माफ करना गौरव, हम शर्मिदा हैं

-30 घंटे तक चला रेस्क्यू ऑपरेशन भी साबित हुआ विफल

-प्रशासन, नगर निगम और फायर ब्रिगेड कर्मचारियों के हाथ खाली

Meerut: स्मार्ट सिटी, मेट्रो और एयरपोर्ट जैसी महायोजनाओं के लिए दावा ठोक एक ओर जहां अब हाईटेक सिटी होने का दम भरते हैं। वहीं हाईटेक बनने के लिए हमारा होमवर्क किस स्तर का है, इसकी पोल गौरव रेस्क्यू ऑपरेशन से खुलकर सामने आ गई। प्रशासन की देखरेख और नगर निगम समेत तीन विभागों का तमाम अमला नाले से एक बच्चे की बॉडी तक नहीं निकाल पाया। सवाल सिर्फ बच्चे की बॉडी का नहीं, मेट्रो सिटी होने की बात करने वाले हमारे सिस्टम की क्षमता क्या इतनी दयनीय है कि 30 घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद भी कुछ हाथ न लग सका।

सिस्टम पर भारी नाला

शनिवार को फूलबाग कालोनी के पास सूरजकुंड नाले में गिरे गौरव की बॉडी गुम हो जाना सिस्टम के गाल के तमाचा है। सिस्टम और सफाई कर्मचारियों की फौज पर सूरजकुंड नाला भारी पड़ गया। ऐसा तो तब है जब मेरठ विकास प्राधिकरण और नगर निगम नालों की स्टडी के लिए विदेश जाने तक की बात करते हैं।

कितने स्मार्ट हैं हम

रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान स्मार्ट सिटी की दावेदारी कर रही हमारी स्मार्टनेस ने भी दम तोड़ दिया। ऑपरेशन के दौरान मौके पर पहुंचे गणमान्य नेताओं से लेकर अफसरों तक कोई अपनी स्मार्टनेस का अंदाजा शायद न हुआ है, लेकिन इस एक मामले ने ही हमारी तैयारी की स्पष्ट तस्वीर सामने ला दी।

जूझती रही एक मशीन

अब जबकि नगर निगम के 3310 सफाई कर्मचारियों की भारी फौज के अलावा तमाम आधुनिक मशीने मौजूद हैं, बावजूद इसके गौरव की तलाश में दो दिनों में निगम की एक मशीन ही जूझती रही, लेकिन अमले में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई।

बच्चे को ढूंढने के प्रयास किए जा रहे हैं। मेयर से बात भी हुई थी। उनका कहना है टीम निरंतर बच्चे को ढूंढने का प्रयास कर रही है।

-राजेन्द्र अग्रवाल, सांसद मेरठ

नगर निगम से और अधिक संसाधन बढ़ाने की बात करूंगा। नाले से बच्चे की बॉडी का न मिलना सही शर्मनाक बात है। इसमें हमारी नैतिक जिम्मेदारियां भी शामिल हैं।

-हरिकांत अहलूवालिया, मेयर

वास्तव में शर्मनाक बात है कि इतनी मशीनरी लगने के बाद भी एक बच्चे को नहीं खोज सके। मामले में डीएम से बात कर फीडबैक लिया जाएगा।

-सत्यप्रकाश अग्रवाल, कैंट विधायक

नाले में बच्चा गिर जाने की घटना बहुत दुखद घटना है, लेकिन यह भी खराब स्थिति है कि उसी समय से नगर की टीम व पुलिस बच्चे को ढूंढने में लगी है, लेकिन बच्चे को खोजने में नाकाम रही है।

-रविन्द्र भड़ाना, विधायक मेरठ दक्षिण

नाले से बच्चे की बॉडी न मिलने वाकई गंभीर बात है। इसके साथ कहीं न कहीं हमारे प्रशानिक तंत्र की नाकामी छिपी हुई है। प्रशानिक तंत्र शिथिल है।

-अमित अग्रवाल, पूर्व विधायक

नालों को कवर करने या ग्रिल लगाने के लिए नगर निगम को लिखा गया था। बावजूद इसके निगम ने कोई कार्रवाई नहीं की। नगर आयुक्त को फिर से पत्र लिखा जाएगा।

पंकज यादव, डीएम

बच्चे की बॉडी निकालने के लिए पूरा अमला लगा रखा है। नगर स्वास्थ अधिकारी जरूरत के अनुसार अधिक संसाधनों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

-उमेश प्रताप सिंह, नगर आयुक्त