रेरा को लेकर नियमों को बदलने की बात कर रहे बिल्डर

- पेनाल्टी के कड़े प्रावधानों पर है ऐतराज

- दस प्रतिशत तक जुर्माना का है प्रावधान

PATNA : जमीन, जमीन का प्रकार और उपयोगिता राज्य का विषय है लेकिन यह विडंबना ही है कि जब इससे जुड़े नियम बनाए जाते हैं तो उसमें राज्य की जरूरतों और जमीनी समस्याओं के लिहाज से एकराय नहीं बनाई जाती है। हम बात कर रहे हैं रियल इस्टेट (रेग्यूलेशन एंड डेवलपमेंट), एक्ट (रेरा) की। रेरा के मुताबिक कोई भी प्रोजेक्ट बिना रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी की मंजूरी के लॉन्च नहीं किया जा सकेगा। बिना रेरा में रजिस्ट्रेशन किए प्रोजेक्ट की बिक्री नहीं शुरू होगी, प्रोजेक्ट पूरा करने में देरी होने पर पेनाल्टी भरनी होगी और खरीदारों से जो पैसा मिलेगा उसका 70 फीसदी कंस्ट्रक्शन वर्क पर खर्च किया जाएगा। यह कई मामलों में आम आदमी के हित की बात है। इसके लिए प्रमोटरों को भी जिम्मेवार बनाया गया है। जिसमें निर्माण से जुड़े हर स्टेकहोल्डर का विवरण होगा। लेकिन फिर भी यह सभी राज्यों के लिए एक समान लागू नहीं किया जा सकता है।

पेनाल्टी सहित अन्य मुद्दों पर हो बदलाव

आगामी पांच अगस्त को रेरा को लेकर बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन से जुड़े विभिन्न पक्षों को इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी। लेकिन उससे पहले जिन बिल्डरों ने इसका पूरा अध्ययन किया है, वे इसमें पेनाल्टी के प्रावधानों को बदलने की बात कर रहे हैं। एक तो पेनाल्टी का प्रतिशत अधिक है और दूसरा यहां की व्यवस्था में सब कुछ तुरंत ऑनलाइन करने की समस्या है। बिल्डर एसोसिएशन ऑफ इंडिया, पटना के पूर्व चेयरमैन एनके ठाकुर ने कहा कि पेनाल्टी और ऑन गोइंग प्रोजेक्ट पर नियमों में बदलाव किया जाना चाहिए।

दस प्रतिशत पेनाल्टी का है प्रावधान

रेरा के रेग्यूलेशन में अध्याय आठ के अंतर्गत जुर्माना और इसमें तय प्रतिशत का उल्लेख किया गया है। इसके मुताबिक धारा भ्9 की उप धारा ख् के अंतर्गत जेल का प्रावधान है। इस संबंध में भू संपदा परियोजना की आकलित लागत का दस प्रतिशत देना होगा। इसी प्रकार, धारा म्ब् के अंतर्गत भी जेल का प्रावधान है। इसमें क्0 प्रतिशत प्रोजेक्ट का देना होगा। वहीं, धारा म्म् के अंतर्गत प्लाट, अपार्टमेंट या भवन जैसा भी मामला हो उसके लिए कुल आकलित राशि का क्0प्रतिशत देना होगा। इसमें कस्टमर के हित को ध्यान में रखते हुए दंड फ्0 दिनों के भीतर तय किया जाएगा।

शिकायत करने के दे एक हजार

जहां एक ओर रेरा को लाने का मकसद लोगों को सहूलियतें देना है और बिल्डरों की मनमानी पर अंकुश लगाना है तो दूसरी ओर यदि कोई पीडि़त व्यक्ति प्राधिकरण के समक्ष अपनी शिकायत लेकर जाता है तो उन्हें फी भी देना होगा। हांलाकि इसके लिए ऑनलाइन पेमेंट करना होगा। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि प्राधिकार जिस किसी को साक्ष्य या मामले की जानकारी लेने के लिए बुलाता है तो उसे उपस्थित होना होगा। यदि ऐसा नहीं होता है तो उसके संबंध में लिखित में अपना स्पष्टीकरण देना होगा।

- अध्याय नौ में प्राधिकरण के पास शिकायत करने और इसके लिए शुल्क जमा करने की है जानकारी

- धारा भ्9, म्म् और म्ब् के नियम एंव उपनियम में दंड के प्रावधान की है चर्चा

- बिल्डर को सभी मामलों में क्0 प्रतिशत देना होगा दंड

- फ्0 दिन के भीतर होगी दंड सुनिश्चित

वर्तमान नियमों में कुछ बदलाव की जरूरत है। विशेष तौर पर पेनाल्टी और ऑन गोइंड प्रोजेक्ट पर संशोधन की मांग करते हैं।

- एनके ठाकुर, पूर्व चेयरमैन बिल्डर एसोसिएशन ऑफ इंडिया, पटना