वहीं डीएवी पीजी कॉलेज में काफी दिनों बाद फिर से डिसिप्लींड और बेहतर एजुकेशन का माहौल दिखने लगा है। इसका असर ये हो रहा है कि अब इस कॉलेज में मेरिटोरियस स्टूडेंट्स तक दाखिले के लिए चक्कर लगा रहे हैं। मंडे को जब आई नेक्स्ट टीम डीएवी कॉलेज परिसर में पहुंची, तो कॉलेज का खुशनुमा और चहल-पहल भरा एटमॉसफियर देखकर एक प्लेजेंट फीलिंग हुई। आखिर ये कॉलेज अपने शहर की एजुकेशनल हैरिटेज में से एक जो है

DAV  है best

कॉलेज गेट से एंटर करते ही सामने से हाथों में ढेर सारी नई-नई बुक्स हाथ में लेकर जाते स्टूडेंट्स दिखे। पूछने पर उन्होंने बताया कि ये बुक्स उन्होंने पढऩे के लाइब्रेरी से इश्यू कराई हैं। बीएससी सेकेंड इयर के स्टूडेंट सदफ, रमन कुमार, आशुतोष ने बताया कि अब तो लाइब्रेरी में हजारों बुक्स भरी हैं। उन्नाव के रहने वाले कार्तिक ने बताया कि यूपी बोर्ड इंटर में 76 परसेंट माक्र्स होने के बावजूद उन्होंने बीएससी में डीएवी में ही एडमिशन लिया। उनके साथी राहुल कुमार ने बताया कि इंटर में 73 परसेंट माक्र्स और ओबीसी कैटेगरी में होने से उन्हें पीपीएन या क्राइस्ट चर्च में भी एडमिशन मिल सकता था। लेकिन इन कॉलेजों में आजकल रोज-रोज का बवाल देखकर डीएवी में दाखिला लेना ज्यादा बेहतर लगा। पेरेंट्स ने कॉलेज में दो दिन चक्कर लगाने के बाद एप्रीशिएट किया। सेल्फ फाइनेंस डिपार्टमेंट के बाहर लगी एडमिशन लिस्ट और टाइम टेबल देख रहे शिवम अंकिता और पूजा खुशी में एक दूसरे को बार-बार कॉन्ग्रेचुलेट कर रहे थे। पूछने पर तीनों ने बताया कि कॉलेज में बीएससी इलेक्ट्रॉनिक्स में केवल 120 सीटें थीं। 12वीं में केवल 60 से 64 होने के बावजूद एडमिशन लिस्ट में नाम देखकर तीनों दोस्त खुशी में उछल पड़े।

University ने परेशान कर लिया

कॉलेज से ही बायोटेक और माइक्रो बायोलॉजी से बीएससी करने वाले अंकित तिवारी और हिमांशु पोरवाल ने बताया कि कॉलेज में टीचर्स और प्रिंसिपल एडमिशन में कॉपरेट कर रहे हैं। बार-बार दौड़ाया नहीं जा रहा, लेकिन यूनिवर्सिटी ने एक तो बीएससी का रिजल्ट महीने भर लेट कर दिया, फिर अब तक मार्कशीटें ही नहीं भेजी हैं। इसे रोज मार्कशीटों की जानकारी करने को दौड़ लगानी पड़ती है। एडमिशन ही नहीं हो पा रहा है। कॉलेज में परेशान से घूमते स्टूडेंट गोपाल गहोई ने यूनिवर्सिटी के इस साल के कॉपियों के कोडिंग-डिकोडिंग सिस्टम को कोसते हुए कहा कि मार्किंग भी बहुत उल्टी-सीधी हुई है। वो बीकॉम प्रथम वर्ष में मात्र 3 नंबरों से फेल हो गया। उसका फ्यूचर यूनिवर्सिटी ने चौपट कर दिया.