RANCHI: रिम्स में नई बिल्डिंग बन रही है, जिसपर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। वहीं, पुरानी बिल्डिंग की में कई जगह आईं दरारों पर किसी की नजर नहीं है। ऐसे में रिम्स में इलाज के लिए आने वाले सैकड़ों मरीजों पर खतरा मंडरा रहा है। अगर जल्द ही प्रबंधन की नींद नहीं खुली तो बड़ा हादसा हो सकता है। वहीं मरीजों के अलावा डॉक्टरों की भी जान सांसत में है। बताते चलें कि कुछ दिन पहले ही वार्ड की छत गिर गई थी। इससे वार्ड में भर्ती मरीज बाल-बाल बच गए थे।

सिर पर झूल रही है मौत

हॉस्पिटल में जगह-जगह सीलिंग में दरार आ गई है। वहीं कई जगहों पर छज्जे टूटकर झूल रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मौत लोगों के सिर पर झूल रही है। कभी भी ये आफत बनकर गिर सकती है। इसमें लोगों की जान तो जाएगी ही जानमाल का नुकसान होगा, सो अलग।

शिपेज से कमजोर हुई छत व दीवारें

बेसमेंट में बने वार्डो की दीवारें और छत भी पानी की लगातार हो रही शिपेज से कमजोर हो रही हैं। जहां वार्डो में हर समय सैकड़ों मरीज एडमिट रहते हैं। वहीं आपरेशन थिएटर में भी पानी की शिपेज से परेशानी है। ऐसे में अगर हादसा होता है तो मरीज की जान चली जाएगी।

कई साल में एक बार टेंडर

1500 बेड के हॉस्पिटल में रेगुलर मेंटेनेंस की कोई योजना नहीं है। ऐसे में सालों भर बिल्डिंग में दरार आ जाए या फिर सीलिंग गिर जाए पर उसका काम तत्काल नहीं कराया जाता। भले ही इस चक्कर में मरीज की जान चली जाए फिर भी प्रबंधन को कोई फर्क नहीं पड़ता है। चूंकि रिम्स में बिल्डिंग मेंटेनेंस का काम कई सालों में एक बार ही होता है।

वर्जन

हॉस्पिटल में कई जगहों से सीलिंग और छज्जे गिरने की स्थिति में है। इस बारे में जानकारी मिली है। इसको लेकर पहली बार एनुअल मेंटेनेंस का प्रस्ताव आया है और जल्द ही इसके तहत मेंटेनेंस का काम शुरू हो जाएगा। इसके बाद हॉस्पिटल में छोटे-मोटे मेंटेनेंस के लिए एक साल तक इंतजार नहीं करना होगा। हॉस्पिटल के पास फंड है, लेकिन हम निकाल नहीं सकते। अब नई व्यवस्था के लागू हो जाने से समस्याएं खत्म हो जाएंगी।

डॉ। संजय कुमार, डीएस, रिम्स