-एक तो ठंड का मौसम ऊपर से मरीजों को परोसी जा रहीं ठंडी रोटियां

-खर्च बचाने के लिए सुबह के ड्यूटी स्टाफ्स से ही करा लिया जाता है रात का भी काम

RANCHI(18 Jan): एक तो ठंड का मौसम और ऊपर से रिम्स इनडोर में इलाज करा रहे मरीजों को ठंडा खाना परोसा जा रहा है। रात को मरीजों को परोसा जाने वाला खाना दिन में एक बजे ही तैयार हो जाता है। स्थिति यह है कि दिन में बनी रोटियां तो खाने लायक भी नहीं रहतीं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मरीजों के खाने की क्वालिटी कैसी रहती होगी। इसे लेकर डायटीशियन ने भी कंप्लेन की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

सुबह के स्टाफ्स ही बना रहे डिनर

किचन में सुबह से ही मरीजों की डाइट तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इस दौरान सुबह का नाश्ता भेजने के बाद दोपहर का खाना बनाया जाता है। 12 बजे तक दिन का खाना भी मरीजों के लिए वार्डो में भेज दिया जाता है। इसके बाद सुबह में आए स्टाफ्स से ही रात का खाना भी तैयार कराया जाता है। स्टाफ्स का खर्च बचाने के लिए एजेंसी स्टाफ्स की संख्या भी घटाती जा रही है, लेकिन कहीं न कहीं इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।

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1500 मरीजों का हर दिन बनता है खाना

हास्पिटल में हर दिन 1500 मरीजों का खाना बनता है। इसके लिए प्रबंधन ने किचन में हाइटेक मशीनें भी लगवाई, ताकि मरीजों का खाना जल्दी तैयार किया जा सके। इसके बावजूद मरीजों के रात का खाना दिन में ही तैयार कर लिया जा रहा है।

वर्जन

दिन में जो रोटी बनेगी, वो शाम तक तो खाने लायक भी नहीं रहेगी। स्टाफ्स की संख्या भी ये लोग घटाते जा रहे हैं। इस बारे में कई बार कंप्लेन की गई है। लेकिन एजेंसी वालों पर कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है। आखिर एजेंसी पर इतनी मेहरबानी क्यो की जा रही है।

मिनाक्षी, डायटीशियन, रिम्स

वर्जन

मरीजों की संख्या के हिसाब से काफी रोटियां बनानी पड़ती हैं। ऐसे में दो बजे से ही रोटी बनाने का काम शुरू होता है, तब जाकर शाम तक सभी मरीजों का खाना तैयार हो पाता है। वहीं स्टाफ्स चार बजे से सब्जी बनाते हैं। चूंकि पैकिंग करने में भी दो घंटे का समय लग जाता है।

-फैजल, किचन मैनेजर, प्राइम किचन