रीता ने दोनों बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करकेभेजा था। इसके बाद वह चैन की सांस भी नहीं ले पाई थीं कि फोन की घंटी बज उठी। फोन पर बड़ा बेटा गौरव फफक रहा था। मम्मी, देखो न अखंड को क्या हो गया? यह सुनते ही मां का कलेजा बैठ गया

कार सवार ने ली मासूम की जान

-हाईकोर्ट पानी टंकी के आगे कार ने मारी स्कूली विक्रम को टक्कर

-8 साल के मासूम अखंड की मौत, एक दर्जन से अधिक बच्चे जख्मी

-आक्रोशित पब्लिक ने कार को किया आग के हवाले

ALLAHABAD: इस बार एक कार सवार की जल्दबाजी एक मासूम की जिंदगी पर भारी पड़ गयी। पानी टंकी के पास कार चालक ने बच्चों को स्कूल लेकर जा रहे विक्रम को टक्कर मार दी। इससे विक्रम पलट गया और फिर दांव पर लग गई दर्जनभर छात्रों की जिंदगियां। आठ साल के मासूम अखंड की मौत भी हो गयी। बड़े बेटे गौरव की सूचना पर पहुंचे पैरेंट्स ने बेटे अखंड को खून से लथपथ देखा तो कलेजा मुंह को आ गया। उनकी चीखें सुनकर आने-जाने वाले भी सन्नाटे में आ गए। रोड पर मासूम अखंड पड़ा था और बगल में वह कार जल रही थी जिसने स्कूली विक्रम को टक्कर मारी थी।

जानलेवा एक्सीडेंट

धूमनगंज एरिया से स्कूली बच्चों को लेकर विक्रम ड्राइवर सेंट जोसेफ स्कूल जा रहा था। विक्रम में सात से क्ब् साल के क्म् बच्चे बैठे थे। छोटे बच्चों को ड्राइवर ने अपने आसपास की सीट पर बैठा रखा था। इसमें प्रीतमनगर के रहने वाले आलोक गुप्ता का आठ साल का बेटा अखंड, एडवोकेट एसके त्रिपाठी का बेटा अक्षत, गौरव और अभ्युदय भी थे। पीछे वाली सीट पर अखंड का बड़ा भाई गौरव, विष्णु, स्वप्निल, अमितेश, ऋतांग, अक्षत मिश्रा, हर्ष आदि थे। बच्चों ने बताया कि अखंड कार्नर में बैठा था। विक्रम हाईकोर्ट पानी टंकी के पास पहुंचा भी नहीं था कि सामने से स्पीड से आ रही एक कार ने उसे जोरदार टक्कर मार दी। किनारे होने से अखंड नीचे गिरा तो कार उसके ऊपर चढ़ गई। स्पॉट पर ही उसकी मौत हो गई।

दो बार पलटा विक्रम

स्थानीय लोगों की मानें तो टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि विक्रम दो बार पलटा। इससे विक्रम में बैठे सभी स्टूडेंट गिर गए और जख्मी हो गए। बच्चों की चीख सुनकर भीड़ जमा होने लगी। स्थानीय लोग बच्चों की मदद में जुट गए। विक्रम में बैठे अक्षत त्रिपाठी के पिता एसके त्रिपाठी के मोबाइल पर सुबह सात बजे एक्सीडेंट की सूचना मिली थी। वह क्भ् मिनट पर स्पॉट पर पहुंच गए। उन्होंने मीडिया को बताया कि दस मिनट पहले ही एक्सीडेंट हुआ था। मौके पर अखंड खून से लथपथ पड़ा था। पुलिस ने स्पॉट को घेर दिया था। उसका बड़ा भाई भी जख्मी पड़ा था। वह अपने बच्चे अक्षत को तलाश रहे थे। उसे सही सलामत देखा तो सीने से चिपका लिया।

बढ़ता गया आक्रोश

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार घटना के बाद कार का ड्राइवर भी डर गया। उसने वाहन को स्पॉट पर ही छोड़ दिया और भाग निकला। स्थानीय पब्लिक को पता चला कि एक्सीडेंट कार वाले की गलती हुआ है तो उन्होंने कार पर हमला बोल दिया। तोड़फोड़ के बाद उसे आग के हवाले कर दिया। सूचना पाकर कैंट पुलिस पहुंची और फायर ब्रिगेड को बुलवाया। कार के अंदर मौजूद सामानों से संकेत मिला कि वह किसी बारात से लौट रहे थे। कार के अंदर से मिले कागजात देखकर पता चला कि वह मृत्युंजय मिश्रा की है। कार की नंबर प्लेट पर हाइकोर्ट इलाहाबाद लिखा हुआ था। किसी ने मृत्युंजय को एडवोकेट बताया तो कोई उन्हें किसी जज का पर्सनल सेक्रेटरी बता रहा था।

ले गए प्राइवेट हॉस्पिटल

एक्सीडेंट में अखंड का बड़ा भाई गौरव भी चोटिल था। विष्णु के हाथ में चोट लगी थी तो गौरव के चेहरे पर जख्म के निशान थे। बाकियों में किसी को हाथ में तो किसी को पैर में चोट लगी थी। हर किसी के चेहरे पर दशहत साफ नजर आ रही थी। स्टूडेंट्स ने पब्लिक की मदद से अपने पैरेंट्स को सूचना दी। इस पर वे मौके पर पहुंचे और लाडलों को प्राइवेट हॉस्पिटल लेकर ट्रीटमेंट कराने पहुंचे।

सीने से चिपकाए रही अखंड को

अखंड के पैरेंट्स मौके पर पहुंचे तो उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि अखंड अब इस दुनिया में नहीं रहा। एजी ऑफिस में जॉब करने वाले पिता आलोक गुप्ता को अपनी वाइफ रीता को संभालना पड़ रहा था। रीता अपने कलेजे के टुकड़े को सीने से लगाकर रोड पर बैठ गई। वह उसकी बॉडी छोड़ने को तैयार नहीं थीं। काफी देर बाद पुलिस अखंड की बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेज सकी।

नहीं चली एडवोकेट्स की

एडवोकेट की गाड़ी में एक्सीडेंट के बाद तोड़फोड़ और आगजनी की सूचना मिलने के बाद कुछ एडवोकेट वहां पहुंचे और हंगामा करने लगे। मौके पर मौजूद पुलिस से भिड़ गए। लेकिन, पुलिस इस बार साइलेंट रही। एडवोकेट्स का सामना इस बार पुलिस से नहीं बल्कि पब्लिक से था। पब्लिक ने उन्हें कहा कि आपका साथी मरता है तो आप भ्0 लाख मुआवजा मांगते हैं। बस जला देते हैं और अब हमें समझाने पहुंचे हैं। पब्लिक का तेवर देखकर वकीलों ने वहां से लौट जाने में ही भलाई समझी।

कार मृत्युंजय मिश्रा के नाम से है। वह इलाहाबाद हाईकोर्ट का कर्मचारी हैं। आलोक की तहरीर पर रिपोर्ट दर्ज करके मामले की जांच की जा रही है।

राजेश यादव

एसपी सिटी

दो दिन पहले झूंसी में पलटा था विक्रम

दो दिन पहले ही झूंसी में स्कूली बच्चों से भरा विक्रम नाले में पलट गया था। इस हादसे में आठ साल के अस्तित्व यादव की मौत हो गई थी। अर्पित व आस्था समेत एक दर्जन से अधिक बच्चे जख्मी हुए थे।