उत्तराखंड के दौरे पर

करीब 300 से अधिक कनेडियन फिल्म व टेलीविजन की दुनिया में टू-टाइम इमी अवॉर्ड पाने वाले पॉल आजकल उत्तराखंड दौरे पर हैं। जहां उन्होंने कुछ दिन ऋषिकेश में बिताए। हालांकि, सैटरडे को वे अपनी 20 सदस्यीय टीम के साथ चोपता की चंद्रशिला के लिए ट्रैकिंग पर थे। पॉल चेरिटेबल नॉन प्रोफिट ऑर्गनाइजेशन के सीईओ भी हैं। 1943 में जन्मे पॉल ने इंजीनियरिंग की है। 1973 में पॉल की मैरिज डायरेक्टर व स्क्रीन राइटर दीपा मेहता से हुई। हालांकि, अब वो साथ-साथ नहीं हैं।

 

Meditation के लिए आए थे

कनेडियन फिल्म मेकर पॉल सेल्ट्जमैन का ऋषिकेश यूं कहें उत्तराखंड से बड़ा नाता रहा है। वे साठ के दशक में वह बेहद तनाव में रहे। देश-दुनिया से सफर करने के बाद 23 वर्ष की उम्र में 1968 में पॉल ऋषिकेश महर्षि महेश योगी के आश्रम पहुंचे। जहां वे तनाव मुक्त होने के लिए मेडिटेशन चाहते थे। कई दिनों तक आश्रम के बाहर वे इंतजार करते रहे, लेकिन उन्हें इंट्री नहीं मिल पाई। इस दौरान इन पर आश्रम के एक कर्मचारी राघवेंद्र की नजर पड़ गई। कुछ दिनों के बाद राघवेंद्र ने पॉल को आश्रम में जगह दिलाई और वह मेडिटेशन करने लगे। महज चंद घंटों बाद पॉल को रिलीफ मिलना शुरू हुआ तो उन्होंने इसको करिश्मा करार दिया और पॉल लौट गए।

Popular rock band

इस बीच महर्षि महेश योगी का आश्रम फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के लीज पर होने के कारण छूट गया। लेकिन इस दौरान पॉल की मुलाकात दुनिया के सबसे फेमस युवा रॉक बैंड 'बीटल्सÓ से भी हुई, जिसके कई मेंबर्स यहां आश्रम में पहुंचे हुए थे। जब 1968 में ये वल्र्डफेम रॉक बैंड 'बीटल्सÓ के कारण ऋषिकेश को दुनियाभर में पॉपुलेरिटी भी मिली थी। जब पॉल की मुलाकात इस रॉक बैंड से हुई तो पॉल ने उनकी परफॉर्मेंस को अपने कैमरे कैद कर लिया। पॉल 2001 में बीटल्स व महर्षि महेश योगी के आश्रम में पहुंचने के लिए दोबारा फिर ऋषिकेश आए थे, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। बीटल्स और आश्रम का मोह पॉल को वापस ऋषिकेश खींच लाया। पॉल का मकसद उस आश्रम के उस कर्मचारी राघवेंद्र से भी मिलना था, जिसने पॉल को मेडिटेशन के लिए आश्रम में इंट्री दी थी। और इस दौरान पॉल ने अपनी अपनी बुक 'बीट्ल्स इन ऋषिकेशÓ का भी प्रकाशन किया। जिसमें ये सारा जिक्र आसानी से देखा जा सकता है।

राघवेंद्र को भी ढूंढा

ऋषिकेश पहुंचने पर पॉल को न तो राघवेंद्र मिला और न ही वो महर्षि महेश आश्रम। पॉल के मुताबिक एक बार फिर ऋषिकेश को फिल्म के जरिए फिर से दुनिया में फेमस होने का मौका मिलेगा। हो सकता है कि जो आश्रम अब राजाजी के अधीन है, उसको दुबारा शूट किया जाए और जो 1968 के शॉट्स मौजूद हैं, उसमें ऋषिकेश का जिक्र आसानी से देखा जाएगा।