RANCHI: अगर आपके साथ भी कोई अटेंडेंट नहीं है तो इमरजेंसी में आपका इलाज नहीं होगा। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक लावारिस मरीज छह घंटे तक सरकारी हास्पिटलों के चक्कर लगाता रहा और डॉक्टरों ने उसका इलाज करने से इनकार कर दिया। ऐसे में जब एक समाजसेवी ज्योति शर्मा ने मरीज की गारंटी ली तो उसे रिम्स इमरजेंसी में इलाज के लिए भर्ती किया गया। इसके बाद डॉक्टरों ने उसका इलाज शुरू किया। हालांकि मरीज गंभीर नहीं था तो उसकी जान बच गई। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर मरीज गंभीर होता तो उसकी जान चली जाती।

उर्दू लाइब्रेरी के पास पड़ा था युवक

अरुण कुमार ठाकुर नामक युवक मेन रोड स्थित उर्दू लाइब्रेरी के सामने लावारिस हाल में पड़ा था। उसके दोनों हाथ भी नहीं है। ऐसे में लोक सेवा समिति के अध्यक्ष नौशाद खान ने जिंदगी न मिलेगी दोबारा फाउंडेशन को कॉल करके एंबुलेंस उपलब्ध कराया और उसे रिम्स में इलाज के लिए भेजा। लेकिन वहां मरीज को एडमिट करने से इसलिए इनकार कर दिया गया कि उसके साथ कोई अटेंडेंट नहीं था। इसके बाद उसे रिनपास रेफर कर दिया गया। जहां पर कांके थाना से लिखवाकर लाने को कहा गया। वहीं बाद में उसे रिनपास से भी लौटा दिया गया क्योंकि उसके साथ कोई अटेंडेंट नहीं था।