विधि मंत्रालय ने करायी सरकार की किरकिरी

इलाहाबाद हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में प्रदेश के 13 अपर महाधिवक्ताओं को पदेन लोक अभियोजक घोषित करने का 18 जुलाई का शासनादेश वापस ले लिया गया है। इसे संशोधन कानून 1991 के तहत यह जारी किया गया था। इसे हाई कोर्ट पहले ही असंवैधानिक घोषित कर चुका है। इसके बाद शासनादेश की गलती सुधारते हुए वापस ले लिया गया। न्याय विभाग ने चुनिंदा कुछ अपर महाधिवक्ताओं का नाम हाई कोर्ट से परामर्श के लिए भेजा है। जिस पर चीफ जस्टिस सहित वरिष्ठ न्यायमूर्तियों की 9 सदस्यीय प्रशासनिक कमेटी विचार करेगी। इसके बाद नये सिरे से आदेश जारी होगा।

हाई कोर्ट का परामर्श अनिवार्य

दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 24 के अन्तर्गत लोक अभियोजक व अपर लोक अभियोजकों की नियुक्ति से पूर्व हाई कोर्ट से परामर्श लेना अनिवार्य है। शासनादेश जारी करने में इसका पालन नहीं किया गया था। वरिष्ठ अधिवक्ता अमरनाथ त्रिपाठी के अनुसार लोक व अपर लोक अभियोजकों की नियुक्ति धारा 24 में होती है। यह वैधानिक पद है। अपर महाधिवक्ताओं की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 162 के तहत प्राप्त प्रशासनिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए की जाती है। इसके लिए कोई नियम, गाइड लाइन व कार्य निर्धारित नहीं है। शासन के अनुरोध पर आवंटित केस में बहस कर फीस लेने का अधिकार दिया गया है। जिन्हें लोक अभियोजक या विशेष लोक अभियोजक न होने के कारण आपराधिक मुकदमो में बहस का अधिकार नहीं है। ऐसे में पदेन लोक अभियोजक नियुक्त नहीं किया जा सकता। विशेष लोक अभियोजक व्यक्तिगत रूप से बनाया जा सकता है।

अधिवक्ता ने की थी शिकायत

आपराधिक मामलों में बहस कर फीस लेने की शिकायत आदर्श अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष शरद चन्द्र मिश्र ने मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव वित्त व विधि से की और अवैध भुगतान तत्काल रोकने तथा इसकी जवाबदेही तय करने की मांग की है। पूर्व शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि साधना शर्मा केस संख्या 7825/2011 में 11 जनवरी 12 के आदेश से हाई कोर्ट ने 1991 के संशोधन कानून को असंवैधानिक करार दिया है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एसएलपी भी वापस ले ली है। सुप्रीम कोर्ट ने उप्र राज्य बनाम जौहरीमल केस में सरकार को 1991 के संशोधन कानून को दंड प्रक्रिया संहिता से हटाने का निर्देश देते हुए कहा है कि हाईकोर्ट के परामर्श से ही अभियोजकों की नियुक्ति की जाय। न्याय विभाग ने हड़बड़ी में कोर्ट के फैसलों की अनदेखी कर शासनादेश जारी किया था। जिस पर महानिबन्धक ने भी सवाल उठाये थे।