RANCHI: रिम्स में वार्ड के डी-1 के टॉयलेट की स्थिति काफी खराब है। टॉयलेट में पानी नहीं रहता है और न ही सफाई। दरवाजा भी टूटा है और न बेसिन, न सफाई। पेशेंट की चादर भी हर रोज नहीं बदली जाती। ऐसे ही न जाने कितनी शिकायतें रिम्स के कंप्लेंट बॉक्स से निकली हैं। जहां इलाज कराने के लिए मरीज आए, उन्हें परेशानी हुई तो कंप्लेन भी लिखकर डाली। वहीं कुछ ने हॉस्पिटल की व्यवस्था सुधारने को लेकर सुझाव भी दिए। इसके बाद वे इलाज कराकर भी रिम्स से लौट गए। लेकिन कंप्लेंट बॉक्स का ताला नहीं खुला।

किसकी है लापरवाही

अब दो साल बाद रिम्स प्रबंधन की नींद खुली है। बुधवार को कंप्लेंट बॉक्स का ताला खोलकर उसमें डाले गए कंप्लेन और सजेशन की लिस्ट तैयार की जा रही है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि दो सालों से किसी का ध्यान कंप्लेंट बॉक्स पर क्यों नहीं गया?

सुपरिंटेंडेंट को करनी थी मॉनिटरिंग

हॉस्पिटल की व्यवस्था सुधारने को लेकर तत्कालीन डायरेक्टर ने इमरजेंसी से लेकर वार्ड तक कंप्लेंट बॉक्स लगाया था। साथ ही कहा गया था कि हर हफ्ते कंप्लेंट बॉक्स खोलकर उसमें डाली गई शिकायत और सुझावों पर चर्चा की जाएगी। इससे हॉस्पिटल में इलाज के दौरान आने वाली परेशानियों को भी दूर करने का प्रयास किया जाएगा। इतना ही नहीं, इसकी मॉनिटरिंग का जिम्मा भी सुपरिंटेंडेंट को दिया गया था। इसके बावजूद सुपरिंटेंडेंट ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।

कंप्लेन-1

हजारीबाग केरेडारी की रहने वाली मंगरी देवी ने 31 अगस्त 2017 को शिकायत की थी। जिसमें उसने लाल कार्ड से अपना इलाज कराने की बात कही थी। साथ ही कहा था कि उसे लाल कार्ड का फायदा नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में वह इलाज कराने में असमर्थ हो गई है।

कंप्लेन-2

गिरिडीह के रहने वाले श्रीकांत तिवारी ने 20 जुलाई 2017 को मोबाइल चोरी की कंप्लेन की थी। साथ ही लिखा था कि किसी असामाजिक तत्व के हाथ में न चला जाए, इसकी भी जांच कराकर मोबाइल वापस दिलाने का कष्ट करें।