- रेरा सचिवालय में 46 बिल्डरों के खिलाफ शिकायतें दर्ज

- बिल्डरों को नोटिस सर्व, कई ने नहीं दिया जवाब

- कल होगी बिल्डरों के खिलाफ शिकायतों की सुनवाई

DEHRADUN: रेरा के जाल में दून के 46 बिल्डर फंस चुके हैं, ये वो बिल्डर हैं जिन्होंने निवेशकों के साथ तय शर्तो का उल्लंघन किया है। निवेशकों द्वारा इसको लेकर रेरा सचिवालय (एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) में शिकायतें दर्ज कराई गई हैं, जिन पर कल सुनवाई होगी। बताया जा रहा है कि शिकायत सही पाये जाने पर संबंधित बिल्डरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। करारनामे का उल्लंघन करने वाले बिल्डर्स को ब्लैक लिस्टेड करने के साथ ही उन पर जुर्माने की कार्रवाई की जाएगी।

रकम वापस दिलाने की मांग

रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट के लागू होने के बाद भी बिल्डरों की मनमानी रुकने का नाम नहीं ले रही। रेरा सचिवालय के तौर पर काम कर रहे ऊडा कार्यालय में दून के बिल्डरों के खिलाफ 46 शिकायतें अब तक दर्ज की जा चुकी हैं। इनमें से 40 शिकायतें ऐसी हैं, जिनमें निवेशकों ने बिल्डरों से अपनी रकम वापस दिलाए जाने की मांग की है।

करारनामे का किया उल्लंघन

अधिकांश बिल्डरों पर आरोप हैं कि उन्होंने करारनामे के तहत तय किए गए समय में उन्हें मकान या फ्लैट का कब्जा नहीं दिया है। कई बिल्डर तो ऐसे हैं जिन्होंने तय समय के दो वर्ष बीत जाने के बाद भी कब्जा नहीं दिया। रेरा सचिवालय के संयुक्त मुख्य प्रशासक व सीडीओ जीडीएस रावत ने स्वीकारा है कि अब तक 46 ऐसी शिकायतें उनके पास पहुंच चुकी हैं। उन्होंने बताया कि इनमें से अधिकांश बिल्डरों को नोटिस जारी कर जवाब मांगे गए हैं, कुछ ने अब तक जवाब भी दाखिल नहीं ि1कया है।

दोहरी मार झेल रहे इन्वेस्टर

कई निवेशकों ने बताया कि उन्होंने बैंक से लोन लेकर बिल्डरों को मकान या फ्लैट के लिए पैसा चुकाया, लेकिन दो वर्ष बीत जाने के बाद भी उन्हें मकान, फ्लैट उपलब्ध नहीं कराया गया। ऐसे में उन्हें बैंक का लोन और ब्याज भी चुकाना पड़ रहा है।

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बिल्डरों से वसूलेंगे जुर्माना

बिल्डर्स व हाउसिंग ग्रुप से परेशान लोगों की सुनवाई के लिए गढ़वाल व कुमाऊं में दो सुनवाई केंद्र बनाए गए हैं। दून में संयुक्त मुख्य प्रशासक जीडीएस रावत के मुताबिक किसी बिल्डर्स के खिलाफ शिकायत सच पाई गई तो बिल्डर को ब्लैक लिस्टेड कर दिया जाएगा। इसके साथ ही बिल्डर पर टोटल कॉस्ट की 10 परसेंट पैनल्टी भी लगाई जाएगी।

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सवा करोड़ रुपए पैनल्टी चुकाई

पुराने प्रोजेक्ट्स को लेकर 30 जुलाई के बाद रेरा के तहत पंजीकरण का आवेदन करने वाले बिल्डरों पर 1,2,5 और 10 परसेंट की पैनल्टी लगाई गई थी। पैनल्टी के तौर पर अभी तक बिल्डरों से करीब सवा करोड़ रुपए जुर्माना वसूला जा चुका है।