-डीएम ने बीडीए और सिंचाई विभाग की टीम के साथ नहर की जमीन पर कब्जे का देखा रिकॉर्ड, बीडीए से सभी कॉलोनियों का नक्शा है पास

-सिंचाई विभाग ने नहर की जमीन पर कब्जा कर ग्रीन पार्क, सनसिटी विस्तार, नॉर्थ सिटी व अन्य कॉलोनी अवैध रूप से बसाने की दी है रिपोर्ट

BAREILLY: ग्रीन पार्क, सनसिटी विस्तार, नॉर्थ सिटी कॉलोनी समेत कई लॉन व मकान रूहेलखंड नहर की जमीन पर बने होने का सिंचाई विभाग दावा कर रहा है लेकिन राजस्व रिकॉर्ड में नहर की जमीन ही गायब है। इन कॉलोनियों का बीडीए से ले आउट भी पास है। ले आउट में भी नहर की जमीन का कोई उल्लेख नहीं है। ऐसे में सवाल खड़े होने लगे हैं कि नहर की जमीन पर कब्जा किस तरह से किया गया है। क्या सभी विभागों की मिलीभगत से खेल कर रिकॉर्ड को गायब किया गया है या फिर रिकॉर्ड में दर्ज न होने का फायदा उठाकर ही कॉलोनियों को बसाया गया है। वेडनसडे को डीएम आर विक्रम के सामने कलेक्ट्रेट सभागार में जब बीडीए, सिंचाई विभाग और सदर तहसील की टीम रिकॉर्ड के साथ पेश हुई तो सारे तथ्य सामने आ गए। सिंचाई विभाग ने ड्रोन से तैयार अवैध कब्जे की हवाई रिपोर्ट स्क्रीन पर डीएम के सामने पेश कर दी, लेकिन नक्शे में नहर की जमीन सही से नहीं दिखा सका। डीएम ने तहसीलदार सदर को सिंचाई विभाग अैार बीडीए के मैप का मिलान कर पूरा रिकॉर्ड निकालने के निर्देश दिए हैं।

पीआईएल के बाद से कब्जा चर्चे में

डीएम कैप्टन आर विक्रम सिंह ने बीडीए वीसी सुरेंद्र सिंह, एसडीएम सदर अनुपम शुक्ला, बीडीए चीफ टाउन प्लानर आशीष शिवपुरी, सिंचाई विभाग असिस्टेंट इंजीनियर धर्मेद्र और तहसीलदार सदर मलखान सिंह के साथ मिलकर नहर विभाग की जमीन पर कब्जा का रिकॉर्ड चेक किया। रिकॉर्ड देखने से पहले बताया गया कि वर्ष 2013 में ग्रीन पार्क कॉलोनी व अन्य की हाईकोर्ट में पीआईएल पड़ी थी। हाईकोर्ट के निर्देश पर वर्ष 2014 में तत्कालीन डीएम अभिषेक प्रकाश ने आदेश दिया था। जिसके बाद सिंचाई विभाग के द्वारा जमीन पर कब्जे के बारे में बताया गया, जिसका तहसील में रिकॉर्ड देखा गया तो सामने आया कि राजस्व रिकॉर्ड में जमीन है ही नहीं।

एयरफोर्स के लिए नहर का हुअा डायवर्जन

सिंचाई विभाग ने बताया कि उनकी नहर दमखोदा से सिटी में एंट्री करती है। वर्ष 1964-65 में एयरफोर्स के चलते नहर का डायवर्जन किया गया था। मेन नहर बंद होने के बाद डायवर्जन नहर से भी सिंचाई का काम बंद हो गया। जिसके बाद ही नहर की जमीन पर कब्जा हो गया। सनसिटी विस्तार डायवर्जन की नहर पर ही बसी होने का दावा किया जा रहा है। सिंचाई विभाग के एई ने ड्रोन से लिए गए वीडियो के जरिए नहर की जमीन पर कब्जे का रिकॉर्ड दिखाया। जिसमें कई जगह नहर की जमीन पर रोड तो कई जगह बिल्डिंग बनी नजर आ रही हैं, लेकिन जमीन पर उसका कोई रिकॉर्ड नहीं है।

बीडीए ले आउट में नहीं नहर की जमीन

डीएम ने बीडीए के द्वारा जारी ले आउट को देखा गया। जिसमें पीर बहोड़ा में बसी सन सिटी विस्तार का मैप देखा गया। बीडीए के ले आउट के मुताबिक सन सिटी विस्तार का नक्शा पास किया गया लेकिन नक्शे में कहीं भी नहर की जमीन का जिक्र नहीं है। सिर्फ उसके किनारे नहर की जमीन दिखाई गई है। इसी तरह से ग्रीन पार्क के नक्शे में नहर की जमीन का जिक्र ही नहीं किया गया है। कुर्माचल नगर में भी बने मकानों का नक्शा देखा गया। यहां कुछ कब्जे पाए गए हैं। जब डीएम ने बीडीए और सिंचाई विभाग के द्वारा तैयार मैप देखा तो दोनों के मैप में मेन नहर और डायवर्जन नहर अलग-अलग नजर आयी।

4.6 किमी में सिर्फ 50 मीटर सिंचाई विभाग के पास

सिंचाई विभाग के एई ने बताया कि उनकी नहर की ओरिजन दमखोदा है और इसकी टेल बीसलपुर रोड हरुनगला है। इसकी लंबाई 4.6 किलोमीटर है। इसपर अलग-अलग जगहों पर कब्जा हो रखा है। सिर्फ हरुनगला में 50 मीटर की जमीन पर ही सिंचाई विभाग का कब्जा है। जब डीएम ने वीडियो देखा तो इसमें साफ दिखाई दे रहा है कि अधिकांश स्थानों पर रोड बनी हुई है। कुछ जगह रूहेलखंड यूनिवर्सिटी को दी गई है। वीडियो में भी दिखा कि कुछ जगह मिट्टी डाली जा रही है।

राजस्व रिकॉर्ड से मैप का होगा मिलान

डीएम ने तहसीलदार सदर को बीडीए और सिंचाई विभाग द्वारा दिए गए मैप का मिलान करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने राजस्व रिकार्ड को भी चेक करने के साथ मैप में दिख रही नहर की जमीन से इसका मिलान करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सिंचाई विभाग से पूरा रिकॉर्ड देने के लिए कहा है। असली नहर की जमीन कौन सी है और डायवर्जन वाली नहर की जमीन कौन सी है। वहीं मौजूदा समय में हो रहे कब्जे को रोकने और कब्जा करने वालों पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। डीएम ने माना कि 85 परसेंट नहर की जमीन पर कोई कब्जा नहीं है। ज्यादातर जगह खाली है या फिर रोड बनी है। 15 परसेंट पर कब्जा है, इसका रिकॉर्ड चेक किया जाएगा।