RANCHI: फ‌र्स्ट हाफ में ड्यूटी और सेकेंड हाफ में छुट्टी। जी हां, राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स में सीनियर डॉक्टर्स चांदी काट रहे हैं। राज्य भर से इलाज के लिए आने वाले मरीजों की बजाय प्रबंधन भी इन्हीं सीनियर डॉक्टरों पर मेहरबान है। गंभीर मरीज का इलाज नहीं हो पाता है, तो क्या हुआ। लेकिन, मैनेजमेंट सीनियर डॉक्टरों पर एक्शन नहीं लेगा। आलम यह है कि सेकेंड हाफ में एक-दो डॉक्टर्स को छोड़ कोई भी सीनियर डॉक्टर नजर ही नहीं आता है। ऐसे में मरीजों का इलाज जूनियर डॉक्टरों के भरोसे ही होता है। वहीं कई मरीजों को तो डॉक्टर्स से दिखाने के लिए अगले हफ्ते तक इंतजार भी करना पड़ता है। इसके बावजूद रिम्स प्रबंधन डॉक्टरों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।

सेकेंड हाफ में नहीं थे डॉक्टर

स्किन ओपीडी : डॉ.डीके मिश्रा

आर्थो : डॉ.एके वर्मा

पेडियाट्रिक : डॉएके चौधरी

सर्जरी : डॉ.आरएस शर्मा

साइकियाट्री : डॉ.अशोक कुमार

जूनियर डॉक्टर्स के भरोसे इलाज

फ‌र्स्ट हाफ में रिम्स में ड्यूटी बजाने के बाद अधिकतर डॉक्टर अपने प्राइवेट क्लिनिक में मरीज देखते है। और यहीं वजह है कि सेकेंड हाफ में रिम्स में कोई दिखाई ही नहीं देते। ऐसे में मरीजों के सामने जूनियर डॉक्टरों से दिखाने के अलावा और कोई चारा भी नहीं है। आखिर रिम्स में दूर-दूर से मरीज इलाज कराने के लिए आते है। वहीं कई लोग प्राइवेट डॉक्टरों से अपना इलाज कराते है.इसके अलावा इंडोर में अगर पेशेंट की हालत खराब हो जाए तो उस वक्त कोई सीनियर डॉक्टर मौजूद नहीं होता है। अगले दिन सुबह ही उसे सीनियर डॉक्टर देखेंगे।

9-क् व फ्-भ् बजे तक ओपीडी

हास्पिटल में ओपीडी दो शिफ्ट में चलता है। सुबह 9 बजे से लेकर दोपहर एक बजे तक पहली शिफ्ट होती है। वहीं तीन बजे से शाम के भ् बजे तक दूसरी शिफ्ट में ओपीडी में मरीज दिखाने आते हैं। इसके अलावा डॉक्टर्स को इंडोर में भी पूरा दिन ड्यूटी में तैनात रहना है। लेकिन राउंड करने के बाद वे भी इंडोर में नजर नहीं आते है।

एक हफ्ते बाद ही मिलते हैं डॉक्टर

हास्पिटल में कई ऐसे डॉक्टर है जिनकी ओपीडी हफ्ते में एक ही दिन होती है। ऐसे में अगर कोई पेशेंट डॉक्टर से नहीं दिखा पाता है तो उसे अगले हफ्ते तक इंतजार करना पड़ता है। वहीं दूसरे डॉक्टर भी मरीजों को देखने से मना कर देते है। लेकिन इस चक्कर में परेशानी तो मरीज को झेलनी पड़ती है।

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नजदीक में घर होता तो बाद में भी दिखाने आ जाते। लेकिन दूर से आने में काफी दिक्कत है। यहां आने पर मालूम हुआ कि डॉक्टर साहेब आज नहीं बैठेंगे। पूछने पर पता चला कि उसी डॉक्टर से दिखाना है तो कल इंडोर में आना होगा। नहीं तो फिर डॉक्टर साहेब अगले हफ्ते ही मिलेंगे।

मनीष

जाम में फंसने के कारण रिम्स पहुंचने में लेट हो गया। जो डॉक्टर से दिखाए हैं, वो तो अब मिलेंगे ही नहीं। काउंटर पर स्टाफ बोला कि अगले हफ्ते मंगलवार को डॉक्टर साहेब मिलेंगे। और एक बजे के पहले आना नहीं, तो फिर से खाली हाथ लौटना पड़ेगा।

सुरेश

सीनियर डॉक्टर को रिम्स में तो हमेशा रहना चाहिए। लेकिन यहां तो स्थिति बहुत ही खराब है। ब् घंटे की ड्यूटी करके डॉक्टर साहेब चले जाते हैं। मरीजों का दुख-दर्द भी उन्हें समझना चाहिए। अगर मरीजों को डॉक्टर देखने नहीं आते हैं, तो ऐसे डॉक्टरों पर कार्रवाई होनी चाहिए।

राजेश

क्या कहते हैं डायरेक्टर

सीनियर डॉक्टर्स को तो सेकेंड हाफ में भी रहने को कहा गया है। इसके बावजूद अगर कोई डॉक्टर सेकेंड हाफ में ओपीडी में नहीं आता है, तो अब उनपर कार्रवाई की जाएगी। चूंकि रिम्स में मरीज सेकेंड हाफ में इलाज के लिए आते हैं।

-डॉ। बीएल शेरवाल, डायरेक्टर, रिम्स