- पिछले चार दिनों से आरएफडी के कैचमेंट एरिया में आधे दर्जन से ज्यादा जेसीबी व लोडर

- बरसात में पानी में न बह जाए योजना, समतलीकरण के लिए किया जा रहा है मिट्टी की भरान

>DEHRADUN: रिस्पना व बिंदाल नदी पर पिछले तीन सालों से प्रपोज्ड और मोस्ट अवेटेड प्रोजेक्ट रिवर फ्रंट योजना पर एक्सरसाइज शुरू होती नजर आ रही है. योजना कब तक धरातल पर उतरेगी और अधिकृत तौर पर कब काम शुरू हो पाएगा. खुद प्राधिकरण को यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन आजकल प्रोजेक्ट के कैचमेंट एरिया किशनपुर में जेसीबी गरजती हुई दिख रही है. बताया जा रहा है कि प्राधिकरण बरसात से पहले करीब डेढ़ किमी के दायरे में कुछ साल पहले बनाई गई दीवारों को सेफ और बरसात में नदी में बन रहे बड़े-बड़े गड्ढों को पाटने के लिए भरान करने पर जुटा हुआ है. जिससे आगामी 15 जून से शुरू होने वाले मानसून को देखते हुए प्रोजेक्ट व स्थानीय इलाकों में किसी प्रकार का कोई खतरा पैदा न हो.

3 साल में 60 करोड़ से अधिक खर्च

रिस्पना-बिंदाल नदी में रिवर फ्रंट योजना पर काम शुरू हुए मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण को तीन साल पूरे हो चुके हैं. इन तीन सालों में पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार में करीब 60 करोड़ रुपए से अधिक की रकम खर्च कर तकरीबन डेढ़ किमी के दायरे में किशनपुर इलाके में नदी के दोनों तरफ दीवारें खड़ी की गई. लेकिन तब से लेकर अब तक प्रोजेक्ट अधर में लटका हुआ है. भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद इस पर रिहर्सल शुरू हुई. इसी वर्ष जनवरी माह में साबरमती रिवर फ्रंट कॉर्पोरेशन के बीच टेक्निकल सपोर्ट के लिए एमओयू साइन हुआ. एकाध महीने बार लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता प्रभावी हो गई. अचानक एक बार फिर एमडीडीए को आरएफडी की याद आई और रिस्पना नदी पर पिछले चार दिन से प्राधिकरण ने जेसीबी व लोडर उतार दिए हैं.

पानी में बह गई योजना, टूट चुकी हैं दीवारें

एमडीडीए अधिकारियों के अनुसार बरसात में किसी प्रकार का नुकसान न हो, इसके लिए नदी में दोनों ओर बनाई गई दीवारों के बीचों-बीच बारिश के कारण कटान दोबारा न हो, पाटने के लिए बड़ी मशीनें उतारी गई हैं. दरअसल, तीन साल पहले आरएफडी पर जब करीब 1.5 किमी दायरे में रिस्पना नदी के दोनों ओर दीवारें तैयार की गईं तो इन दीवारों के बीचों-बीच बारिश के कारण बड़े-बड़े गड्ढे और खाई बन गई. यहां तक कि कुछ हिस्सों में करोड़ों खर्च करने के बावजूद दीवारें ढह गई. जिसके बाद प्रोजेक्ट पर सवालिया निशान उठने लगे. दोबारा ऐसा न हो, इसके लिए एमडीडीए ने काम शुरू कर दिया है. बताया गया कि दोनों दीवारों के बीच पहले मिट्टी का भरान, फिर सीमेंट का लेप, जाली और उसके बाद फाइनली सीमेंट की भरान किया जाएगा. जिससे बरसात में तेज बहाव के कारण कटान न हो पाए. प्रोजेक्ट देख रहे प्राधिकरण के एसई संजीव जैन ने बताया कि बरसात में नदी में हो रहे कटान के प्रोटेक्शन के लिए भरान कार्य किया जा रहा है. जरुरत पड़ने पर चैक डैम भी बनाए जाएंगे. जिससे पानी लेवल पर बना रहेगा. इसमें नए बजट का कोई अलॉटमेंट नहीं हुआ है, पैसा पहले से ही मौजूद था.

9 जनवरी को हुआ था एमओयू

बीती 9 जनवरी को सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में एमडीडीए व साबरमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेडड(एसआरएफडीसीएलल) के बीच रिस्पना व बिंदाल नदी पर रिवर फ्रंट डेवलपमेंट कार्य के लिए एमओयू साइन हुआ था. इस एमओयू के तहत साबरमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा एमडीडीए को उक्त नदियों पर आरएफडी टेक्निकल सपोर्ट हेल्प, डिजाइन, प्लानिंग व निर्माण आदि के कायरें में हेल्प दिए जाने पर सहमति बनी. इस दौरान खुद साबरमती फ्रंट कॉर्पोरेशन के एक्सक्यूटिव डायरेक्टर आरके मेहता, कॉर्पोरेशन के चेयर पर्सन केशव वर्मा आदि अधिकारी मौजूद रहे.

वेबसाइट पर नहीं है इनफॉर्मेशन

एमडीडीए के वीसी पहले बता चुके हैं कि पायलट प्रोजेक्ट के रूप में रिस्पना नदी के 1.2 किमी व बिंदाल नदी के 2.5 किमी में डेवलपमेंट वर्क होने हैं. जिसके तहत सड़क, साइकिल ट्रैक, फुटपाथ, चेकडैम, आवासीय व कॉमर्शियल परियोजना समेत ब्रिज निर्माण, मल्टी स्पेशिलिटी हॉस्पिटल आदि का निर्माण किया जाना है. कहा गया था कि बिडिंग 29 मार्च तक प्राप्त की जाएगी, लेकिन अब तक यह नहीं हो पाया है. उसका कारण लोकसभा चुनाव बताया जा रहा है. बताया गया था कि जल्द ही प्रोजेक्ट को लेकर सभी जानकारियां वेबसाइट पर अपलोड कर दी जाएंगी, लेकिन अब तक कोई जानकारी वेबसाइट पर नहीं है.

- दोनों नदियों के किनारे अतिक्रमण.

- अब तक ऑफिशियली नहीं हो पाया चिन्हीकरण.

- प्रभावितों को आमवाला व ट्रांसपोर्ट नगर में बसाने के लिए कहा गया था.

- ट्रांसपोर्ट नगर में पीएम आवास योजना के पात्रों को दिए जा रहे आवास.