इस ठंड में तिरपाल के नीचे सोने को मजबूर हैं दीघा चौहट्टा के लोग

-कभी भी गिर सकता है डैमेज घर, रेलवे को नहीं दिख रहा पब्लिक का दर्द

-रेलवे ने कहा-भू-अर्जन डिपार्टमेंट को दे दी गयी है मुआवजे की राशि

- लोकल लोगों की डिमांड-जब तक मुआवजा नहीं मिलेगा, नहीं होने देंगे काम

PATNA: गंगा रेल कम रोड ब्रिज का साउदर्न एप्रोच यानी दीघा चौहट्टा के पास दस दिन पहले फ्भ् नंबर पाया का कुआं धंस गया था, जिसमें दस घर दरक गए थे। इसके बाद लोगों ने रेलवे के काम को रोक दिया था। दस दिन के बाद गुरुवार ख्0 नवंबर को काम फिर से शुरू हुआ, जिसे लोगों ने बंद करवा दिया। लोकल पब्लिक का कहना है कि जब तक मुआवजा नहीं मिलेगा, काम नहीं होने देंगे।

मुआवजा लेने वाले लौटे खाली हाथ

दस दिनों से बॉटम प्लग का काम बंद था। गुरुवार को मुआवजे के लिए रेलवे के ऑफिसर्स ने प्रभावित लोगों का लिस्ट दिया और भू-अर्जन विभाग से राशि लेने की बात कही। सभी मुआवजे लेने गए, लेकिन वहां से खाली हाथ लौट गए। भू-अर्जन विभाग में बताया गया कि आज बड़ा बाबू नहीं आए हैं। चार-पांच दिन बाद आइएगा। इसके बाद उग्र पब्लिक ने काम बंद करा दिया। लोगों का कहना है कि जब तक मुआवजा यहीं कैंप लगाकर नहीं दिया जायेगा, काम नहीं होने देंगे। पीडि़त अनिल चौधरी ने बताया कि हमें धमकी दी जा रही है कि अगर काम नहीं होने दोगे, तो पुलिस को बुलाकर लाठी चार्ज की जाएगी।

'काफी कम है कंपनसेशन की राशि'

जिन दस लोगों का घर डैमेज हुआ, उन्हें गुरुवार को मिलने वाले मुआवजे की लिस्ट सौंपी गई। सभी को मिलाकर मात्र आठ लाख सत्रह हजार आठ सौ बहत्तर रुपए दिए जाएंगे। प्रभावित लोगों ने राशि का आकलन कम करने का आरोप लगाया है। राजकुमार ने बताया कि दस लोगों को मिलाकर कम से कम रेलवे को पंद्रह लाख रुपया देना चाहिए। प्रभावितों ने कहा कि हमारे डैमेज घरों का जो आकलन गवर्नमेंट ने की है, उसे हम नहीं मानेंगे। हमलोग खुद इंजीनियर रखेंगे उसके बाद ही सही आकलन होगा। रेलवे हमलोगों को ठग रही है।

पेड़ के नीचे गुजरती हैं ठंडी रातें

रंजू देवी की घर की स्थिति ऐसी है कि वे अपने बच्चों के साथ उसमें रह ही नहीं सकती हैं। डैमेज घर कभी भी गिर सकता है। रंजू बारह दिन से दस फैमिली मेंबर्स के साथ नीम पेड़ के नीचे तिरपाल टांग कर रह रही हैं। घर में चार छोटे-छोटे बच्चे हैं। रंजू कहती हैं कि रात में अधिक प्रॉब्लम होती है। बच्चे ठंड में सिकुड़ते रहते हैं। चारों बच्चा बीमार पड़ गया है। किसी को बुखार है, तो कोई खांस रहा है, लेकिन एडमिनिस्ट्रेशन को इन बच्चों की कोई चिंता ही नहीं है। रंजू ने बताया कि घर में औरत और मर्द को काफी प्रॉब्लम होती है सोने-बैठने में।

हमलोग डायरेक्ट पेमेंट नहीं कर सकते। भू-अर्जन को पैसा ट्रांसफर हो गया है। गुरुवार को ही मुआवजा मिल जाता, पर एक ऑफिसर के घर में हादसा हो जाने से नहीं दिया गया। रही बात कम आकलन का, तो यह भवन निर्माण विभाग ने किया है और यही अंतिम निर्णय है। इसी के आधार पर मुआवजा मिलेगा।

-डीपी विद्यार्थी, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर

रेलवे के लोग हमें काम नहीं होने पर लाठीचार्ज करवाने की धमकी देते हैं। हम रेलवे से भीख नहीं हक मांग रहे हैं। जबतक मुआवजा नहीं मिलेगा, काम किसी भी कीमत पर नहीं होने देंगे।

-सुनीता, लोकल पब्लिक

रेलवे किसी को चार दिन बाद और किसी को दो दिन बाद मुआवजा देने की बात कह रही है और किसी से एक हप्ते का टाइम मांग रही है। रेलवे हमें उल्लू बना रही है। रेलवे यहीं कैंप लगाकर मुआवजा दे तभी काम शुरू होगा।

-राजकुमार, लोकल पब्लिक

भू-अर्जन डिपार्टमेंट गए थे मुआवजा लेने लेकिन खाली हाथ लौट आए। वहां बताया गया कि बड़ा बाबू नहीं हैं। गरीब आदमी हैं हम आने-जाने में साठ रुपए खर्च हो गया। रेलवे पैसा नहीं देगी तो हम काम नहीं होने देंगे। रेलवे को इस बात की चिंता ही नहीं है कि हमलोग कैसे रह रहे हैं।

-बुटाई चौधरी, लोकल पब्लिक

दस दिन हो गया है घटना हुए। रोज आजकल कर रही है रेलवे। झूठ बोलकर अपना काम निकालना जानती है। हमलोग झांसे में आने वाले नहीं हैं। पहले पैसा दे तभी काम होगा।

-रामजी, लोकल पब्लिक