RANCHI: राजधानी में एक हजार से ज्यादा अपार्टमेंट्स हैं, जिसमें लोग कई सालों से बिना ऑक्यूपेंसी सर्टिफि केट के ही रह रहे हैं। डेवलपर ने अपार्टमेंट बनाकर बेच तो दिया लेकिन ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट लेने की जहमत नहीं उठाई। अब बिल्डरों को बिना ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट के रेरा में रजिस्टर्ड होने में दिक्कत हो रही है। जबकि इसकी लास्ट डेट फ्क् अगस्त करीब आती जा रही है। ऐसे में बिल्डरों ने ऑन गोइंग प्रोजेक्ट का ही ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट लेकर रेरा में रजिस्ट्रेशन कराने की मांग की है।

ऑनगोइंग प्रोजेक्ट में ही लागू हो रेरा

बिल्डर एसोसिएशन क्रेडाई के अध्यक्ष कुमुद झा बताते हैं कि बहुत सारे अपार्टमेंट बन चुके हैं और लोग रह रहे हैं। लेकिन सिर्फ ख्0 से ख्भ् प्रोजेक्ट को ही पिछले फ्0 -फ्भ् सालों में सरकार द्वारा ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट दिया गया है। अब रेरा में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए बिल्डरों और डेवलपर से सभी वैसे प्रोजेक्ट का ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट मांगा जा रहा है, जिसका निर्माण उन्होंने सालों पहले किया है। डेवलपर को परेशानी हो रही है कि रेरा में रजिस्ट्रेशन में परेशानी शुरू हो गई है। ऐसे में बिल्डर एसोसिएशन ने मंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि सिर्फ फ्क् मार्च ख्0क्7 के बाद वाले प्रोजेक्ट को रेरा में शामिल किया जाए। श्री झा ने बताया कि हमने नगर विकास मंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि जो प्रोजेक्ट अभी चल रहे हैं, उसके लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जाए

सालों पहले अपार्टमेंट बेच चले गए डेवलपर

उन्होंने कहा कि बहुत सारे डेवलपर कई साल पहले ही अपार्टमेंट बनाकर और लोगों को बेचकर चले गए। अब उसमें सालों से लोग रह रहे हैं, ऐसे में उस प्रोजेक्ट के ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट के लिए सारा डिटेल्स मिलने में परेशानी है। हमलोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि पुराने प्रोजेक्ट को इससे दूर रखा जाए।

दूसरे राज्यों में शर्तो के साथ छूट

छत्तीसगढ, उतर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, तेलंगाना, कर्नाटक जैसे राज्यों में वहां की सरकारों ने कुछ शर्तो के साथ इन पुराने प्रोजेक्ट्स को बाहर रखा है। इन राज्यों में रेरा के तहत सिर्फ वैसे प्रोजेक्ट का ही रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है, जो ऑन गोइंग हैं। लेकिन झारखंड में ऐसा नहीं है। यहां वैसे सभी प्रोजेक्ट का ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट मांगा जा रहा है, जिसका कंस्ट्रक्शन सालों पहले भी हुआ है।

क्या है सरकार का निर्देश

रांची में 700 से अधिक प्रोजेक्ट्स पूरे हो चुके हैं, जिसमें लोग रह रहे हैं और उनका ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट नहीं मिला है। झारखंड सरकार के नगर विकास एवं आवास विभाग ने एक आदेश जारी किया है कि वैसे प्रोजेक्ट्स जिनका ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट किसी भी नगर निकाय या नगर निगम, या प्राधिकार से जारी नहीं हुआ है, उसका रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा। नगर विकास विभाग ने जो आदेश जारी किया है इसके लिए फ्क् अगस्त तक का समय दिया गया है। सबसे परेशानी वैसे प्रोजेक्ट्स के लिए हो रही है, जो दस साल पहले ही पूरा हो चुका है। अब बिल्डर परेशान हैं कि जिस प्रोजेक्ट का काम पूरा हो गया है, उसका सर्टिफिकेट कहां से लाएं।

फ्क् अगस्त है लास्ट डेट

पूरे देश में रेरा एक्ट एक मई से ही लागू हो गया है। हर राज्य को रियल एस्टेट अथॉरिटी बनाकर प्रोजेक्ट्स का रजिस्ट्रेशन करना है। झारखंड में नगर विकास विभाग ने क्भ् मई को ही अथॉरिटी बनाने का आदेश जारी किया है, लेकिन रजिस्ट्रेशन का नोटिफिकेशन ख्म् जुलाई को जारी किया गया। फ्क् जुलाई लास्ट डेट था, जिसे बढ़ाकर फ्क् अगस्त किया गया है।

ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन भी परेशानी

झारखंड में रेरा के तहत बिल्डरों को ऑफ लाइन रजिस्ट्रेशन कराना है। नगर विकास विभाग को अपनी वेबसाइट भी बनानी थी, ताकि रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन हो और फ्लैट खरीदार वेबसाइट पर पूरी डिटेल्स देख सकेंगे। अब बिल्डरों की परेशानी है कि हार्ड कॉपी और रजिस्ट्रेशन फीस की डिमांड ड्राफ्ट जुडको में बने रियल एस्टेट सेल में जमा करनी होगी।

वर्जन

क्रेडाई की ओर से नगर विकास मंत्री को पत्र लिखकर मांग की गई है कि फ्क् मार्च ख्0क्7 के पहले वाले प्रोजेक्ट्स का ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट नहीं मांगा जाए। इसके बाद के ऑन गोइंग प्रोजेक्ट के लिए ही रेरा में रजिस्ट्रेशन लागू हो। दूसरे कई राज्यों में कुछ शर्तो के साथ यही नियम लागू है।

-कुमुद झा, अध्यक्ष, केडाई, झारखंड