पति की मौत के बाद 25 वर्ष की उम्र में संभाली परिवार और बिजनेस की जिम्मेदारी

ALLAHABAD: गैस एजेंसी के फिल्ड में आज भी पुरुषों का वर्चस्व है। प्रयाग गैस एजेंसी की संचालिका कविता सिंह यादव पुरुषों के वर्चस्व वाले इस बिजनेस में अपवाद हैं। उन्होंने 25 वर्ष की उम्र में पति की मौत के बाद दो छोटे-छोटे बच्चों के साथ परिवार और बिजनेस को न सिर्फ संभाला, बल्कि बिजनेस को बढ़ाया भी। कविता सिंह यादव आज उन महिलाओं की लिस्ट में शामिल हैं, जिन्होंने अपनी हिम्मत की वजह से कठिन से कठिन परिस्थि्तियों को मात दिया है। आईए जानते हैं कविता सिंह यादव के संघर्ष की कहानी

जीवन में कब आया टर्निग प्वाइंट?

1993 में विजय सिंह यादव से शादी हुई। शादी के बाद करीब नौ वर्ष का समय बहुत अच्छा बीता। कुछ पता ही नहीं चला। पति का पूरा साथ मिला। लेकिन 2006 में अचानक जिंदगी में ऐसा तूफान आया कि सब कुछ बिखर गया। तीन घंटे में ही वे दुनिया छोड़ कर चले गए। पति को खोने का गम भुलाने में पांच साल लग गए। यह घटना जीवन का सबसे बड़ा टर्निग प्वाइंट था। 2006 से 2010 का टाईम मुझे याद ही नहीं है। धीरे-धीरे समझ में आया कि जिसे जाना था, वह चला गया अब मेरा परिवार ही सब कुछ है।

कैसे खुद को संभाला?

शुरू में तो बहुत मुश्किल हुआ। घर से बाहर निकलना, काम देखना। दिन भर बस सोच में डूबी रहती थी। दोनों बच्चे निरूपम व तेजस इतने छोटे थे कि कुछ समझ नहीं सकते थे। कुछ सोचती रहती थी। लेकिन फिर प्रण किया कि अब परिवार और बच्चों के लिए जीना है। सोशल वर्क की ओर रूझान बढ़ाया। इसके जरिये जिंदगी की उस हकीकत को देखा जिससे मैं बहुत दूर थी। तब कहीं जाकर समझ में आया कि दुनिया में मुझसे भी दुखी बहुत लोग हैं।

परिवार और बिजनेस, कैसे मैनेज किया?

मेरा जो काम है, वह गैस एजेंसी का है। गैस एजेंसी में 24 घंटे देना जरूरी नहीं है। यह मेरे लिए प्लस प्वाइंट है। बेटा जब स्कूल में रहता है, तो मैं एजेंसी में रहती हूं। जब उसका स्कूल टाईम खत्म होता है तो मैं खुद उसे रिसीव करने स्कूल पहुंच जाती हूं। बड़ा बेटा देहरादून में रहता है। उसे भी समय देती हूं। महीने में कुछ दिन उसके साथ समय बिताती हूं।

अब लक्ष्य क्या है?

मैं अपने बिजनेस को बढ़ाना चाहती हूं। ट्रांसपोर्ट फील्ड में उतरने की तैयारी कर ली है। मेरा पैशन है सोशल वर्क, जिसे हाई स्केल पर करने की तैयारी कर रही हूं। पति के बिजनेस को बढ़ाने का पूरा प्रयास कर रही हूं और अपने काम से संतुष्ट हूं। बिजनेस के जरिये ही परिवार की जिम्मेदारी संभाल रही हूं। बच्चों को पढ़ा रही हूं और समाज सेवा भी करती हूं।