आई एक्सक्लुसिव

पर्वतीय मार्गो पर अनुबंध के तहत छोटी गाडि़यों के संचालन के दिए थे निर्देश

-विभागीय समीक्षा बैठक में कुछ माह पहले निवर्तमान सीएम हरीश रावत ने दिए थे अधिकारियों को निर्देश

DEHRADUN: पर्वतीय मार्गो पर बसों के संचालन को लेकर हर साल घाटा झेल रहा उत्तराखंड परिवहन निगम खुद घाटे से उबरना नहीं चाहता है। तत्कालीन हरीश सरकार ने परिवहन निगम को घाटे से उबरने के लिए कुछ तैयारी की थी, जिसे परिवहन विभाग ने दरकिनार कर दिया। योजना को लेकर अभी तक परिवहन निगम के अधिकारियों ने न तो कोई खाका तैयार किया है और न ही कोई मानक तय किए हैं। सिर्फ हवा हवाई बातें हो रही हैं। पूर्व में विभागीय समीक्षा बैठक के दौरान जब निवर्तमान सीएम हरीश रावत ने परिवहन निगम के कार्याें की समीक्षा की तो इस दौरान उन्होंने पर्वतीय रूटों पर बड़ी बसों के संचालन पर हो रहे घाटे को कम करने के लिए अनुबंधित छोटी गाडि़यां चलाने के निर्देश दिए थे, लेकिन विभागीय कर्मचारियों ने कई महीने बीत जाने के बावजूद अभी तक हरीश रावत के इस आदेश पर कोई काम नहीं किया है।

रोडवेज की बड़ी बसें घाटे की वजह

इस प्रक्रिया के तहत जिन रूटों पर परिवहन निगम को बड़ी रोडवेज बसें चलाने से घाटा होता है। वहां छोटी गाडि़यां मैक्सी कैब परमिट पर चलाई जानी थी। इसके तहत गढ़वाल और कुमाऊं दोनों मंडलों में विभिन्न रूटों पर यह गाडि़यां चलनी थी। इसके लिए मैक्सी कैब चलाने के लिए आवेदन मांगे जाने थे। यह आवेदन स्वयं निगम के द्वारा मांगे जाने थे। उत्तराखंड परिवहन निगम में आवेदन मिलने के बाद विभिन्न रूटों पर इनका जरूरत के अनुसार संचालन किया जाना था।

ख्ख् से ख्भ् करोड़ का हर साल घाटा

उत्तराखंड परिवहन निगम के आंकड़ों पर नजर डाले तो हर साल पर्वतीय रूटों पर निगम प्रबंधन को ख्ख् से ख्भ् करोड़ का घाटा होता है। क्योंकि पर्वतीय मार्गो में चलने पर डीजल और पा‌र्ट्स की खपत अधिक बढ़ जाती है। वहीं कई बार लंबे रूट पर बसों को कम संवारियों को लेकर जाना पड़ता है।

वर्जन-

पर्वतीय मार्गो में अनुबंध के तहत मैक्सी कैब परमिट पर छोटी गाडि़यों को चलाने के लिए योजना बनाई जा रही है। अभी तक निगम प्रबंधन को जिन रूटों पर बड़ी बसों के संचालन में अधिक घाटा होता था। इन रूटों पर छोटी गाडि़यों का संचालन किया जाएगा। मैक्सी कैब पर गाडि़यां चलाने के लिए आवदेन मांगे जा रहे हैं। जो निगम के मानकों पर खरा उतरेगा उसे ही स्वीकृति दी जाएगी। आवेदन मिलने के बाद मानक भी तय किए जाएंगे।

-उदय सिंह राणा, महाप्रबंधक प्रशासन, उत्तराखंड परिवहन निगम