RANCHI: रिम्स का इएनटी डिपार्टमेंट बीमार हो चुका है, जहां आडियोमेट्री सेंटर 9 बजे खुलता नहीं कि साढ़े बारह बजे बंद हो जाता है। इसके बाद तो सेकेंड हाफ में वहां स्टाफ भी नजर नहीं आते फिर चाहे मरीज दर्द से तड़पता ही क्यों न रहे। ऐसे में मरीजों को कान का टेस्ट कराने के लिए एक-दो दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं कई मरीज तो बिना इलाज कराए ही लौट रहे हैं। इतना ही नहीं, कई टेस्ट तो रिम्स में बंद भी हो चुके हैं, जिसके लिए मरीजों को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। इसका बोझ उनकी जेब पर पड़ रहा है।

पहले से हो रहे टेस्ट भी बंद

हियरिंग प्राब्लम से जूझ रहे मरीजों को रिम्स में इंपेंडेंस ऑडियोमेट्री और स्पीच आडियोमेट्री टेस्ट कराने के लिए कहा जाता है। इसके लिए रिम्स में क्00 रुपए से अधिक चार्ज नहीं लगता। लेकिन ये दोनों ही टेस्ट कई महीनों से बंद पड़े हैं। नतीजन, मरीजों को प्राइवेट सेंटर में 700 रुपए चुकाने पड़ रहे हैं।

स्टाफ भेज रहे प्राइवेट सेंटर

मरीजों की कुछ जांच तो रिम्स में होती है। लेकिन जो टेस्ट रिम्स में बंद हो चुके हैं, उसके लिए लोगों की जेब कट रही है। और इसके लिए ऑडियोमेट्री के स्टाफ ही मरीजों को प्राइवेट सेंटरों का पता बता रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कहीं टेस्ट को जानबूझकर तो रिम्स में बंद नहीं कर दिया गया।

क्कद्गश्रश्चद्यद्ग ष्श्रठ्ठठ्ठद्गष्ह्ल

रिम्स सबसे बड़ा हास्पिटल है और छोटे-छोटे टेस्ट कराने के लिए बाहर भेजा जाता है। आखिर मरीज यहां इलाज कराने इसलिए आते है कि कम खर्च में उनका बेहतर इलाज हो सके। लेकिन यहां आने के बाद तो कान का मरीज भाग-दौड़ करने और बिल भरने में और बीमार हो जा रहा है।

आशुतोष भारती

डॉक्टर ने आडियोमेट्री और सिटी स्कैन कराने के लिए लिखा था। सिटी स्कैन तो आराम से हो गया, लेकिन आडियोमेट्री के लिए दो दिन दौड़ाया गया। साढ़े बारह बजे के बाद तो ये लोग मरीजों को देखते ही नहीं हैं। सेंटर वालों ने टेस्ट के लिए प्राइवेट सेंटर का एड्रेस बताया कि कुछ टेस्ट वहीं होगा।

सुमा देवी

ऐसी मनमर्जी करने वाले स्टाफ्स और व्यवस्था के कारण रिम्स की छवि खराब हो रही है। लेकिन इसमें कहीं न कहीं प्रबंधन भी जिम्मेवार है। अगर हास्पिटल की व्यवस्था ठीक रहती तो प्राइवेट सेंटर में जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। लेकिन इन सबके चक्कर में तो परेशानी हमें ही हो रही है।

राहुल