- पांच आरोपितों को भेजा नोटिस, पूछताछ को किया तलब

- सिंचाई विभाग से मांगी स्पेशल टेक्निकल ऑडिट कमेटी की रिपोर्ट

- सीबीआई भी कर रही है जांच, ज्यादातर आरोपितों के लिए बयान

LUCKNOW: पूर्ववर्ती सपा सरकार में हुए गोमती रिवरफ्रंट घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी शुरू कर दी है। ईडी ने बाकायदा प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत इसका केस दर्ज कर आरोपितों को नोटिस देकर तलब करना भी शुरू कर दिया है। ध्यान रहे कि इस मामले की जांच सीबीआई की लखनऊ स्थित एंटी करप्शन ब्रांच भी कर रही है। ईडी ने भी सीबीआई की तर्ज पर केस दर्ज कर घोटाले के सुराग तलाशने शुरू कर दिए है। ईडी के इस कदम से घोटाले के आरोपित आईएएस अफसरों व सिंचाई विभाग के इंजीनियरों की मुश्किलें बढ़ना तय मानी जा रही है। अब उन्हें खुद को निर्दोष साबित करने के लिए ईडी को अपनी पाई-पाई का हिसाब देना होगा।

सिंचाई विभाग से मांगी रिपोर्ट

ईडी ने इस मामले में सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव से स्पेशल टेक्निकल ऑडिट रिपोर्ट भी तलब कर ली है ताकि यह पता लगाया जा सके कि रिवरफ्रंट के निर्माण में कहां-कहां वित्तीय अनियमितताएं बरती गयीं। ईडी की ओर से घोटाले के मुख्य आरोपी तत्कालीन चीफ इंजीनियर रूप सिंह राठौर समेत पांच इंजीनियरों को नोटिस देकर दस्तावेजों के साथ तलब भी कर लिया है। ध्यान रहे कि सितंबर में राज्य सरकार द्वारा की गयी सिफारिश के चार महीने बाद सीबीआई ने भी रिवरफ्रंट घोटाले का केस दर्ज किया था। सीबीआई ने इसके बाद रिवरफ्रंट के निर्माण कार्यो से जुडे़ तमाम दस्तावेज बटोरे और सारे आरोपितों को तलब कर बारी-बारी से उनके बयान दर्ज किए हैं। सीबीआई ने इस मामले में एक प्रारंभिक जांच (पीई) भी दर्ज की है ताकि पर्दे के पीछे से घोटाले को अंजाम देने वाले राजनेताओं की भूमिका की भी गहनता से पड़ताल की जा सके। सीबीआई ने आईआईटी कानपुर से इसकी टेक्निकल रिपोर्ट भी मांगी है ताकि निर्माण कार्यो की गुणवत्ता को परखा जा सके।

मुख्यमंत्री ने दिए थे जांच के आदेश

दरअसल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोमती रिवरफ्रंट का दौरा करने के बाद विगत चार अप्रैल को इसमें हुई वित्तीय अनियमितताओं की जांच को हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आलोक सिंह की अध्यक्षता में समिति गठित की जिसने 16 मई को राज्य सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में दोषी पाए गये अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की संस्तुति की। तत्पश्चात रिपोर्ट पर अग्रेतर कार्यवाही को काबीना मंत्री सुरेश खन्ना के नेतृत्व में एक समिति गठित हुई। समिति ने न्यायिक जांच के घेरे में आए तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन और प्रमुख सचिव सिंचाई दीपक सिंघल के खिलाफ विभागीय जांच और इंजीनियरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की। इसके बाद 19 जून को सिंचाई विभाग की ओर से गोमतीनगर थाने में आठ इंजीनियरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गयी।

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ये इंजीनियर हैं नामजद

तत्कालीन मुख्य अभियंता गोलेश चंद्र (रिटायर्ड), एसएन शर्मा, काजिम अली और अधीक्षण अभियंता शिवमंगल यादव (रिटायर्ड), अखिल रमन, कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह यादव (रिटायर्ड) और अधिशासी अभियंता सुरेश यादव।

फैक्ट फाइल

- दागी कंपनियों को रिवरफ्रंट निर्माण का काम सौंपने की जांच में पुष्टि

- विदेशों से तमाम बेशकीमती सामान ऊंचे दामों पर खरीदा गया

- चैनलाइजेशन के काम में हुए घोटाले से योजना की लागत बढ़ती गयी

- रिवरफ्रंट के निर्माण को दिए बजट से नेताओं और अफसरों ने विदेश दौरे किए

- 747.49 करोड़ की लागत से होना था गोमती रिवरफ्रंट का निर्माण कार्य

- बेतहाशा फिजूलखर्ची से योजना की लागत बढ़कर हुई 1990.561 करोड़

- 1437.83 करोड़ रुपये हो चुके थे खर्च, कुल 1513.51 करोड़ दिए गये थे