RANCHI : रिम्स के कार्डियक वस्कुलर सर्जरी टीम ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के डॉ अंशुल कुमार की टीम ने इस हॉस्पिटल के इतिहास में पहला थोरेसिक सर्जरी किया, जो पूरी तरह सफल रहा। इस सर्जरी में मरीज के लंग्स को इंफेक्टेड करने वाले हाइडैटिड सिस्ट को ऑपरेशन के जरिए निकाला गया। यह बीमारी न सिर्फ लीवर को बर्बाद करता है, बल्कि किडनी जैसी बीमारी की वजह भी बनता है। सफल थोरेसिक सर्जरी ऑपरेशन की सफलता में टीम के डॉ राकेश, डॉ अभिषेक और डॉ.मुकेश का भी अहम योगदान रहा।

बीमारी कुछ, इलाज टीबी का

पलामू की रहने वाली शकुंतला देवी को एक साल से छाती में स्वेलिंग थी। इस दौरान लगातार सर्दी, खांसी, जुकाम की शिकायत रहने के साथ वह दर्द से परेशान रहती थी। पलामू में जब डॉक्टर से दिखाया तो वहां टेस्ट के बाद टीबी की दवा चालू कर दी गई, लेकिन इससे मरीज को कोई राहत नहीं मिली। ऐसे में परिजन उसे लेकर रिम्स आए। यहां पेशेंट का सीटी स्कैन और एक्सरे कराया गया, जिसमें सिस्ट होने की पुष्टि रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट ने भी की। इसके बाद कार्डियो वस्कुलर सर्जनों की टीम ने इस बीमारी का सफल ऑपरेशन करने में कामयाबी हासिल की।

क्या है हाइडैटिड सिस्ट बीमारी

हाइडैटिड सिस्ट बीमारी कुत्ते में पाए जाने वाले कीड़े के ह्यूमन बॉडी में पहुंचने की वजह से होती है। यह कीड़ा पालतू जानवरों के माध्यम से और मिट्टी के सीधे संपर्क में आने से शरीर में प्रवेश कर जाता है। यह इंसान के पेट में पाए जाने वाले कीड़े की तरह ही होता है। इसकी वजह से न सिर्फ लीवर प्रभावित होता है, बल्कि किडनी को भी डैमेज करता है। सामान्य तौर पर यह बीमारी ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को होती है, क्योंकि वे खेतों में नंगे पैर काम करते हैं।

ओपन हार्ट सर्जरी जल्द ही

कार्डियो वस्कुलर सर्जन डॉ.अंशुल के मुताबिक, यहां पहली थोरेसिक सर्जरी भी सफल रही है। अब ओपेन हार्ट सर्जरी शुरू करने की तैयारी चल रही है। कार्डियक ऑपरेशन थिएटर का काम अंतिम चरण में है और जल्द ही यहां के मरीजों को ओपेन हार्ट सर्जरी की सुविधा मिलेगी।