-यूपी बोर्ड में प्रदेश की सूची से इलाहाबाद का सूपड़ा साफ

--CBSE व CISE में भी जिले तक रह गए सीमित

--JEE mains में ज्यादातर का अच्छा प्रदर्शन नहीं, UPSEE में भी साबित हुए फिसड्डी

-बंद होने के कगार पर आईएएस व पीसीएस की फैक्ट्री

vikash.gupta@inext.co.in

ALLAHABAD: आईएएस हो या पीसीएस, इंजीनियरिंग हो या फिर बोर्ड के एग्जाम्स, एजुकेशन का हब इलाहाबाद हर मामले में पिछड़ने लगा है। हाल ही में आए रिजल्ट्स कुछ ऐसा ही संकेत दे रहे हैं। टॉपर्स की सूची में एक भी इलाहाबादी नहीं है।

अंडर फिफ्टी में भी नहीं हैं

पहले बात हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के यूपी बोर्ड के रिजल्ट्स की। यूपी बोर्ड 10वीं के रिजल्ट में जिले का परिणाम 77.37 और 12वीं का परिणाम 92.21 प्रतिशत था। चौंकाने वाला फैक्ट यह है कि छप्पर फाड़ रिजल्ट होने के बाद भी इलाहाबाद, प्रदेश के अंडर 50 जिलों में अपना स्थान सिक्योर नहीं कर सका। खास बात यह भी है कि प्रदेश के टॉपर्स की सूची में भी यहां के छात्रों को जगह नहीं मिली। गौर करने वाली बात है कि हाईस्कूल में प्रदेश की टॉपर महारानी लक्ष्मी बाई इंटर कालेज बाराबंकी की प्रेरणा वर्मा को 98 प्रतिशत अंक मिले थे जबकि इलाहाबाद की टॉपर होने का गौरव शेयर करने वाली सेंट एंथोनी की स्मिता सिंह, बीबीएस की साक्षी पांडेय और विप्लव को 94.83 फीसदी अंक ही मिले। इंटरमीडिएट की टॉपर राम सेवक स्मारक इंटर कॉलेज बाराबंकी की दीक्षा वर्मा के 97.40 फीसदी अंकों के मुकाबले इलाहाबाद जिले की टॉपर एसपी इंटर कॉलेज कोरांव की रचना सिंह 95.80 फीसदी पर अटक गई।

CBSE क्ख्वीं में रायबरेली ने दिया टॉपर

सीबीएसई रिजल्ट्स के मामले में तस्वीर ज्यादा जुदा नहीं थी। क्ख्वीं में इलाहाबाद टॉप करने वाले महर्षि पतंजलि विद्या मंदिर के सचिन मिश्रा को 97 फीसदी अंक मिले जबकि रीजन टॉप करने वाली मणिपाल पब्लिक स्कूल रायबरेली की कृति सपरा को 98.ख् फीसदी अंक मिले थे।

सीआईएसई क्0वीं में टॉप करने वाले ब्वायज हाईस्कूल के अक्षित चावला को 9म्.म् फीसदी अंक मिले थे जबकि देश में तीसरा और प्रदेश में पहला स्थान सिक्योर करने वाले अक्षित चावला और सिटी मांटेसरी स्कूल एवं चिन्टेस स्कूल कानपुर की यश माहेश्वरी के अंक 98.ख् फीसदी थे। क्ख्वीं में टॉप करने वाले जमशेदपुर के आयुष बनर्जी को 99.ख्भ् फीसदी अंक मिले थे और इलाहाबाद के टॉपर सेंट मेरीज कांवेंट इंटर कॉलेज की सुरेर सेहर गांधी और बीएचएस के शुभम ने संयुक्त रूप से 97.ख्भ् फीसदी अंक ही हासिल किया।

जेईई व यूपीएसईई में बंपर रिजल्ट क्यों नहीं

परीक्षा परिणामों पर एक्सप‌र्ट्स का कहना था कि एक समय में यूपी बोर्ड का रिजल्ट ब्0 परसेंट क्रास करना बड़ी बात थी। अब यूपी बोर्ड ने भी सीबीएसई और सीआईएसई के पैटर्न पर रिजल्ट देना शुरू कर दिया है। इससे भारी भरकम रिजल्ट आने लगा है लेकिन बात वहीं पर आकर अटक गई है कि जब छात्र इतने टैलेंटेड हो गए हैं इसका रिफ्लेक्शन जेईई मेंस एडवांस्ड, यूपीएसईई और एआईपीएमटी जैसी परीक्षाओं क्यों नहीं दिखता।

एक प्रतिशत का अंतर भी बहुत बड़ा

एक्सप‌र्ट्स सीबीएसई क्0वीं के परिणाम में सीजीपीए देकर सभी को पास कर देने के ट्रेंड से नाखुश हैं। उनका कहना है कि यहां तो मूल्यांकन के लिए कुछ बचा ही नहीं है। कहा, सीबीएसई और सीआईएसई जैसे बोर्ड जनपदवार पूरा परिणाम डिक्लेयर करें तो इससे कई बातें निकलकर सामने आएंगी। उनका कहना है कि भले ही सीबीएसई और सीआईएसई के परिणाम में प्रदेश या देशभर के टॉपर्स और जिले के टॉपर्स के कुल अंकों में प्रतिशत का अंतर काफी कम समझ में आए। लेकिन, आप इसे बड़ा गैप ही मानकार चलिए। क्योंकि इंटर के हिसाब से पांच सौ के पूर्णाक में एक प्रतिशत प्राप्तांक का अंतर पांच नम्बर होता है। यह फासला कम नहीं है।

रिजल्ट खोलते हैं पोल

एक्पसटर््स की बातें सच भी हैं। इंटरमीडिएट में बंपर परिणाम हासिल करने वाले परीक्षार्थी यूपीएसईई के रिजल्ट में मुंह के बल गिरे हैं। स्पेशली इलाहाबाद का रिकार्ड काफी खराब है। इस परीक्षा से जुड़े सभी प्रमुख कोर्सेस में प्रदेश लेवल पर घोषित टॉपर्स में में इलाहाबाद से एक भी छात्र नहीं है। इसमें बीटेक सेंकेंड इयर डिप्लोमा लेटरल इंट्री को अपवाद स्वरुप छोड़ा जा सकता है। इसमें हंडिया के योगेश मिश्रा ने सूबे में पहली रैंक हासिल करके कुछ सम्मान जरूर बचा लिया। ऐसा ही हाल जेईई मेंस के परिणाम में निकल कर आए छात्रों के स्कोर्स का भी है। हालांकि अभी जेईई मेंस का फाइनल रिजल्ट इंटर के अंकों के साथ जुड़कर आना बाकी है। लेकिन जानकार इससे बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं लगा रहे।

आईएएस निकलने हो गए हैं बंद

बोर्ड ही नहीं आईएसएस और पीसीएस जैसी परीक्षाओं के रिजल्ट का हाल भी कुछ ठीक नहीं चल रहा। कभी आईएएस की फैक्ट्री रही इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में तो जैसे सूखा ही पड़ चुका है। थर्सडे को आए सिविल सर्विसेस ख्0क्फ् के फाइनल रिजल्ट्स को ही लें तो रिजल्ट आने के बाद से यूनिवर्सिटी से जुड़े सभी हास्टल्स में सन्नाटा पसरा हुआ है। यहां तक कि एक समय आईएएस और पीसीएस देने में आगे रहने वाले एएन झा हास्टल में भी इस बार खामोशी है। अंगुली पर गिनने लायक जो नाम इलाहाबाद से जुड़े हैं। उनमें ज्यादातर की हकीकत यह है कि वे कई वर्षो से बाहर रहकर तैयारी कर रहे हैं।

पीसीएस तो पूरे होते थे इलाहाबाद से

बात उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन इलाहाबाद के पीसीएस एग्जाम की करें तो इसमें भी पिछले कई सालों से इलाहाबादियों का डंका बजना बंद कर दिया है। ज्यादातर बाहरी छात्र टॉपर्स लिस्ट में नाम दर्ज करा पा रहे हैं। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में केमेस्ट्री डिपार्टमेंट के प्रोफेसर जगदम्बा सिंह बताते हैं कि वर्ष क्980 से पहले तक यूनिवर्सिटी के एक एक हास्टल से दस से पन्द्रह की संख्या में आईएएस निकला करते थे। पीसीएस जैसी परीक्षा का तो हाल यह था कि तकरीबन पूरे के पूरे पीसीएस ही इलाहाबाद से निकला करते थे। प्रो। सिंह बताते हैं कि उस समय इलाहाबाद से आईएएस और पीसीएस की भरमार होना आम बात थी। इन परीक्षाओं का फार्म डालने वाले छात्र इसे छिपाकर रखने में ही अपना सम्मान समझते थे। क्योंकि, सीनियर्स को पता चल जाता था कि अमुक छात्र ने इन परीक्षाओं का फार्म डाला है तो वे उन्हें यह कहकर हड़काते थे कि कुछ और नहीं मिला तो बाबूगिरी करोगे। उनका आशय बड़ा रिसचर्स से था। बावजूद इसके अगर कोई परीक्षा निकाल लेता था तो वह बिना किसी को बताए चुपके से जाकर नौकरी ज्वाइन कर लेता था।

जेईई मेंस का रिजल्ट ठीक ठाक कहा जा सकता है। यूपीएसईई का रिजल्ट खराब रहने की बड़ी वजह इसकी परीक्षा में अच्छे स्टूडेंट्स का न बैठना है। बोर्ड की परीक्षाओं में बेहतर परिणाम हासिल करने वाले औसत छात्रों का आगे चलकर फिसड्डी हो जाना बड़ी चिंता का विषय है।

सुजीत कुमार सिंह, डायरेक्टर केमिका प्वाइंट

यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में व्यापक स्तर पर नकल छिपी बात नहीं है। इसके बाद भी बंपर रिजल्ट आना गलत चीजों को प्रश्रय देने के समान है। यही कारण है कि वे बड़ी परीक्षाओं में सफल नहीं हो पाते। सभी को पास कर देने की टेंडेंसी सही नहीं है।

प्रोफेसर आईआर सिद्दकी,

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी केमेस्ट्री डिपार्ट्मेंट

आईएएस, इंजीनियरिंग या फिर मैनेजमेंट की तैयारी के लिए इलाहाबाद में बेहतर ढांचा नहीं है। तैयारी के लिए ज्यादातर छात्र दिल्ली चले जाते हैं। इसमें व्यापक स्तर पर सुधार की जरूरत है तभी अच्छे दिन आएंगे। सीबीएसई और आईएसई के अधिकतर छात्र सुविधा सम्पन्न होते हैं जो अपने आपको संसाधनों के दम पर संभाल लेते हैं। यूपी बोर्ड वालों के लिए ज्यादा चिंताजनक माहौल है।

डॉ। एनके शुक्ला,

जेके इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड फिजिक्स एंड टेक्नोलॉजी

शिक्षा का स्तर उठाना जरूरी है। लेकिन, यह भी मानना होगा कि अब उस तरह के छात्र भी नहीं रह गए हैं। हम आज भी अपने गुरुओं या फिर सीनियर्स से धीमे स्वर में ही बात करते हैं। लेकिन नैतिकता के पतन के दौर में वर्तमान ने बहुत कुछ बदल दिया है। युवा राह से भटक गए हैं।

प्रोफेसर जगदम्बा सिंह,

केमेस्ट्री डिपार्ट्मेंट इलाहाबाद यूनिवर्सिटी