-कुतुबखाना से कोहाड़ापीर तक जाने के लिए 10 मिनट का रास्ता तय करने में लगते हैं 30 मिनट

-फ्लाईओवर बनाने का था प्रस्ताव, लेकिन अभी तक नहीं हो सका शुरू

BAREILLY :

शहर में जाम की समस्या आम है, लेकिन इस समस्या का हल प्रशासन, पुलिस के साथ नगर निगम भी नहीं कर सका। शहर में फ्लाईओवर प्रोजेक्ट, आरओबी के साथ अन्य काम लम्बे समय से अधूरे पड़े हैं। इससे विकास कार्य पूरा तो हुआ नहीं, लेकिन उस रास्ते से निकलने वाली पब्लिक को समस्या से और जूझना पड़ रहा है।

कीमती समय होता है बर्बाद

शहर के जाम वाले एरिया से निकलने में पब्लिक का कीमती समय और फ्यूल भी बर्बाद होता है। यहां तक कि नॉवल्टी चौराहा से कोहाड़ापीर की तरफ जाने के लिए महज 10 मिनट का रास्ता है लेकिन जब कोई भी कुतुबखाना चौराहा के पास से निकलता है तो जाम में फंस जाता है। यही कारण है कि उसे दस मिनट का रास्ता तय करने के लिए 30 मिनट तक लग जाते हैं। चौराहा पर पुलिस भी मौजूद रहती है, कार की भी नो एंट्री है इसके बाद भी पूरा दिन जाम की समस्या बनी रहती है।

शहर के जाम वाले प्वाइंट

-कुतुबखाना, बड़ा बाजार, किला, शिवाजी मार्ग, सैटेलाइट, लाल फाटक, किला फाटक, कोहाड़ापीर फाटक, श्यामगंज और ईट पजाया चौराहा के साथ चौपुला चौराहा पर जाम की समस्या बनी रहती है।

कागजों में सिमट गया प्लान

शहर के सबसे व्यस्तम एरिया कुतुबखाना पर जाम की समस्या के समाधान के लिए नगर निगम ने फ्लाईओवर बनाने का भी प्लान बनाया, लेकिन वह आज तक कागजों से निकलकर जमीन पर नहीं आ सका। इससे पब्लिक को राहत नहीं मिल पा रही है। कुतुबखाना और सैटेलाइट फ्लाईओवर बनने से शहर को काफी हद तक जाम की समस्या से निजात मिलने की उम्मीद है।

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िब्लक बोली,

-कुतुबखाना पर जब तक फ्लाईओवर नहीं बनेगा तब तक समस्या का निदान नहीं हो सकता है। जो हाल इस समय कुतुबखाना का है यही हाल श्यामगंज का भी पुल बनने से पहले था।

रंजीत

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जाम की समस्या से पब्लिक का समय और फ्यूल दोनों ही बर्बाद होते हैं और इससे प्रदूषण भी बढ़ रहा है। इसके लिए गंभीरता से लेना चाहिए ताकि जाम से मुक्त मिले।

अनुराग

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-पब्लिक तो अधिक है ही, लेकिन अतिक्रमण के कारण शहर की सड़के संकरी हो गई है। इसके कारण पब्लिक परेशान होती है। अतिक्रमण हटना चाहिए ताकि जाम की समस्या दूर हो सके।

गजेन्द्र

----------------------शहर में कई फ्लाईओवर हैं, लेकिन शहर में किसी भी जगह जाने के लिए समय से पहले निकलना पड़ता है। क्योंकि यह डर रहता है कि पता नहीं कहां पर जाम में फंसना पड़ जाए।

हिमांशु