फोटो 7 अगस्त आदित्य

नोट - सचिव का फोटो शाम को मिलेगा

-पाटलिपुत्रा स्पो‌र्ट्स कॉम्पलेक्स में नहीं है प्रैक्टिस सेट पर शेड

PATNA (7 Aug): अनिल कुमार, आदित्य, विक्रांत ये वो नाम हैं, जिन्होंने बॉक्सिंग के पंच से राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिहार को ख्याति दिलाई। लेकिन आज लापरवाही के 'पंच' ने इन खिलाडि़यों से उनकी ही पहचान छीन ली। हम बात कर रहे अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी बॉक्सर अनिल कुमार की। जिन्होंने वर्ष ख्0क्फ् में लिमोसोल बॉक्सिंग कप में भारत को कांस्य पदक दिलाया था। लेकिन बदले में सरकार ने उन्हें इनाम देने की जगह आठ माह वेतन रोक दिया था। ऐसे ही कई खिलाड़ी हैं जो दो जून की रोटी के लिए कड़ी मशक्कत कर रहे हैं। कहना गलत नहीं होगा कि कई प्रतिभावान खिलाडि़यों के बाद भी खेल की दुनिया में बिहार पिछड़ गया।

-लापरवाही सरकार की, सजा खिलाडि़यों को

पटना के पाटलिपुत्रा स्पो‌र्ट्स कॉम्पलेक्स में सरकार द्वारा बॉक्सरों के लिए प्रैक्टिस सेट पर शेड लगवाना था। इसके लिए टेंडर भी हुआ। भवन निर्माण विभाग को तकरीबन ख्0 लाख रुपए भी मिले। विभाग द्वारा बॉक्सिंग रिंग भी खरीदी गई, मगर भवन निर्माण विभाग की लापरवाही की वजह से बॉक्सिंग सेट पर शेड नहीं लगा। नतीजा यह कि बॉक्सिंग रिंग जंग खा रही है। बारिश के समय पानी गिरने पर खिलाड़ी वाइपर से प्रैक्टिस सेट को साफ करते हैं, तब जाकर बॉक्सिंग की प्रैक्टिस हो पाती है।

- यहां होती है प्रैक्टिस

बिहार में बॉक्सिंग की प्रैक्टिस राजधानी पटना के अलावा मुजफ्फरपुर, भागलपुर, मुंगेर, दरभंगा, पूर्वी चंपारण, रोहतास सहित कई जिलों में होती है ।

-कोच का अभाव

खिलाडि़यों को सही प्रशिक्षण मिले इसके लिए कोच की जरूरत होती है, लेकिन सरकार सुध नहीं ले रही है। यही कारण है कि अभी तक कोच की नियुक्ति नहीं हो सकी है। जबकि पूर्व में सरकार द्वारा नियमावली तैयार की गई। मगर कोच की भर्ती के लिए विज्ञापन नहीं निकला। ऐसे में खिलाड़ी अपने स्तर से बाक्सिंग की बारीकियां सीख कर हुनर का प्रदर्शन करने पर मजबूर हैं।

-पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं आगे

बिहार बॉक्सिंग एसोसिएशन के सचिव राजीव कुमार सिंह कहते हैं कि झारखंड बनने के बाद बिहार में बॉक्सिंग का नामोनिशान मिट गया था। वर्ष ख्007 में बॉक्सिंग का नया जन्म हुआ। अब बिहार के खिलाड़ी नेशनल लेवल पर जाने लगे हैं। आने वाले समय में यही खिलाड़ी इंटरनेशनल लेवल पर खेलेंगे। लेकिन यह भी सच है कि बिहार बाक्सिंग में पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं ज्यादा हैं। बिहार में कई ऐसी महिला बॉक्सर हैं, जो नेशनल लेवल पर अपने नाम मेडल कर चुकी हैं।

------------------------------------

- कांस्य पदक दिलाया और रोक दिया वेतन

आंसुओं में दर्द को छिपाते हुए मधुबनी जिले के अनिल कहते हैं कि लिमोसोल बॉक्सिंग कप का आयोजन यूरोप के साइप्रस शहर में हुआ था। इसमें भारत के तरफ से खेलते हुए मैंने एकल स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किया। लेकिन वतन लौटने के बाद राज्य सरकार का उदासीन रवैया देखने को मिला। बताया कि क्म् अप्रैल ख्0क्ख् को नौकरी जब मिली तो घर में खुशी की लहर छा गई। इसके बाद जब मैं बॉक्सिंग के लिए राष्ट्रीय शिविर में गया, तो विभाग की ओर से 8 माह तक वेतन रोक दिया गया। इसकी शिकायत तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी से की थी। उन्होंने अश्वासन दिया और कहा सभी सुविधाएं मिलेंगी, मगर वेतन के अलावा कुछ भी नहीं मिला।

-अगले ओलंपिक की तैयारी

पाटलिपुत्रा स्पो‌र्ट्स कॉम्पलेक्स में प्रैक्टिस करनेवाली खिलाड़ी काजल सिंह और सीमा कुमार बताती हैं कि बॉक्सिंग में अनिल सर की तरह देश का नाम रौशन करूंगी और अगले ओलंपिक में भारत की ओर से प्रतिनिधित्व करूंगी।

-बिहार के नाम कई मेडल

पाटलिपुत्रा स्पो‌र्ट्स कॉम्पलेक्स के खिलाड़ी और प्रशिक्षक आदित्य कुमार और विक्रांत कुमार ने बताया कि बॉक्सिंग एक ऐसा खेल है जिसमें हमेशा प्रैक्टिस की जरूरत होती है। हमलोग इसी मैदान से निकल कर राष्ट्रीय स्तर के कई प्रतियोगिता के हिस्सा बने और मेडल अपने नाम किए।

-सुविधाएं नहीं, लेकिन इरादा मजबूत

अर्जुन और अमन ने बताया कि बॉक्सिंग की प्रैक्टिस करते हुए ज्यादा दिन नहीं हुए हैं। मगर जैसी सुविधा मिलनी चाहिए नहीं मिलती है। लेकिन हमलोगों का इरादा मजबूत है। अब तो पढ़ाई के बाद कुछ सोचता हूं तो वो बॉक्सिंग, इस खेल को खेलते हुए देश का नाम रौशन करना चाहता हूं