- वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक अमीर थे कई परिवार जो अब हो गए हैं गरीब

- पात्रों ने पीएमएवाई की सूची में नहीं शामिल होने पर थी सीएम से शिकायत, जांच में खुलासा

BAREILLY:

महज छह साल पहले जो लोग रईस परिवार की सूची में शुमार करते थे, वह आज गरीबी रेखा के नीचे आ गए हैं। यह कागजी लफ्फाजी नहीं बल्कि हकीकत है, जो जांच में सच साबित हो चुका है। पर अफसोस इन गरीब परिवार को नियम-कायदे गरीब मानने को तैयार नहीं है। यही वजह है भदपुरा ब्लॉक के करीब डेढ़ दर्जन परिवार प्रधानमंत्री जन आवास योजना के लाभ से वंचित हो रहे हैं। क्योंकि पात्रता का आधार वर्ष 2011 की जनगणना को बनाया गया, जिसमें सभी परिवार आर्थिक रूप से सम्पन्न की श्रेणी में हैं।

सीएम से की थी शिकायत

केंद्र सरकार ने वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ देने की घोषणा की थी। वर्ष 2016 में आवास के लिए पात्रों का चयन करने का की गाइडलाइंस जारी हुई। जिला ग्राम्य विकास विभाग को पात्रों के चयन की जिम्मेदारी सौंपी गई। विभाग के अधिकारियों ने सूची तैयार कर उसे सार्वजनिक किया तो सूची बनाने में खेल किए जाने का आरोप लगाते हुए 10 अप्रैल 2017 को भदपुरा की ग्राम पंचायत सुनौर देशनगर के 17 निवासियों ने सीएम से शिकायत कर दी। शासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए शासन ने 28 अप्रैल को स्थलीय जांच के आदेश दिए। जिसके बाद अमीरों के गरीब होने का पता चला।

हाथ खाली पर बने अपात्र

भदपुरा के बीडीओ ने गांव सुनौर देशनगर का स्थलीय निरीक्षण किया। जिसमें 17 में से 16 लोग पात्र मिले। शिकायतकर्ता रामवती को योजना के लिए अपात्र पाया और सूची से नाम काट दिया गया है। 11 मई को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में शिकायतकर्ताओं के छप्पर के घर, कृषि योग्य भूमि न होना, आर्थिक संकट से जूझना और पात्रता की सभी शर्तो को पूरी करते हुए मिले। वहीं, पीडि़तों से बात की गई तो पता चला कि यह वर्ष 2011 की आर्थिक जनगणना के दौरान यह अमीर की सूची में थे। पर अब वह गरीब हैं। रिपोर्ट में सभी को पात्र मानते हुए बीडीओ ने आर्थिक रूप से कमजोर और योजना के इन पात्रों को लाभ दिलाने के लिए निवेदन किया है।

हो सकते हैं और भी पात्र

भदपुरा के सुनौर देश नगर की रिपोर्ट के आधार पर सवाल उठता है कि जिले में कई और भी ऐसे आर्थिक रूप से कमजोर परिवार होंगे, जो वर्ष 2011 की सामाजिक आर्थिक जनगणना में अमीर होंगे, पर अब वह गरीब हो गए हों। संभव है कि यह उस दौरान भी गरीब हों, जिन्हें सूची में ही शामिल न किया गया हो। विभाग को चाहिए कि ऐसे निवासियों की तलाश कर उन्हें आवास का लाभ दिलाने का प्रयास करें।

अमीर से गरीब बने परिवार

भगवानदास, रामदेई, पूरनदेवी, सोमवती, ज्ञानदेवी, मुन्नी देवी, रामेश्वरी, गीता देवी, तारावती, सुनीता, शीला देवी, सुशीला, ममता देवी, गंगादेई, सोमवती, लाल कुंवर का परिवार अमीर था जो अब गरीब हो गया है।

एक नजर में।

- वर्ष 2016 में 5700 पात्रों का हुआ चयन

- वर्ष 2017 में नया शासनादेश हुआ जारी

- पात्रता का लक्ष्य 5700 से 3700 हो गया

- 2800 पात्रों को भेज रहे आवास की प्रथम किस्त

- 2022 तक पीएमएवाई का दिया जाएगा लाभ

वर्ष 2011 की सामाजिक आर्थिक जनगणना के आधार पर जांच में पात्र होने के बावजूद 16 परिवार को आवास के लिए पात्र नहीं माना जा सकता है। जांच रिपोर्ट शासन को प्रेषित कर दी है। जैसे निर्देश मिलेंगे उसी के अनुसार कार्रवाई होगी।

सत्येंद्र कुमार, सीडीओ

शिकायत के आधार पर हुए स्थलीय निरीक्षण की रिपोर्ट में 16 शिकायतकर्ताओं को पात्र पाया गया है। संभावना है कि वर्ष 2011 की सामाजिक आर्थिक जनगणना में इन्हें शामिल न किया गया हो। रिपोर्ट सीडीओ को दे दी है।

प्रदीप कुमार सक्सेना, इंजीनियर, डीआरडीए