दुकानों पर रही भी़ड़, खरीदा तिरंगा, लगाएंगे बैच

हाथों में पहनने के लिए बैडं की भी अच्छी मांग

फीरोजाबाद : गणतंत्र दिवस मनाने को युवा जोश भी बेताब है। बच्चों से लेकर बड़ों तक इस उत्साह की झलक रविवार को देखने को मिली। स्कूलों में जहां कार्यक्रम की तैयारियां चल रही थी तो बाजार में दुकानो पर बच्चे खुद को तिरंगे से रंगने की तैयारी में जुटे थे। युवा जोश को देख दुकानों पर भी तिरंगा कई रूप में सजा हुआ नजर आया। राष्ट्रीय ध्वज के बैच के साथ में तिरंगे के रंग के बैंड की भी जमकर बिक्री हुई। दुकानें भी तिरंगे के रंग से सजी नजर आई।

झंडों की रही डिमांड

सोमवार को गणतंत्र दिवस है। गणतंत्र दिवस के लिए बाजार भी सजा हुआ है। शहर के क्षेत्रीय बाजारों में दुकानों पर तिरंगे लहराते हुए नजर आए तो सदर बाजार भी तिरंगे रंग में रंगा नजर आया। दुकानदारों ने अपनी दुकानों के बाहर में तिरंगे सजा रखे थे तो कइयों ने तीन रंग के गुब्बारों को सजाया था। सुबह से ही दुकानों पर बच्चों एवं युवाओं की भीड़ नजर आई। जहां छोटे बच्चों की मागं झंडों की रही तो युवा एवं अन्य लोगों ने बैच को भी पसंद किया। गणतंत्र दिवस के इस उत्साह को भुनाने के लिए बाजार ने भी खासी तैयारी की।

नग वाले बैच भी रहे पसंद :

बाजार में पांच रुपये से लेकर 80 रुपये तक के बैच नजर आए। जहां तिरंगे झंडे के सादा बैच की कीमत पांच से लेकर दस रुपये तक थी तो जरकिन के नग वाले बैच युवाओं खासतौर पर युवतियों ने पसंद किए। इन बैच की कीमत 50 रुपये से लेकर 80 रुपये तक रही। वहीं हाथ में पहनने की पांच से दस रुपये की पट्टी को भी बच्चों ने खूब पसंद किया। वहीं मेरा भारत महान सहित अन्य शीर्षक के स्टीकर भी खासे पसंद किए गए।

होटल एवं रेस्टोरेंट में भी झलकेगा तिरंगा जोश :

गणतंत्र दिवस पर होटल एवं रेस्टोरेंट में भी खासी तैयारी हो रही है। रेस्टोरेंट एवं होटल को तिरंगे से रंगने के लिए खासतौर पर गुब्बारे एवं रिबन खरीदे गए हैं। तीन रंग के गुब्बारों से जहां होटल एवं रेस्टोरेंट में तिरंगी छटा बिखरेगी तो शीशों पर रिबन अलग ही नजर आएगा।

पांच से दस रुपये में बिका कागज का झंडा :

प्लास्टिक के तिरंगे पर प्रतिबंध का असर बाजारों में भी नजर आया। बाजारों में प्लास्टिक का झंडा नजर नहीं आया। वहीं इस बार खासतौर पर कागज के तिरंगे बाजार में आए हैं। हालांकि इनकी कीमत प्लास्टिक के तिरंगे की तुलना में अधिक रही। पहले जहां प्लास्टिक का तिरंगा एक या दो रुपये में मिल जाता था। कागज के तिरंगे पांच से लेकर दस रुपये तक में बिके।