- मंच के ठीक सामने मैदान के दूसरे छोर वाली भीड़ अचानक अंदर दौड़ पड़ी

-तिरंगा फहराने, परेड की सलामी, झांकियां पूरी होने के बाद मैदान में घुस गए लोग

-लोक कलाकारों के प्रदर्शन के दौरान मैदान में दौड़ती भीड़ का काबू करने में प्रशासन की सांसें फूली

- बमुश्किल भीड़ पर पाया जा सका काबू, राज्यपाल व सीएम मंच पर ही थे मौजूद

देहरादून, एकतरफ देश के 66वें गणतंत्र दिवस के मौके पर आतंकी वारदातों को लेकर 'हाईअलर्ट' जारी था। दूसरी तरफ, कैपिटल सिटी के परेड ग्राउंड में प्रदेश के फ‌र्स्ट और सेकंड पर्सन की मौजूदगी में ही सुरक्षा व्यवस्था की धज्जियां उड़ गई। परेड में कल्चरल इवेंट देखने आई 'आम गणों' की भीड़ ने लोकतंत्र के महापर्व की मर्यादा तोड़ते हुए मैदान में जमकर उत्पात मचाया। बड़ी मुश्किल से स्थिति संभालकर भीड़ को मैदान से बाहर निकाला जा सका।

संभवत: राज्य गठन के बाद यह पहला मौका होगा, जब परेड ग्राउंड में गणतंत्र दिवस के मौके पर ऐसी स्थिति देखने को मिली होगी।

सब ले रहे थे कार्यक्रम का आनंद

26 जनवरी यानि मंडे को गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण के बाद राज्यपाल डा। केके पाल और मुख्यमंत्री हरीश रावत सहित कई गणमान्य मंच पर बैठे हुए थे। इन सभी समेत दर्शक दीर्घाओं में मौजूद हर आदमी झांकियों का आनंद ले रहा था।

इसी दौरान टूटी गणतंत्र की मर्यादा

आखिरी झांकी के गुजरने के दौरान अचानक मुख्य मंच के ठीक सामने दूसरे छोर पर खड़ी भीड़ मैदान के बीच में दौड़ पड़ी। पुलिस ने उन्हें काबू करने का प्रयास किया, पर भीड़ को संभालना भारी दिखाई दिया। भीड़ में मौजूद युवकों में से कुछ ने लोक कलाकारों में मौजूद महिलाओं के मोबाइल से फोटो खींचने और उन पर कमेंट कसने शुरू कर दिए। कुछ पल के यह नजारा भगदड़ जैसा लगा।

लाठीचार्ज के लिए तैयार हो गई थी पुलिस

भीड़ पर काबू न पाते देखकर पुलिसकर्मियों ने अपनी लाठियां संभालते हुए लाठीचार्ज की तैयारी कर ली थी। इस दौरान कुछ युवकों को लाठी के जरिए सही रास्ता भी दिखाया गया, लेकिन ऐनमौके पर पुलिस के आलाधिकारियों ने गणतंत्र पर लाठीचार्ज के पॉलीटिक्ल इश्यू बनने की बात समझते हुए सिपाहियों को सामान्य तरीके से ही भीड़ पर काबू पाने के निर्देश दिए। इसके बाद किसी तरह स्थिति काबू में की जा सकी।