपन्यास पर आधारित है.

रितुपर्णो घोष की चंद बेहतरीन यादें     

रेनकोट (2004)
रितुपर्णो की इस फिल्म ने हिंदी फिल्म जगत में बेस्ट फीचर फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीता. एक बार फिर घोष्ा ने अपने मन की आवाज को बड़े पर्दे पर उतार कर रख दिया. यह फिल्म आधारित है दो ऐसे प्रेमियों की कहानी पर, जो सामाजिक रूढ़ियों के चलते एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं. फिल्म को दर्शकों ने भी खूब पसंद किया और पुरस्कार के जरिए इसे अपना प्रेम दिलाया.

रितुपर्णो घोष की चंद बेहतरीन यादें
The Last Lear (2007)
इस फिल्म ने अंग्रेजी फिल्म जगत में राष्ट्रीय पुरस्कार जीता. घोष की इस फिल्म में बॉलीवुड के कई बड़े एक्टर्स नजर आए. इसमें बिग बी अमिताभ बच्चन के काम को सबसे ज्यादा सराहना मिली. ये फिल्म कहानी है थिएटर और सिनेमा के बीच की.

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साब चरित्रो काल्पनिक (2008)
इस फिल्म ने भी बंगाली फिल्म जगत में राष्ट्रीय पुरस्कार अपने नाम कराया. घोष की इस फिल्म में एक बार फिर प्रसूनजीत नजर आए. इस फिल्म में बिपाशा बासू भी नजर आईं. बिपाशा ने फिल्म में कवि की पत्नी की भूमिका निभाई है. इस सीधे-सादे किरदार में दर्शकों ने फिल्म के साथ बिपाशा बासू की भी बहुत तारीफ की.

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दहन (1997)
इस फिल्म की लोकप्रियता के बारे में सुनकर मन में एक ही सवाल उठता है कि ऐसा क्या था कि फिल्म की दोनों एक्ट्रेसेस (रितुपर्णा सेनगुप्ता और इंद्रानी हलदर) को बेस्ट एक्ट्रेस के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला. फिल्म में घोष को बेस्ट स्क्रीनप्ले के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला. फिल्म में एक औरत की न्याय को लेकर लड़ी जाने वाली लंबी लड़ाई दिखाई गई है.

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बारीवली (1999)
किरन खेर स्टारर फिल्म बारीवली के लिए किरन को बेस्ट एक्ट्रेस का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया. फिल्म और फिल्म में किरन की भूमिका दोनों को दर्शकों ने खूब पसंद किया. इस फिल्म में किरन ने अकेली औरत की भूमिका निभाई है.

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अबोहोमन (2010)
फिल्म ने तीन राष्ट्रीय पुरस्कार जीते. इस फिल्म के लिए घोष को एक बार फिर से बेस्ट डायरेक्टर के खिताब से नवाजा गया. इस फिल्म को जब हिंदी में बनाने की प्लानिंग की गई, तो उन्होंने इसमें विद्या बालन को एक्ट्रेस बनाने का मन बना लिया.

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चित्रांगदा : the Crowning Wish (2012)
घोष ने इस फिल्म में गहराई के साथ कामुकता का वर्णन किया. फिल्म में घोष ने खुद बतौर एक्टर काम किया है. हालांकि फिल्म को बहुत ज्यादा प्रसिद्धि नहीं मिली, लेकिन उनको विश्वास था कि फिल्म समाज में परिवर्तन लाने का बड़ा कारक बनेगी.

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