जब जीरो दिया मेरे भारत ने, दुनिया को तब गिनती आई। अब इस गाने में कुछ और लाइनें जोडऩे का वक्त आ गया है। भारत ने दुनिया को सिर्फ जीरो नहीं बल्कि चावल भी दिया है। वही चावल जो आज पूरी दुनिया की भूख मिटा रहा है। हाल ही में इंडियन साइंटिस्ट्स ने प्रूव किया है कि चावल चीन की नहीं इंडिया की ही देन है.
अभी तक चाइनीज साइंटिस्ट्स का दावा था कि चावल चाइना की देन है। क्योंकि राइस का सबसे पुराना फॉसिल चाइना में ही खोजा गया था। मगर उससे भी दो करोड़ वर्ष पुराना फॉसिल अब भारत में मिल गया है। यह भारत के लिए गर्व की बात है लेकिन लखनऊ के लिए उससे भी ज्यादा गर्व की बात है कि इसे खोजने वाले साइंटिस्ट्स की टीम में तीन साइंटिस्ट्स लखनऊ के ही हैं।
लखनऊ के scientists ने की research
यह शोध किया है लखनऊ के डॉ। अशोक साहनी, बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट आफ पैलियोबॉटनी की डॉ। वंदना प्रसाद, जियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के डायरेक्टर इंचार्ज डॉ। धनंजय मोहाबे, नागपुर की साइंटिस्ट डॉ। वंदना सावंत और चाइना अमेरिका के दो-दो साइंटिस्ट ने मिलकर यह रिसर्च कम्पलीट की है।
बीरबल साहनी के भतीजे और एमीरेटस प्रोफेसर डॉ। अशोक साहनी ने बताया कि अभी तक चावल का ओरिजिन प्लेस चाइना माना जाता था। चाइना के साइंटिस्ट्स ने फॉसिल्स की स्टडी करके यह बताया था। पूरी दुनिया यही मानती थी कि राइस चाइना ओरिजिन का है।
चावल एक प्रकार की घास
डॉ। अशोक साहनी ने बताया कि उनकी टीम ने पिछले 6 साल की स्टडी में पाया कि राइस इंडिया की ओरिजिन है। उन्होंने बताया कि चावल एक प्रकार की घास है।
उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र के 'पिस्ड्यूराÓ में अभी तक डाइनासोर के फॉसिल्स मिले हैं जिनमें उनकी हड्डियां, अंडे, डंग व कई अन्य चीजें हैं। हमने 2005 में स्टडी करके निकाला था कि घास या ग्रास के सबसे पुराने फॉसिल्स इंडिया के हैं। जो साइंस मैग्जीन में पब्लिश हुए थे। अब उसी फॉसिल पर हमारी टीम की स्टडी जारी है जिसमे चाइना और अमेरिकन साइंटिस्ट्स भी हैं। हमने पाया कि डाइनासोर के डंग में घास भी थी। जो कि चावल था।
यह फॉसिल्स 65 मिलियन इयर्स या लगभग साढ़े 6 करोड़ साल पुराने हैं। जबकि चाइना के फॉसिल्स सिर्फ 4 से साढ़े चार करोड़ वर्ष पुराने हैं। उन्होंने बताया कि यह वाइल्ड राइस की प्रजाति थी। जिससे मानव ने डोमेस्टिक लेवल पर ग्रो कराया। जिसे आज हम खाने के लिए उगा रहे हैं। इससे प्रूव होता है कि पूरी दुनिया की भूख मिटाने वाला चावल इंडिया की ही देन है। यह यहीं की ओरिजिन का है।
अभी तक का सबसे पुराना रिकार्ड
लखनऊ स्थित जियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के यूपी उत्तराखंड के डायरेक्टर इंचार्ज डॉ। धनंजय मोहाबे ने बताया कि यह अभी तक का सबसे पुराना रिकार्ड है। जोकि पहले चाइना के नाम था। इस खोज से राइस जेनेटिक्स पर काम करने वाले साइंटिस्ट्स को काफी मदद मिलेगी। डॉ। वंदना प्रसाद ने बताया कि उस समय भारत एक आईलैंड हुआ करता था। जिसके चारो तरफ पानी ही पानी था। नेचर मैग्जीन में 21 सितम्बर के अंक में ये प्रकाशित हो चुका है।
डॉ। अशोक साहनी ने बताया कि धान की पत्तियों में फाइटोलिट्स पाए जाते हैं जोकि सिर्फ और सिर्फ राइस की पत्तियों में ही पाए जाते हैं। इससे प्रूव हुआ कि ये राइस है और राइस का सबसे पुराना फॉसिल है। इस आधार पर हम कह सकते हैं कि राइस इंडिया की ही ओरिजिन है। डॉ। वंदना के अनुसार जहां पर ये फॉसिल पाया गया वहां पर डायनासोर के घोसलों के साथ, अंडे भी मिले हैं।

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