लार्जर देन लाइफ सिनेमा
संजय लीला भंसाली हमेशा से ही लार्जर देन लाइफ सिनेमा बनाते रहे हैं। लेकिन पद्मावत उनके जीवन की सबसे बड़ी फिल्म है। भारतीय सिनेमा के इतिहास में इतनी भव्य फिल्म अभी तक शायद ही कोई हो। शायद पहली बार ऐसी फिल्म देखने मिलेगी। इतनी भव्यता में भी संजय लीला भंसाली हर एक दृश्य की छोटी-छोटी डिटेल्स पर बारीकी से काम करते नज़र आते हैं।
padmaavat movie review: विवाद से अलग खूबसूरत कहानी है पद्मावत जो राजपूती शान के साथ कराती है सपनों की सैर
कलर कॉम्बीनेशंस और आर्ट डायरेक्शन

संजय लीला भंसाली के कलर कॉम्बीनेशंस और उनका आर्ट डायरेक्शन, ये सभी सीन की भव्यता को और भी बड़ा कर देता है। उनकी हर फिल्म अलग टेक्सचर लिए होती है। इसमें उन्होंने राजस्थान के रंग को बखूबी पकड़ा है। हर दृष्य में परिपूर्णता उनकी खासियत है। फिल्म का संगीत भी उन्होंने दिया है, तो जाहिर तौर पर एक निर्देशक और एक संगीतकार की जुगलबंदी उन्होंने बेहतरीन ढंग से निभाई है। गानों की फ्रिक्वेंसी थोड़ी ज्यादा है जो कि थोड़ी कम होती तो भी चल जाता।
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दीपिका को पहचान नहीं पाएंगे
परफॉर्मेस लेवल पर बात करें तो दीपिका पादुकोण ने रानी पद्मीनी की हर एक चीज को इतना बखूबी आत्मसात किया है कि आप एक बार भूल जाते हैं कि ये दीपिका हैं। वो हर दृष्य में रानी पद्मीनी ही लगती हैं। वही महारावल रतन सिंह बने शाहिद कपूर ने इस किरदार के लिए जमकर मेहनत की जो पर्दे पर साफ नज़र आती है। लेकिन, इन सब में उभर कर आता है खलनायकी किरदार यानी अलाउद्दीन खिलजी का। रणवीर सिंह को अभी तक नायक के किरदारों में देखा और पसंद किया है। पहली बार वो एक खलनायकी किरदार में हमारे सामने आए हैं और उन्होंने किस ढंग से खलनायक को गढ़ा है वो वाकई तारीफे काबिल है। इन तीनों मुख्य पात्रों के अलावा वेटरन एक्टर रज़ा मुराद की अदायगी भी अब्बल दर्जे की है। जलालुद्दीन खिलज़ी के किरदार को उन्होंने अपने अंदाज़ में जीवंत कर दिया है! साथ ही मेह्रुनिषा के किरदार में अदिति राव हैदरी ने भी कमाल का प्रदर्शन किया है। सभी किरदार अपने लिए एक अलग ही आभार रचते हैं और उसमें सफल भी नज़र आते हैं।
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बेहतरीन एडिटिंग और सिनेमेटोग्राफी
फिल्म में भंसाली का जबरदस्त डायरेक्शन तो है ही। वहीं, फिल्म की भव्यता को चार चांद इसकी एडिटिंग और सिनेमेटोग्राफी जैसी चीजें लगाती हैं। साथ ही कॉस्ट्यूम पर भी जबदस्त काम किया गया है जो फिल्म की भव्यता और बढ़ा देता है।  

रेटिंग : 4*
पराग छापेकर

 

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