आठ साल की उम्र में एक बच्चा कुछ पैसे कमाने की खातिर बूट पालिश करने लगा.

जब वह 16 साल का हुआ तो न्यूयार्क में उसने अपना अखबार निकाला. ये अखबार कोई छोटा-मोटा अखबार नहीं था. इस अखबार का सर्कुलेशन करीब 25 हजार था.

सपना

अखबार की लोकप्रियता का यह आलम था कि इसमें राष्ट्रीय स्तर के विज्ञापन छपते थे. यह उस बच्चे की कड़ी मेहनत और कुशल उद्यमशीलता का फल था.

उस बच्चे के कठिन श्रम और सफलता का यह सिलसिला जारी रहा. और इस तरह एक दिन बड़ा और सफल कारोबारी बनने का उसका सपना साकार हो उठा.

50 साल पहले जूता पालिश करने से शुरू हुआ उसका सफर आज उद्योग जगत के शिखर पर जा पहुंचा है.

वही खास बच्चा है, रिच गेलफ़ॉन्ड. रिच गेलफ़ॉन्ड 'आईमैक्स' के मुख्य कार्यकारी अधिकारी है. 'आईमैक्स' विशाल स्क्रीन और हाई रेजोल्यूशन कैमरे बनाने वाली एक मशहूर कंपनी है.

शिखर का सफर

शुरू-शुरू में रिच गेलफ़ॉन्ड के कामों को कमतर आंका गया. साल 1994 में रिच और उनके बिजनेस पार्टनर ब्रैड ने आईमैक्स क्लिक करें कंपनी खरीदी.

पहले यह कंपनी संग्रहालयों और विज्ञान केंद्रों में दिखाई जाने वाली केवल बड़े पर्दे वाली फिल्मों से जुड़ी हुई थी. रिच के भीतर बैठे उद्यमी ने इस कंपनी के व्यावसायिक पहलुओं पर काफी सोच विचार किया.

सोच विचार के बाद रिच ने 'आईमैक्स' को ज्यादा व्यावसायिक इकाइयों से जोड़ा और ज्यादा से ज्य़ादा व्यावसायिक फिल्मों को दिखाने की पहल शुरु की.

विफलता

अपनी कंपनी को आगे बढ़ाने के लिए रिच गेलफ़ॉन्ड और ब्रैड वेश्लर ने 'स्टीवेन स्पीलबर्ग' और 'जार्ज लूकस' सहित शीर्ष निर्देशकों से मुलाकात की. वे इनसे मिलकर “मशहूर निर्देशकों को आईमैक्स से जोड़ना चाहते थे.”

मगर पहले पहल रिच इस कोशिश में सफल नहीं हुए. 'स्टीवन स्पीलबर्ग' और 'जार्ज लूकस' सहित कई निर्देशक अपने काम का तरीका बदलने को तैयार नहीं था.

रिच उस दौर के बारे में बताते हैं, “इन कोशिशों में कुछ समय बीत गया. फिर हमने अपने काम का तरीका बदला. उन्हें उनके कामकाज का तरीका बदलने के लिए मनाने की बजाय हमने अपनी कंपनी में कुछ इस तरह के बदलाव किए जिससे उन्हें हमारे साथ बिजनेस करना आसान और कम खर्चीला लगने लगे.”

और रिच इस कोशिश में कामयाब रहे. उनकी नई पहल काम आई.

तीन सफल फिल्में

रिच गेलफ़ॉन्ड के नेतृत्व में 20 साल रहने के बाद 'आईमैक्स' अब हॉलीवुड फिल्मों के क्षेत्र में एक जाना-माना नाम बन गया है. अब वह शिक्षा और विज्ञान से जुड़े फिल्मांकन के विपरीत व्यावसायिक फिल्मों को शूट करने के लिए जाना जाने लगा है.

रिच बताते हैं कि उनकी खास तीन फिल्मों ने 'आईमैक्स' की ब्रांड छवि को चमकाने में बढ़ चढ़ कर मदद की.

इसमें सबसे पहली फिल्म है ‘डिज़नी फैंटासिया’. यह फिल्म साल 2000 की है. इसके बारे में रिच बताते हैं, “इस फिल्म को बड़ी सफलता मिली. बड़ी संख्या में लोगों को 'आईमैक्स' थियेटर तक लाने में यह फिल्म कामयाब रही.”

दूसरी फिल्म थी, 2004 में रिलीज हुई वार्नर ब्रदर्स की थ्री डी ‘पोलर एक्सप्रेस’. इसके बारे में रिच बताते हैं, “इसकी क्वालिटी जबरदस्त थी.” और तीसरी फिल्म थी, जेम्स कैमरून की ‘अवतार’. यह फिल्म 2009 में आई थी.

रिच कहते हैं, “हमारे पास केवल 150 थियेटर थे और हमने सिर्फ़ अवतार से 25 करोड़ डॉलर कमाए.”

2008 में 'आईमैक्स' के 150 कमर्शियल थियेटर थे. आज यह आंकड़ा 700 पार कर चुका है.

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