देहरादून, सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लाख दावों के बाद भी राज्य की खूनी सड़कें हर वर्ष सैकड़ों लोगों की जिंदगी लील रही हैं. मौत का आंकड़ा साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है, जो रोड सेफ्टी के लिए बड़ा चैलेंज है. वर्ष 2017 से इस वर्ष अप्रैल तक सड़क हादसों में 2279 लोग अपनी जान गवां चुके हैं, जबकि 3567 लोग घायल हुए. रोड सेफ्टी को लेकर सिक्योर इन्फ्रास्ट्रक्चर की बजाय वाहनों के चालान पर जोर दिया जा रहा है. ऐसे में हादसों पर कैसे ब्रेक लगे ये बड़ा सवाल है.
मौत के आंकड़ डराने वाले
वर्ष हादसे मौत घायल
2017 1603 942 1631
2018 1468 1047 1571
2019 443 290 365
कुल 3514 2279 3567
(2019 के आंकड़े जनवरी से अप्रैल तक)
दून का हाल
वर्ष हादसे मौत घायल
2017 342 143 254
2018 317 137 254
2019 107 60 73
कुल 766 340 581
(2019 के आंकड़े जनवरी से अप्रैल तक)
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पहाड़ ज्यादा खतरनाक लेकिन सेफ
सड़कों का डिजाइन, रखरखाव और संकरेपन को देखते हुए पहाड़ी जिले रोड सेफ्टी के हिसाब से ज्यादा खतरनाक माने जाते हैं. लेकिन आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो सड़क हादसों के लिहाज से पहाड़ मैदान की तुलना में ज्यादा सेफ हैं. पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, रुद्रप्रयाग, चंपावत और बागेश्वर जिलों में ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार और देहरादून जैसे मैदानी जिलों के मुकाबले काफी कम हादसे हुए हैं. हालांकि मैदानों में ट्रैफिक का प्रेशर ज्यादा होने को ज्यादा हादसों का कारण माना जा सकता है.
हादसों में टॉप पर ये जिले
नंबर वन- ऊधमसिंह नगर (852 हादसे)
नंबर टू- देहरादून (766 हादसे)
नंबर थ्री- हरिद्वार (760)
(आंकड़े 2017 से अप्रैल 2019 तक)
ये जिले सिक्योर
नंबर वन- अल्मोड़ा- 27 हादसे
नंबर टू- बागेश्वर- 35 हादसे
नंबर थ्री- रुद्रप्रयाग- 39 हादसे
रोड सेफ्टी पर नहीं ध्यान, सिर्फ चालान
राज्य में सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लिए लगातार मंथन का दौर जारी है. हर माह इसे लेकर मीटिंग्स होती हैं, विभागों को डायरेक्शंस दिए जाते हैं, लेकिन ग्राउंड रियलिटी यह है कि न तो सड़कों की स्थिति सुधारने के प्रयास हुए हैं, न डिजाइनिंग को दुरुस्त किया जा रहा है और न ही सड़कों के विस्तीकरण की कोई ठोस योजना तैयार हुई है. पुलिस, सीपीयू और ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की टीमें वाहनों का चालान करने में जुटी है.
जनवरी से अप्रैल तक सड़क हादसे
डिस्ट्रिक्ट---हादसे--मृतक--घायल
देहरादून---107--60--73
उत्तरकाशी--5--5--3
टिहरी--12--17--5
चमोली--5--6--12
रुद्रप्रयाग--2--0--7
पौड़ी--12--11--25
हरिद्वार--82--52--56
नैनीताल--68--33--41
ऊधमसिंहनगर--134--87--104
अल्मोड़ा--3--1--9
पिथौरागढ़--3--3--4
चंपावत--7--12--21
बागेश्वर--3--3--5
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कुल--443--290--365
(आंकड़ा जनवरी से अप्रैल तक का.)