आगे रहने की होड़ में कुचल डाली दो जिंदगी

गाजीपुर बनारस रुट पर इन दिनों जानलेवा खेल चल रहा है। इसे आगे रहने की रेस कहें या नम्बर गेम, ये प्रूफ हो चुका है इस गेम में उनकी जान जा रही है जिनके लिए रेस लगाई जाती है। इस गेम में माफिया भी हैं और नेता भी। जबकि एडमिनिस्ट्रेशन और आरटीओ जानबूझ कर इस डेथ रेस के सामने आंखें मूंदे बैठा है। हम बात कर हैं बनारस-गाजीपुर रूट पर प्राइवेट बस सर्विस की। सबसे आगे रहने, ज्यादा से ज्यादा सवारियां बैठाने और बस स्टैंड पर अपना नम्बर आगे रखने की होड़ में एक्सिडेंट तो रोज ही होते हैं जबकि कभी कभी जान भी जाती है। गुरुवार को एक बार फिर इस रेस में शामिल बसों ने दो जिंदगियों को रौंद दिया। फिर पब्लिक आपे से बाहर हुई और जमकर उपद्रव हुआ। तोडफ़ोड़ और आगजनी भी हुई जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया।

और थम गई सांसे

सारनाथ के बेनीपुर निवासी सूरज राजभर (36 वर्ष) अपने भतीजे रामप्रकाश (25 वर्ष) और श्रीरामपुर केराकत जौनपुर के रहने वाले राम प्रकाश के बहनोई जय सिंह (30 वर्ष) के साथ मोटरसाइकिल (यूपी 65 बीडी 5884)से कज्जाकपुरा के लिए सुबह दस बजे निकले थे। पंचक्रोशी सब्जी मंडी पर रुकने के बाद तीनों के बाद तीनों आगे बढ़े ही थे कि पैगंबरपुर चौराहे के पास गाजीपुर से सवारी लेकर वाराणसी आ रही बस (जेएच 20 ए 7125) ने दूसरी एक बस को ओवरटेक करने की कोशिश में इनकी बाइक को तेज धक्का मार दिया। रोड पर गिरते ही बस का पिछला पहिया सूरज व रामप्रकाश के सिर को डैमेज कर गया। मौके पर ही दोनों ने दम तोड़ दिया। सबसे पीछे बैठा जय सिंह सड़क के बायीं ओर गिरने के कारण बुरी तरह इंजर्ड हुआ।

डेडबॉडीज के साथ चक्काजाम

इस दिल दहलाने वाली खबर को सुन फैमिली वाले भी मौके पर पहुंच गए और उनकी चीख-पुकार सुन लोगों का कलेजा दहल गया। घटना से गुस्साई पब्लिक ने पंचक्राशी चौराहे पर डेडबॉडी के साथ चक्काजाम कर दिया। इनकी मांग थी कि मृतकों की फैमिली को 10-10 लाख रुपया मुआवजा मिले। हालांकि पुलिस अफसरों ने जब इस मांग की अनसुनी की तो पब्लिक का गुस्सा बेकाबू हो गया। लोगों ने इस रूट पर एक प्राइवेट बस को रोक उसे आग के हवाले कर दिया। बाकी दो बसों में भी तोडफ़ोड़ की।

पुलिस पर किया पथराव

सीओ कैंट विनोद सिंह ने मौके पर पहुंच लोगों को समझाने की कोशिश की मगर पब्लिक ने डेडबॉडी पुलिस को देने से इंकार कर दिया। एसपी सिटी राहुल राज ने लोगों को जबरन हटाने की कोशिश की तो पब्लिक पथराव शुरू कर दिया। इसके बाद पीएसी वालों ने लाठीचार्ज कर लोगों को खदेड़ा और दो डेडबॉडीज को जबरन कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया।

ऑटो वाले ने दिखाई दिलेरी

भरे बाजार इस दर्दनाक घटना को अंजाम देने के बाद ड्राइवर ने बस भगाने की पूरी कोशिश की मगर एक ऑटोरिक्शा वाले ने दिलेरी दिखाते हुए उसे पुराना पुल चौकी के पास ओवरटेक कर रोक दिया और आस-पास के लोगों की मदद से ड्राइवर को पकड़ पुलिस के हवाले कर दिया।

मछली के चक्कर में मौत ने बुलाया

रिश्ते में राम प्रकाश के बहनोई जय सिंह के घर आने की खुशी में भी राम प्रकाश के चाचा सूरज ने मछली बनाने का प्लैन बनाया। मछली लेने के लिए ही तीनों एक ही बाइक पर सवार होकर पंचक्रोशी सब्जी मंडी के पास मछली लेने पहुंचे थे लेकिन वहां फ्रेश मछली ना मिलने पर तीनों ने चौकाघाट चलने का मन बनाया। हालांकि बीच रास्ते में ही राम प्रकाश और सूरज को मौत ने अपना निवाला बना लिया।

बारात से पहले ही उठ गयी अर्थी

फैमिली वालों के मुताबिक सूरज के भतीजे रामप्रकाश की शादी जाल्हूपुर के एक परिवार में फिक्स थी। इसी नवम्बर में शादी होनी थी। तैयारियों के सिलसिले में ही राम प्रकाश के बहनोई जय सिंह का बनारस आना हुआ था। मगर किस्मत का खेल ये हुआ कि बारात उठने के पहले अर्थी उठ गयी।

अफसरों को ठेंगा दिखाते हैं बस वाले

गाजीपुर रूट पर प्राइवेट बसों की मनमानी की अनगिनत घटनाएं हैं। मजेदार ये है कि मामूली बस वाले आरटीओ से लेकर रोडवेज अफसरों और डीएम-कमिश्नर तक को औकात बताते रहते हैं। आज तक किसी भी अफसरों की इनके आगे एक नहीं चल सकी है। वजह ये है कि इस रूट पर दो बड़े माफियाओं की बसों का दबदबा है। दोनों ने काफी दिनों तक आपस में संघर्ष किया मगर बाद में एक दूसरे से झड़प ना हो इसलिए नम्बर सिस्टम इजाद किया। इनकी हनक इतनी ज्यादा है कि रोडवेज अफसर भी इस रूट पर ना तो अपनी बसें बढ़ा पा रहे हैं और ना ही अनुबंधित सेवा शुरू कर पा रहे हैं। नतीजा पब्लिक से बदतमीजी, मनमाना किराया वसूली और रश ड्राइविंग की घटनाएं आम हैं।

क्या है बसों का नम्बर गेम

- बनारस-गाजीपुर रूट पर पूरी तरह से ट्रांसपोर्टेशन माफियाओं और दबंगों का कब्जा है।

- इनकी हनक और पहुंच इतनी ज्यादा है कि रोडवेज बस वाले भी इस रूट से कन्नी काटते हैं।

- कोई साधारण इस रूट पर अपनी बस चलाने की हिम्मत भी नहीं कर पाता है।

- गाजीपुर के लंका बस अड्डे पर दो अलग अलग माफिया गैंग के लोग अपनी अपनी बसों को नंबर लगवाते हैं।

- हर बस का नंबर के लिए टाइमिंग सेट है और फिक्स टाइम के बाद बस पहुंचती है तो बाद का नम्बर मिलता है।

- बाद में नम्बर मिलने पर बस को काफी देर रुकना पड़ता है उसका एक दिन के राउण्ड कम हो जाते हैं।

- नम्बर हाथ से ना निकले और कोई दूसरा नम्बर ना हथिया ले इसके लिए सड़कों पर बसों के बीच जानलेवा काम्पटीशन चलता है।

पहले भी जान ले चुकी है ये अंधी दौड़

- गुरुवार को पंचक्रोशी पर बस की चपेट में आने से दो की मौत एक घायल

- सितम्बर महीने में चौबेपुर डुबकियां में तेज रफ्तार बस खाई में पलटी आधा दर्जन घायल

- इसी साल अगस्त महीने में चौबेपुर संदहा बाजार के पास बस न ऑटो का मारी टक्कर आठ की मौत

- पिछले साल बस ने बोलेरो को मारी टक्कर एक नवजात समेत चार की मौत

- पिछले ही साल चौबेपुर मारकण्डे महादेव के पास बस ने दो महिने पहले एक बाइक सवार को रौंदा

टूटी नींद, अब आशापुर पर ही रुकेंगी बसें

प्रशासन की नींद तभी टूटती है जब कोई घटना हो जाती है। ऐसा ही हुआ इस दर्दनाक घटना के होने के बाद। गुरुवार को हुई इस घटना के बाद पुलिस ने गाजीपुर की ओर से आने वाली बसों की सिटी में एंट्री पर रोक लगा दी है। एसएसपी अजय कुमार के मुताबिक 21 सितम्बर से गाजीपुर से आने वाली बसें सिटी की ओर नहीं आएंगी। सभी बसों को आशापुर में रोका जाएगा और पैसेंजर्स वहां से ऑटोरिक्शा या सिटी बसों से मंजिल तक पहुंचेंगे।

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इस रुट पर बसों की रफ्तार पर लगाम लगाने के लिए समय समय पर चेकिंग अभियान चलता है। रही बसों के बीच नंबर में आगे रहने की होड़ की बात तो इसकी जानकारी नहीं है। इस बारे में कुछ जानने के बाद ही बता सकूंगा।

आरएस यादव, एआरटीओ, एन्फोर्समेंट

ये सब सिविल पुलिस की देन है। अगर सिवल पुलिस के जवान रुपये लेकर बड़ी गाडिय़ों को न छोड़े तो ऐसी घटना न हो लेकिन ये लोग मानते ही नहीं हैं और वसूली के आरोप में फंसते ट्रैफिक पुलिस के जवान हैं।

जीएन खन्ना, एसपी ट्रैफिक